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Sonipat - सरकार के रवैये से स्पष्ट है कि किसान सरकार के एजेंडे में ही नहीं : दीपेंद्र हुड्डा

*किसान और किसान आंदोलन को लगातार अपमानित कर रही सरकार

*जो सरकार, सरकारी भर्ती में केवल 2.5% हरियाणवी नौजवानों को रोजगार देती हो, उसके गैर-सरकारी संस्थानों में 75% आरक्षण के दावे पर कौन यकीन करेगा

*निजी नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण एक धोखा है, हिसाब लगाओ मौका है

*प्रदेश में हजारों की संख्या में सरकारी पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार सिर्फ भर्ती रद्द और नौकरी छीनने का काम कर रही


City Life Haryanaसोनीपत :  सांसद दीपेंद्र हुड्डा आज फिर सिंघु बार्डर किसान धरने पर आंदोलनरत किसानों के बीच पहुंचे और वहां की व्यवस्थाओं को देखा। साथ ही उन्होंने किसानों का हालचाल भी पूछा। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार के रवैये से स्पष्ट है कि किसान सरकार के एजेंडे में ही नहीं हैं। उनके साथ सरकार ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे कि वो इस देश के नागरिक ही न हों।

सरकार किसान और किसान आंदोलन को लगातार अपमानित कर रही है। तीन महीने से ज्यादा बीत गये और इस दौरान 225 से भी अधिक किसानों ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी फिर भी सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। ऐसा लगता है कि सत्ता के घमंड में चूर सरकार किसानों को थकाने और भगाने की नीति पर चल रही है। लेकिन, ये सरकार गलतफहमी का शिकार है। किसान आंदोलन अब जन आंदोलन बन चुका है। इस सरकार का घमंड चकनाचूर होकर रहेगा। 


हरियाणा की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण के सवाल पर बोलते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि ये हरियाणा के युवाओं को आरक्षण नहीं धोखा दिया गया है। हकीकत ये है कि सरकारी नौकरियों में दूसरे प्रदेशों के युवाओं को तरजीह दी जा रही है। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि पिछले दिनों बिजली निगम में एसडीओ के 80 पदों की भर्ती में मात्र 2 हरियाणवी लगे जो मात्र 2.5 प्रतिशत है। इसी प्रकार असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर 18 में से केवल 7 हरियाणवी को नौकरी मिली। ये साफ दर्शाता है कि हरियाणा सरकार का दावा कितना खोखला है।

सरकार द्वारा रची गयी एक और साजिश का खुलासा करते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा डोमिसाइल के लिये पहले 15 वर्ष हरियाणा में रहने की शर्त थी, जिसे सरकार ने घटाकर केवल 5 वर्ष कर दिया। इससे न केवल बाहरी उम्मीदवारों को नौकरी मिलने का रास्ता साफ हो जायेगा बल्कि, हरियाणा की शिक्षण संस्थाओं में बाहरी लोगों को आसानी प्रवेश मिलेगा और हरियाणा के युवा इससे वंचित रह जायेंगे। इनसे स्पष्ट हो गया है कि हरियाणा सरकार का दावा कितना खोखला और सच्चाई से कोसों दूर है। जो सरकार, सरकारी भर्ती में केवल 2.5 प्रतिशत हरियाणवी नौजवानों को रोजगार देती हो, उस सरकार के गैर-सरकारी संस्थानों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने के दावे पर कौन यकीन करेगा।


उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों में हजारों की संख्या में पद खाली पड़े हुए हैं। नवंबर 2020 के स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार पहली से बारहवीं तक विभिन्न श्रेणियों के शिक्षकों के 34 हजार 850 पद खाली हैं। प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च विद्यालयों में हेड मास्टर/प्रिंसिपल के पद भी बड़ी संख्या में खाली पड़े हुए हैं। प्रदेश में खाली पड़े पदों पर भर्ती करने की बजाय सरकार आये दिन भर्ती रद्द करने और नौकरियां छीनने में लगी हुई है। यह बेरोजगार नौजवानों की बेबसी का क्रूर मजाक है। उन्होंने सवाल किया कि प्रदेश के युवाओं का शोषण क्यों हो रहा है। हरियाणा सरकार की छवि नौकरी देने वाली सरकार की बजाय नौकरी छीनने वाली सरकार की बन चुकी है।  

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे कहा कि यही रवैया केंद्र सरकार का है। उसने 2014 के चुनाव में युवाओं से हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। 7 साल में युवाओं को 14 करोड़ नौकरियां मिलनी चाहिए थी। हरियाणा की आबादी देश की आबादी का 2 प्रतिशत है। इस हिसाब से 14 करोड़ का 2 प्रतिशत 28 लाख बनता है। लेकिन 28 लाख का एक प्रतिशत नौकरी भी हरियाणा के युवाओं को नहीं मिली। सरकार की गलत नीतियों के कारण करोड़ों लोग अपने रोजगार से हाथ धो बैठे। विगत 7 वर्षों में भाजपा सरकार की कारगुजारियों के कारण सैंकड़ों उद्योग, छोटे कारोबार बंद हो गये या छंटनी करने पर मजबूर हो गये। उन्होंने मांग करी कि हरियाणा सरकार स्पष्ट करे कि गत 6 वर्षों में प्रदेश में कितने नये उद्योग लगे और कितना नया निवेश आया। बिना उद्योगों के और निवेश के नौकरियां कहां से आयेंगी। जब नौकरियां ही नहीं होंगी तो 75 प्रतिशत आरक्षण के दावे के क्या मायने रह जायेंगे।


इस दौरान उनके साथ विधायक सुरेंद्र पवार, विधायक इंदुराज नरवाल, पूर्व विधायक जय तीर्थ दहिया, पूर्व विधायक सुखबीर फरमाना, मेयर निखिल मदान, सोनीपत महिला कांग्रेस प्रधान शीला आंतिल, बिजेंद्र आंतिल, सुनील कटारिया, हवा सिंह ठेकेदार, सुषमा पार्षद, राजबाला दलाल, मंजू मलिक, सुरेंद्र शर्मा, जोगेंद्र दहिया, अर्जुन दहिया, मनोज रिढाऊ, जयवीर आंतिल, बिन्नी भारद्वाज, सतीश कौशिक, कुलबीर सरोहा, राजकुमार कटारिया, जितेंद्र पलड़ी, बिजेंद्र बडोली, हवा सिंह आंतिल, प्रेम हसनपुर, सतबीर अंतिल, संजय खेवड़ा, जसपाल खेवड़ा, जोगेंद्र सीतावली, सुनिश दहिया, रविंद्र पहल, पुनीत राणा, अनूप मलिक, सुनील कटारिया, संतोष गुलिया, कमला मलिक, भोला पहलवान, अनीता अंतिल, ओमी, गीता, जोगेंद्र आंतिल, कृष्ण मलिक, सतीश चेयरमैन, राजीव सरोहा, शीलू आंतिल, महावीर बंजारा, जितेंद्र जांगड़ा, संजीव दहिया, संजय खत्री, सूर्या दहिया, सितेंदर आंतिल, संत कुमार, जोगेंद्र जठेरी, अनमोल राणा, संदीप मलिक, सुरेश जोगी, सुरेश प्रधान, कुलदीप वत्स, मेवा सिंह समेत बड़ी संख्या में स्थानीय गणमान्य लोग मौजूद रहे। 

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