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चंडीगढ - मंत्रिमण्डल की बैठक में संशोधन के सम्बन्ध में एक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की

शहरी क्षेत्रों का विकास और विनियमन अधिनियम, 1975 और नियम 1976-लाइसेंस का माइग्रेशन


City Life Haryana
चंडीगढ : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में हरियाणा शहरी क्षेत्रों का विकास और विनियमन अधिनियम, 1975 और नियम 1976-लाइसेंस का माइग्रेशन आदि, में संशोधन के सम्बन्ध में एक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई।

लाइसेंस के माइग्रेशन के सम्बन्ध में 1975 के अधिनियम और 1976 के नियमों के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, कोई लाइसेंसधारक लाइसेंस की अलग श्रेणी, जहां ईडीसी/आईडीसी की दरें कम हैं, में माइग्रेट करने से पहले या तो अनुसूची के अनुसार बकाया ईडीसी/आईडीसी की पूरी राशि जमा करवाता है या ईडीसी/आईडीसी की पर्याप्त राशि का भुगतान करता है तो उसे नुकसान होता है क्योंकि मौजूदा लाइसेंस में ईडीसी /आईडीसी के समक्ष किए गए पूरे अतिरिक्त भुगतान को जब्त कर लिया जाता है।

यह प्रक्रिया कानून का पालने करने वाले लाइसेंसधारक से भेदभाव करती है और एक डिफ़ॉल्टर लाइसेंसधारक के पक्ष में है। इसलिए, हरियाणा शहरी क्षेत्रों का विकास और विनियमन अधिनियम, 1975 की धारा 3 के तीसरे परन्तुक और नियम 1976 के नियम-17-क(2) और 17-क(3) के साथ-साथ मौजूदा प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव है। संशोधन के अनुसार, अब लाइसेंस के माइग्रेशन के मामले में कॉलोनाइजर को भुगतान की तारीख तक अर्जित ब्याज के साथ बकाया नवीकरण शुल्क का भुगतान करना होगा।

हालाँकि, माइग्रेशन के तहत क्षेत्र के लिए लाइसेंस शुल्क, राज्य अवसंरचना विकास शुल्क, कन्वर्जन चार्जेज और बाहरी विकास शुल्क, जिसमें भुगतान किया गया ब्याज भी शामिल है, को समायोजित किया जा सकता है। यह सबसे पहले माइग्रेशन पर दिए जा रहे लाइसेंस में और बकाया उसी डेवलपर / कॉलोनाइजर के किसी अन्य लाइसेंस में समायोजित किया जा सकता है। इसके अलावा, यदि समायोजन के बाद भी कुछ शेष बचता है, तो उसे जब्त कर लिया जाएगा।

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