REPORT BY : RANSINGH CHAUHAN
जानकारी के अनुसार 15 जुलाई 2000 को बशीर अली अपने गांव के ही रामनाथ, विनोद व महेश के साथ गांव तारणवाला में मजदूरी करने के लिए आया था। यहां पर वह खेत में कार्य करते समय उसका रामनाथ के साथ विवाद हो गया था। जिस पर उसने कस्सी से वार कर रामनाथ की हत्या कर दी थी। 24 जुलाई को पुलिस ने उसे पकड़ लिया और जेल में डाल दिया।
जगाधरी कोर्ट से 14 नवंबर 2002 को उसे लाइफ इंप्रीजनमेंट की सजा हो गई। वह एक चौथाई समय तक जेल में रहा। इसके बाद उसने हाईकोर्ट से जमानत ले ली थी। इसके बाद वह कोर्ट में दोबारा पेश नहीं हुआ। जिस पर उसे भगौड़ा घोषित कर दिया गया था। इसके बाद से ही पुलिस उसकी तलाश में थी। कई बार बशीर के गांव में जाकर भी पुलिस टीम ने दबिश दी, लेकिन वह पकड़ में नहीं आया। सदर जगाधरी थाना प्रभारी सुरेश कुमार ने बताया कि बशीर के थाना छप्पर क्षेत्र के गांव में होने की सूचना मिली थी। जिस पर एसआइ मेहमा सिंह, कमलदीप राणा, कांस्टेबल रमेश कुमार की टीम गठित की और बशीर को पकड़ लिया गया, उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया।