महाभारत युद्ध की व्यूह रचना दीर्घा का मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया उद्घाटन,
कुरुक्षेत्र, डिजिटल डेक्स।। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि महाभारत के अनुसार द्वापर युग और कलियुग के संधिकाल में कुरुक्षेत्र भूमि में कुरु वंश कौरवों एवं पांडवों के मध्य 18 दिन तक महाभारत का युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध मे कौरवों के पास अक्षौहिणी सेना व पांडवों के पास सात अक्षौहिणी सेना थी।
हर अक्षौहिणी सेना की कमान महारथियों के पास होती थी। इस महाभारत युद्ध व्यूह रचना को लेकर ब्रह्म सरोवर के पावन तट पर दीर्घा का निर्माण केन्द्र सरकार की कृष्ण सर्किट योजना के अंतर्गत हरियाणा पर्यटन निगम द्वारा किया गया है। इस दीर्घा के निर्माण सरकार द्वारा 49 लाख रुपए राशि खर्च की गई है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल रविवार को ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर स्थित महाभारत युद्ध व्यूह रचना दीर्घा का विधिवत उद्घाटन करने के उपरांत बातचीत कर रहे थे। इसके उपरांत मुख्यमंत्री मनोहर लाल, विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच मुख्यमंत्री के राजनैतिक सचिव कृष्ण कुमार बेदी, उपायुक्त शांतनु शर्मा, अतिरिक्त उपायुक्त अखिल पिलानी, केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, केडीबी सीईओ चंद्रकांत कटारिया, भाजपा जिलाध्यक्ष रवि बतान, केडीबी सदस्य सौरभ चौधरी सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस दर्शक दीर्घा का अवलोकन भी किया।
उपायुक्त शांतनु शर्मा ने महाभारत युद्ध व्यूह रचना दीर्घा के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस दीर्घा का मुख्य उद्देश्य महाभारत कालीन सैन्य विज्ञान से जनमानस को परिचित करवाना है। किसी विशेष दिन युद्ध के लिये सेना को किस व्यूह में खड़ा किया जाए यह जिम्मेवारी प्राय: महारथियों या सेना के सर्वोच्च सेना नायक या सेनापति की होती थी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल रविवार को ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर स्थित महाभारत युद्ध व्यूह रचना दीर्घा का विधिवत उद्घाटन करने के उपरांत बातचीत कर रहे थे। इसके उपरांत मुख्यमंत्री मनोहर लाल, विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच मुख्यमंत्री के राजनैतिक सचिव कृष्ण कुमार बेदी, उपायुक्त शांतनु शर्मा, अतिरिक्त उपायुक्त अखिल पिलानी, केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, केडीबी सीईओ चंद्रकांत कटारिया, भाजपा जिलाध्यक्ष रवि बतान, केडीबी सदस्य सौरभ चौधरी सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस दर्शक दीर्घा का अवलोकन भी किया।
उपायुक्त शांतनु शर्मा ने महाभारत युद्ध व्यूह रचना दीर्घा के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस दीर्घा का मुख्य उद्देश्य महाभारत कालीन सैन्य विज्ञान से जनमानस को परिचित करवाना है। किसी विशेष दिन युद्ध के लिये सेना को किस व्यूह में खड़ा किया जाए यह जिम्मेवारी प्राय: महारथियों या सेना के सर्वोच्च सेना नायक या सेनापति की होती थी।
महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से दस दिन की व्यूह रचनाए भीष्म पितामह ने ही बनाई थी। उनके पश्चात द्रोण, कर्ण और शल्य शेष दिनों के लिए व्यूहों का निर्माण किया। इसी प्रकार पांडवों के लिये मुख्यतः: उनके महा सेनानायक धृष्टद्युम्न, अर्जुन व युधिष्ठिर ने व्यूह रचनाएं रची थी। व्यूहों के निर्माण में अपने प्रतिपक्षी के व्यूह की स्थिति को भी ध्यान में रखा जाता था।
उन्होंने कहा कि मानव शरीर के समान ही व्यूह का भी सिर, ग्रीवा, दायें व बायें पक्ष या हाथ, शरीर का मा या अन्तिम भाग होता था। व्यूह में सेना के अवयवों अर्थात रथसेना, गजसेना, अर पदाति अर्थात पैदल सेना का संयोजन इस प्रकार किया जाता था कि प्रतिपक्षी के हर दाव पेंच को असफल किया जा सके। व्यूह के एक भाग में लडने वाले योद्धाओं को परिस्थिति के अनुसार दूसरे भाग में स्थानांतरित किया जा सकता था।
उन्होंने कहा कि मानव शरीर के समान ही व्यूह का भी सिर, ग्रीवा, दायें व बायें पक्ष या हाथ, शरीर का मा या अन्तिम भाग होता था। व्यूह में सेना के अवयवों अर्थात रथसेना, गजसेना, अर पदाति अर्थात पैदल सेना का संयोजन इस प्रकार किया जाता था कि प्रतिपक्षी के हर दाव पेंच को असफल किया जा सके। व्यूह के एक भाग में लडने वाले योद्धाओं को परिस्थिति के अनुसार दूसरे भाग में स्थानांतरित किया जा सकता था।
महाभारत में सेना को पत्ति, सेनामुख, गुल्म, गण, बाहिनी, पृतना, धनू, अनीकिनी एवं अक्षौहिणी आदि कई ईकाईयों में बांटा गया है। आज भी सेना को उनके संख्या बल के अनुसार कंपनी सेक्शन, प्लाटून, कार्पस, बटालियन और रजेमेंट में बांटा जाता है। इस प्रकार एक अक्षौहिणी सेना में 21870 रथ उतने ही हाथी, 65610 अश्व तथा 109350 पैदल सैनिक होते थे।
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