e-auction : 2 अगस्त को सायं 5 बजे तक ई-नीलामी पोर्टल पर पंजीकरण करने के बाद आईडी बनवाकर संबंधित कागजात अपलोड करने होंगे. साथ ही, उन्हें 2 अगस्त को सायं 5 बजे तक ई-सेवा शुल्क व ईएमडी राशि भी जमा करवानी होगी.
प्रदेश के खान एवं भू-विज्ञान मंत्री मूलचंद
शर्मा ने बताया कि ई-नीलामी में भाग लेने के लिए इच्छुक व्यक्तियों को 𝟐 अगस्त को सायं 𝟓 बजे तक ई-नीलामी पोर्टल पर पंजीकरण करने के बाद आईडी बनवाकर संबंधित कागजात अपलोड करने होंगे। साथ ही, उन्हें 𝟐 अगस्त को सायं 𝟓 बजे तक ई-सेवा
शुल्क व ईएमडी राशि भी जमा करवानी होगी।
उन्होंने बताया कि ई-नीलामी में भाग लेने के लिए इच्छुक व्यक्तियों को 𝟐 अगस्त को सायं 𝟓 बजे तक ई-नीलामी पोर्टल पर पंजीकरण करने के बाद आईडी बनवाकर संबंधित कागजात अपलोड करने होंगे। साथ ही, उन्हें 𝟐 अगस्त को सायं 𝟓 बजे तक ई-सेवा शुल्क व ईएमडी राशि भी जमा करवानी होगी। इस संबंध में किसी प्रकार की जानकारी के लिए मोबाइल नंबर 𝟕𝟐𝟗𝟏𝟗𝟖𝟏𝟏𝟐𝟓, 𝟗𝟎𝟏𝟓𝟏𝟒𝟓𝟑𝟕𝟑, 𝟗𝟗𝟓𝟑𝟏𝟐𝟔𝟖𝟎𝟑 व 𝟕𝟐𝟗𝟏𝟗𝟖𝟏𝟏𝟐𝟕 पर सम्पर्क किया जा सकता है। इसके अलावा, जिला खनन अधिकारी कार्यालय से भी जानकारी हासिल की जा सकती है।
मूलचंद शर्मा ने बताया कि प्रदेश में काफी
लम्बे समय के बाद विभिन्न खनन इकाइयों की नीलामी शुरू हुई है। इससे पत्थर व रेत की
चोरी पर लगाम लगेगी और लोगों को निर्माण कार्यों के लिए सस्ता रेत उपलब्ध होगा।
साथ ही,
इससे आसपास के
क्षेत्र में हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले
फरीदाबाद जिले में रेत की चार खानों की नीलामी करवाई जा चुकी है।
उन्होंने बताया कि जिला फरीदाबाद में यूनिट संख्या-𝟏 ददासिया-किरनवाली के लिए आरक्षित मूल्य 𝟏𝟒.𝟔𝟔 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था, जिसके लिए उच्चतम बोली 𝟏𝟒.𝟗𝟔 करोड़ रुपये की लगी। यूनिट संख्या-𝟐 महावतपुर-बसकोला के लिए 𝟕.𝟕𝟑 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य के समक्ष अधिकतम बोली 𝟗.𝟒𝟑 करोड़ रुपये की रही। इसी तरह, यूनिट संख्या-𝟑 अमीपुर के लिए 𝟏𝟓.𝟗𝟔 करोड़ रुपये रिजर्व प्राइस के समक्ष अधिकतम बोली 𝟏𝟔.𝟐𝟔 करोड़ रुपये जबकि यूनिट संख्या-𝟒 माखनपुर के लिए 𝟗.𝟕𝟖 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य के समक्ष अधितम बोली 𝟗.𝟖𝟗 करोड़ रुपये की लगी। इस तरह से विभाग को इन खनन इकाइयों के आवंटन से आरक्षित मूल्य पर लगभग 𝟓𝟎.𝟓𝟒 करोड़ रुपये का लाभ होगा।
खान एवं भू-विज्ञान मंत्री ने कहा कि इन खनन
इकाइयों की नीलामी होने से रेत की चोरी पर लगाम लगेगी और लोगों को निर्माण कार्यों
के लिए सस्ता रेत उपलब्ध होगा। साथ ही, इससे आसपास के क्षेत्र में हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा।