दीपेन्द्र हुड्डा ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ये कैसी सरकार है जो किसानों की आवाज़़ न संसद में उठाने दे रही न सडक पर। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि ये बहुत गंभीर विषय है.
इस पर सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते
हुए कहा कि ये कैसी सरकार है जो किसानों की आवाज़़ न संसद में उठाने दे रही न सडक
पर। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि ये बहुत गंभीर विषय है। हम भारत के संविधान से
कायम संसद के सदस्य हैं। उस रूप में हमें भारत देश के हर नागरिक, जिसमें भारत के
किसान भी शामिल हैं, की आवाज़ संसद के
अंदर और संसद के बाहर भी उठाने का अधिकार है। लेकिन क्या सरकार पुलिस भेजकर हमसे
ये पूछेगी कि हम किसानों की आवाज़ क्यों उठा रहे हैं.?
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने इसे नागरिक अधिकारों के साथ ही बतौर सांसद विशेषाधिकार का हनन बताते हुए सरकार से सवाल किया कि क्या सरकार देश को पुलिस स्टेट की ओर ले जाना चाहती है? उन्होंने कहा सरकार चाहे जितनी भी पुलिस लगा ले, हम किसानों की आवाज़ दबने नहीं देंगे, हम इस लड़ाई को लड़ते रहेंगे।
दिल्ली: विजय चौक के लॉन में मीडिया से बात कर रहे कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा को पुलिस ने रोका
किसानों के मुद्दे पर मीडिया से बातचीत कर रहे थे दीपेंद्र सिंह हुड्डा
पुलिस ने बातचीत को बीच में ही रोका
दीपेंद्र हुड्डा के साथ प्रताप सिंह बाजवा और केसी वेणुगोपाल भी थे मौजूद
सांसदों ने आपत्ति जतायी तो पुलिसकर्मी बार-बार कहते रहे कि हायर ऑथोरिटी को जानकारी देने के लिए वे ऐसा कर रहे हैं
सांसदों ने इस व्यवहार पर कड़ी आपत्ति जतायी
किसानों की आवाज को ना संसद और ना ही मीडिया के सामने उठाने देना चाहते हैं सरकार- दीपेंद्र हुड्डा
किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए मेरे द्वारा दिया गया प्रस्ताव लगातार तीसरे दिन भी किया खारिज- दीपेंद्र हुड्डा
भारत के कृषि मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि सरकार पहले किसानों की मांगों को खारिज कर रही है और फिर जले पर नमक छिड़कते हुए बातचीत करने की बात कह रही है। दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि सरकार खुले दिल से किसानों से बात करे और उनकी मांगों को माने। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार को जो बात सुननी चाहिए वो तो नहीं सुन रही और जो बात नहीं सुननी चाहिए वो सुनने में पूरा समय लगा रही है। दुर्भाग्य की बात है कि पिछले 8 महीनों में 400 से अधिक किसानों की कुर्बानी हो चुकी है।
टीकरी और सिंघु बॉर्डर से एक-एक करके किसानों के शव
हरियाणा, पंजाब व पश्चिमी
उत्तर प्रदेश के गाँवों में वापिस लौट चुके हैं, उसके बाद भी सरकार में इतनी सी भी संवेदना और
सहानुभूति नहीं है कि खुले दिल से किसान से बात भी कर ले। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा
कि किसान के मुद्दे पर चर्चा के लिये जब तक सरकार से सहमति नहीं मिलेगी, तब तक संसद में
और संसद के बाहर भी किसानों की आवाज़ पुरजोर तरीके से उठाई जायेगी।