*किसान और किसान आंदोलन को लगातार अपमानित कर रही सरकार
*जो सरकार, सरकारी भर्ती में केवल 2.5% हरियाणवी नौजवानों को रोजगार देती हो, उसके गैर-सरकारी संस्थानों में 75% आरक्षण के दावे पर कौन यकीन करेगा
*निजी नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण एक धोखा है, हिसाब लगाओ मौका है
*प्रदेश में हजारों की संख्या में सरकारी पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार सिर्फ भर्ती रद्द और नौकरी छीनने का काम कर रही
सरकार किसान और किसान आंदोलन को लगातार अपमानित कर रही है। तीन महीने से ज्यादा बीत गये और इस दौरान 225 से भी अधिक किसानों ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी फिर भी सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। ऐसा लगता है कि सत्ता के घमंड में चूर सरकार किसानों को थकाने और भगाने की नीति पर चल रही है। लेकिन, ये सरकार गलतफहमी का शिकार है। किसान आंदोलन अब जन आंदोलन बन चुका है। इस सरकार का घमंड चकनाचूर होकर रहेगा।
सरकार द्वारा रची गयी एक और साजिश का खुलासा करते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा डोमिसाइल के लिये पहले 15 वर्ष हरियाणा में रहने की शर्त थी, जिसे सरकार ने घटाकर केवल 5 वर्ष कर दिया। इससे न केवल बाहरी उम्मीदवारों को नौकरी मिलने का रास्ता साफ हो जायेगा बल्कि, हरियाणा की शिक्षण संस्थाओं में बाहरी लोगों को आसानी प्रवेश मिलेगा और हरियाणा के युवा इससे वंचित रह जायेंगे। इनसे स्पष्ट हो गया है कि हरियाणा सरकार का दावा कितना खोखला और सच्चाई से कोसों दूर है। जो सरकार, सरकारी भर्ती में केवल 2.5 प्रतिशत हरियाणवी नौजवानों को रोजगार देती हो, उस सरकार के गैर-सरकारी संस्थानों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने के दावे पर कौन यकीन करेगा।
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे कहा कि यही रवैया केंद्र सरकार का है। उसने 2014 के चुनाव में युवाओं से हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। 7 साल में युवाओं को 14 करोड़ नौकरियां मिलनी चाहिए थी। हरियाणा की आबादी देश की आबादी का 2 प्रतिशत है। इस हिसाब से 14 करोड़ का 2 प्रतिशत 28 लाख बनता है। लेकिन 28 लाख का एक प्रतिशत नौकरी भी हरियाणा के युवाओं को नहीं मिली। सरकार की गलत नीतियों के कारण करोड़ों लोग अपने रोजगार से हाथ धो बैठे। विगत 7 वर्षों में भाजपा सरकार की कारगुजारियों के कारण सैंकड़ों उद्योग, छोटे कारोबार बंद हो गये या छंटनी करने पर मजबूर हो गये। उन्होंने मांग करी कि हरियाणा सरकार स्पष्ट करे कि गत 6 वर्षों में प्रदेश में कितने नये उद्योग लगे और कितना नया निवेश आया। बिना उद्योगों के और निवेश के नौकरियां कहां से आयेंगी। जब नौकरियां ही नहीं होंगी तो 75 प्रतिशत आरक्षण के दावे के क्या मायने रह जायेंगे।