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Yamunanagar : लखीमपुर खीरी में बर्बर नरसंहार को अंजाम देने वाले हत्यारों की गिरफ्तारी हो- दीपेंद्र हुड्डा

हरियाणा के मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त किया जाए - दीपेंद्र हुड्डा  


जनता को तय करना होगा कि वो कुचलने वालों के साथ है या कुचले जाने वालों के साथ - दीपेन्द्र हुड्डा  


खरीद की अपनी जिम्मेदारी से भाग रही सरकार किसानों को बड़े सरमायेदारों के हवाले करना चाहती है- दीपेंद्र हुड्डा  


तीन कृषि कानूनों का ट्रेलर मंडियों में दिखायी दे रहा, असली पिक्चर इनके लागू होने के बाद दिखेगी - दीपेंद्र हुड्डा  



 Report By : Rahul Sahajwani   

CITY LIFE HARYANA | यमुनानगर : सांसद दीपेंद्र हुड्डा उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत से रिहा होने के तुरंत बाद लखीमपुर खीरी में जिन निर्दोष किसानों की गाड़ियों से कुचलकर हत्या कर दी गयी उनके परिवार से राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधिमंडल के रूप में मिलने पहुंचे। उन्होंने देर रात तक किसान नच्छतर सिंह, लवप्रीत सिंह, पत्रकार रमन कश्यप के परिजनो से मिलकर उनको ढाँढस बंधाया और भरोसा दिया कि जब तक हत्यारे जेल की सीखचों के पीछे नहीं होंगे तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। किसान परिवारों से मिलने के बाद दीपेंद्र हुड्डा आज यमुनानगर पहुंचे और पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि लखीमपुर खीरी में जिन किसानों की गाड़ियों से कुचलकर बर्बरता से हत्या की गयी उनका परिवार देश से न्याय की गुहार लगा रहा है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि संवैधानिक पद पर बैठकर गैर-जिम्मेदाराना बात करने वालों को प्रजातंत्र में एक दिन भी अपने पद पर रहने का अधिकार नहीं है। वे किसानों को न्याय मिलने तक चुप नहीं बैठेंगे। किसानों को न्याय दिलाने के लिये दीपेंद्र हुड्डा ने मांग करी कि हरियाणा के मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त किया जाए, साथ ही लखीमपुर खीरी में बर्बर नरसंहार को अंजाम देने वाले हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की जाए।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि जनता को तय करना होगा कि वो कुचलने वालों के साथ है या कुचले जाने वालों के साथ है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को 10 महीने से ज्यादा हो चुके हैं। किसानों की मांग मानने की बजाय सरकार उनको प्रताड़ित करने का काम कर रही है। हरियाणा के मुख्यमंत्री किसानों के खिलाफ 'लठैतÑ तैयार करने का मंत्र फूंक रहे हैं वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री उनके खिलाफ बोलने वालों को '2 मिनट के अंदर सुधारनेÑ की खुलेआम धमकी दे रहे हैं। उनके पुत्र ने तो बेगुनाह किसानों को गाड़ियों से रौंदकर बर्बरता का नया इतिहास रच दिया। ये सभी सिर्फ व्यक्ति नहीं हैं बल्कि ये भारतीय जनता पार्टी की सोच है जो हक मांगने पर, विरोध या असहमति की आवाज़ उठाने पर कुचलने की सोच रखती है। सत्ता में बैठे भाजपा नेता किसानों-मजदूरों के दुश्मन हैं। किसान जहां सारे देश का पेट भरता है वहीं मजदूर देश का विकास करता है। हवाई अड्डा, सड़कें, रेल लाईन, बड़ी-बड़ी बिल्डिंग, हास्पिटल स्कूल, कालेज की हर ईंट पर मजदूर का पसीना लगता है। भाजपा सरकार ने तीन नये कृषि कानूनों में इन दोनों वर्गों की रोजी रोटी छीनने का इंतजाम किया है। इनका मकसद छोटे व्यापारियों का काम छीनकर बड़े सरमायेदारों को देने का भी है।



उन्होंने मंडियों में धान खरीद में हो रही लेट-लतीफी और नमी के नाम पर किसानों को टरकारने की हरियाणा सरकार की नीति का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि सरकार खरीद की अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है और किसानों को बड़े सरमायेदारों के हवाले करना चाहती है। जिससे देश के आम आदमी की रोटी बड़े सरमायेदारों की मुठ्ठी में कैद हो जाए। इसमें किसान से भी ज्यादा नुकसान और परेशानी आम लोगों को होगी। तीन कृषि कानूनों का ट्रेलर मंडियों में दिखायी दे रहा है असली फिल्म तो इन कानूनों के लागू होने के बाद दिखायी देगी जो बहुत डरावनी होगी। इन कानूनों के लागू होने से किसान, मजदूर के साथ-साथ आम गरीब की भी बर्बादी होगी। इसको स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि नये कानूनों के तहत सरकार खरीद न करके जहां किसानों को बर्बाद करने पर अमादा है, वहीं जब सरकार खरीदेगी ही नहीं तो गरीब आदमी को राशन कार्ड पर सस्ता अनाज कैसे देगी। ये तीनों कृषि कानून तिहरी मार मारने का काम करेंगे। इससे न सिर्फ किसान और मजदूर मरेगा बल्कि छोटा दुकानदार बर्बाद हो जायेगा।

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सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि तीन बार खरीद की तारीख बदलने और फिर मुख्यमंत्री द्वारा खरीद शुरु करने की घोषणा के भी 6 दिन बाद मंडियों में ढंग से खरीद नहीं हो रही है। पिछले एक सप्ताह से किसान अपना धान लेकर मंडी में बैठा है। किसानों ने बताया कि खरीद एजेंसी के अधिकारी एक ढेरी पर कई जगह मीटर से नमी मापते हैं और जहां नमी अधिक होती है, उसे दर्ज कर धान खरीदने लायक नहीं होने की बात कह देते हैं। इस प्रकार नमी का बहाना बनाकर धान नही खरीदा जा रहा और किसानों को इस कदर मजबूर किया जा रहा है कि वो अपना धान औने-पौने भाव में बेचकर चला जाए। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अगर कहीं अचानक फिर से बरसात हो गयी तो मंडी में पड़़े हजारों क्विंटल धान को भारी नुकसान पहुंचेगा, जिसकी सीधी मार किसानों पर ही पड़़ेगी। उन्होंने सरकार से पिछले वर्षों की भांति ही प्रति एकड़ 33 क्विंटल की खरीद और नमी के मानकों में राहत देने की मांग की।


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