Former
Chief Minister and Leader of Opposition Bhupinder Singh Hooda has said the
government should have joined hands with the farmers for the welfare and growth
of the country but instead of shaking hands, the government is engaged in an
arm-wrestling match with the farmers.
Hooda,
who addressed a press conference at Chandigarh residence on Tuesday, raised
serious questions on the policies of the government on the issue of
agriculture, education, unemployment, corruption, electricity and inflation. He
said the government should stop blaming the opposition for the present state of
affairs in the state and should introspect.
City
Life Haryana।चंडीगढ़ः किसानों
से हाथ मिलाने की बजाए सरकार उनसे पंजा लड़ा रही है। किसानों से आंख मिलाने की
बजाए सरकार उन्हें आंख दिखा रही है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता
प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा आज चंडीगढ़ आवास पर पत्रकार वार्ता को
संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कृषि,
शिक्षा,
बेरोजगारी,
भ्रष्टाचार,
बिजली और मंहगाई के मुद्दे को लेकर सरकार की नीतियों पर
गंभीर सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा कि
मौजूदा सरकार हरियाणा की जनता को बहुत महंगी पड़ रही है। सरकार की नीतियां जनता को
गरीबी और महंगाई की खाई में धकेल रही हैं। लगातार पेट्रोल,
डीजल,
गैस और बिजली के
दाम बढ़ रहे हैं। स्टांप ड्यूटी,
किसानों की लागत
और प्रदेश पर कर्ज में इजाफा हो रहा है। हर वर्ग सरकार से हताश और निराश है। ये
सरकार जनता का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है।
हुड्डा ने कहा कि
अपनी नाकामियों को सरकार विपक्ष पर थोपना चाहती है। जबकि उसे आत्म मंथन करना
चाहिए। उसे सोचना चाहिए कि 2 साल पहले हरियाणा
की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने वाली
पार्टी के नेता आज जनता के बीच क्यों नहीं जा पा रहे हैं। किसानों के प्रति सरकार
का रवैया पूरी तरह नकारात्मक है। 3 कृषि कानूनों के
खिलाफ पहले से आंदोलनरत किसानों को सरकार अब मंडियों में परेशान कर रही है।
रजिस्ट्रेशन, नमी, मिश्रण और मैसेज का बहाना बनाकर गेहूं की खरीद
में देरी की जा रही है।
नेता प्रतिपक्ष
ने कहा कि गेहूं खरीद में मानक नमी की मात्रा को 14
से घटाकर 12
प्रतिशत और मानक
मिश्रण की मात्रा को 0.75
से घटाकर 0.50
प्रतिशत करना किसान विरोधी फैसला है। इससे
किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। सरकार को तुरंत इस फैसले को वापिस
लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से हर बार की तरह इस बार भी गेहूं खरीद
के लिए बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे। लेकिन जैसे ही 1
अप्रैल से खरीद शुरू हुई,
सभी दावों की पोल खुल गई। ‘
मेरी फसल,
मेरा ब्यौरा’
वेबसाइट 16
लाख किसानों का ट्रैफिक नहीं झेल पा रही है। सर्वर डाउन
होने की वजह से अबतक 8
लाख किसान ही
रेजिस्ट्रेशन करवा पाए हैं। बचे हुए 50
प्रतिशत किसान अपना गेहूं कैसे बेचेंगे?
हुड्डा ने
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को पूरी तरह विफल करार दिया। उन्होंने बताया कि
आरटीआई के मुताबिक बीमा कंपनियों ने किसानों के 75 फीसदी से अधिक दावों को खारिज कर दिया है। इस मामले में
अगर राज्यवार आंकड़े देखें तो हरियाणा तीसरे नंबर पर आता है। यहां बीमा कंपनियों
ने 3 साल में 1,96,795 फसल बीमा दावों को खारिज कर दिया।
शिक्षा और
स्वास्थ्य सेवाओं का जिक्र करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश में
डॉक्टरों के 56
प्रतिशत पद खाली
पड़े हैं। सरकार को बताना चाहिए कि उसने अबतक कितने डॉक्टर भर्ती किए और कितने
मेडिकल कॉलेज खोले हैं?
हुड्डा ने कहा कि
सिर्फ अस्पतालों में ही नहीं,
स्कूलों में भी
स्टाफ का भारी टोटा है। सरकारी स्कूलों में टीचर्स के करीब 45
हजार पद खाली पड़े हुए हैं। स्कूलों में हेड
मास्टर और प्रिंसिपल के भी करीब 50%
पद खाली पड़े
हैं। यहां तक कि खुद मुख्यमंत्री के जिले करनाल में 54
प्रतिशत स्कूलों में हेड टीचर नहीं है। बावजूद इसके सरकार
नई भर्तियां नहीं कर रही है। जबकि करीब 1
लाख एचटेट पास जेबीटी 7
साल से भर्ती का
इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश की बीजेपी सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में आज तक एक भी
जेबीटी भर्ती नहीं निकाली। जबकि कांग्रेस कार्यकाल में 20
हजार से ज्यादा जेबीटी की भर्ती निकाली गई थीं।
नेता प्रतिपक्ष
ने कहा कि धान, शराब और
रजिस्ट्री घोटाले के बाद कैग रिपोर्ट में भी कई और घोटालों का खुलासा हुआ है।
लेकिन सरकार बाकी घोटालों की तरह इन्हें भी दबाना चाहती है।