हरियाणा देश का पहला राज्य है जिसने बजट में आवंटित एक-एक रुपये के लिए ‘आउटपुट आउटकम फ्रेमवर्क’ विकसित किया
उन्होंने कहा कि चालू वर्ष के दौरान राज्य सरकार ने कठोर, वित्तीय विवेकपूर्ण उपायों को अपनाकर लगभग 8585 करोड़ रुपये की उधारी क्षमता का उपयोग नहीं किया। इसका अर्थ यह है कि हम अपनी उधार लेने की सीमा को राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम के मूल प्रावधानों के आसपास बनाए रखने में कामयाब रहे। जैसा कि भारत सरकार ने अब अनुमति दे दी है कि उधार लेने की सीमा को आगे बढ़ाया जा सकता है, हमने आवश्यकतानुसार लगभग 8585 करोड़ रुपये की इन प्राप्तियों का उपयोग लघु अवधि परिव्यय फे्रमवर्क आरक्षित निधि के लिए करने का निर्णय लिया है। ये निधियां उन परियोजनाओं के लिए निर्धारित की जाएंगी, जिनमें अंतर-क्षेत्रीय निहितार्थ एवं लम्बी परिपक्वता अवधि है।
उन्होंने कहा कि हम इस वर्ष इस कोष के तहत निर्धारित निधियों का उपयोग विशेष परियोजनाओं पर करने के इच्छुक हैं, जो स्वास्थ्य, कृषि तथा अवसंरचना पर केंद्रित हैं। ऐसी विशेष परियोजनाओं में अन्य बातों के साथ-साथ चिकित्सा अवसंरचना का विस्तार जैसे कि जिला अस्पतालों का 200 बिस्तर तक उन्नयन करना, मातृ एवं बाल अस्पतालों की स्थापना करना, जैव सुरक्षा प्रयोगशालाएं, गन्नौर में अन्तर्राष्ट्रीय बागवानी मंडी, पिंजौर में सेब मंडी, सेरसा (सोनीपत) में मसाला मंडी, सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं के साथ-साथ विशिष्ट परियोजनाएं जैसे कि- ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर, दिल्ली और करनाल के बीच हाई स्पीड रेल कनेक्टिविटी, गुरुग्राम और अन्य क्षेत्रों में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार तथा इसी तरह की अन्य परियोजनाएं शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने परिणाम हासिल करने पर विशेष बल दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सार्वजनिक धनराशि का आवंटन और व्यय फलदायी तरीके से किया जाए, जोकि विशिष्ट परिणामों पर लक्षित हो। इस उद्देश्य के लिए हमने विभिन्न योजनाओं के बजटीय आवंटनों तथा केन्द्रित कार्यान्वयन के माध्यम से सतत विकास लक्ष्य प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित किया है। मुझे गर्व है कि हरियाणा देश का पहला राज्य है जिसने बजट में आवंटित एक-एक रुपये के लिए ‘आउटपुट आउटकम फ्रेमवर्क’ विकसित किया। हमने इस फ्रेमवर्क को पिछले बजट के साथ प्रस्तुत किया और हमने इस वर्ष भी इस प्रथा को जारी रखा है।
परिणामों पर इस केंद्रित दृष्टिकोण के साथ, हम विजऩ 2030 को साकार करने में पूरी प्रतिबद्धता से आगे बढ़ेंगे। रोजगार सृजन अल्पावधि से मध्यावधि का परिणाम है। हमने इस सम्बन्ध में कई प्रमुख पहल की हैं, जिसमें देश का पहला और एकमात्र कौशल विश्वविद्यालय, सक्षम युवा कार्यक्रम, अनूठा रोजगार पोर्टल शामिल है, जो रोजगार के अवसरों के लिए नौकरी के इच्छुक युवाओं के कौशल का मानचित्रण करता है।
उन्होंने कहा कि शासन और सेवा प्रदायगी में सुधार यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि इन परियोजनाओं से होने वाले लाभ पात्र लाभार्थियों पर लक्षित हों। उन्होंने कहा कि गर्व की बात है कि पिछले वर्ष आरंभ की गई ‘परिवार पहचान पत्र’ की पथ-प्रदर्शक पहल ने तेजी से प्रगति की है और व्यापक कवरेज हासिल की है। यह पहल नागरिकों को ‘पेपरलेस’, ‘फेसलेस’ सेवा मुहैया करवाकर ‘ईज ऑफ लिविंग‘ को बेहतर बनाने में दूरगामी साबित होगी। इससे राज्य में नागरिक सुविधा बढ़ाने और सुशासन हासिल करने में मदद मिलेगी। इसके क्रियान्वयन में हमारी रणनीति अंत्योदय-‘अंतिम व्यक्ति तक पहले सेवा पहुंचाना और उत्थान करना’ के सिद्धांत पर आधारित है।
भारत सरकार के सफल महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरणा लेते हुए हम राज्य के सबसे कम विकसित खंडों में व्यापक और परिवर्तनकारी विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ‘महत्वाकांक्षी खंड दृष्टिकोण’ अपनाकर उनके विकास पर ध्यान केन्द्रित करना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘शासन कम से कम-सुशासन अधिकतम’ के सिद्धान्त की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि राज्य ने विभिन्न अधिनियमों के तहत लाइसेंस के नवीनीकरण की आवश्यकता को समाप्त करके विनिर्माण उद्योग पर अनुपालन बोझ को कम किया है। सरकार ने विभागों में विभिन्न लाइसेंसों के लिए स्वत: नवीनीकरण का भी प्रावधान किया है। राज्य सरकार, भारत सरकार के ‘न्यूनतम विनियामक अनुपालन’ की प्रतिबद्धता पर भी सक्रिय रूप से कार्य कर रही है और साथ ही सरकार ने जिला स्तर पर कारोबारी सुगमता को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए गये हैं।
उन्होंने कहा कि यह चार स्तंभीय दृष्टिकोण ‘वी-शेप’ रिकवरी हासिल करने तथा उदीयमान अर्थ-व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करने की हमारी रणनीति का आधार है। हरियाणा में आर्थिक विकास की गति राज्य के प्रत्येक व्यक्ति की आय और खरीद क्षमता बढ़ाने के लक्ष्य पर आधारित होनी चाहिए। हमने विशेष रूप से तैयार की गई कार्य-योजना को अपनाने का निर्णय लिया है और उम्मीद है कि यह हमारे राज्य के आर्थिक सफर में स्थायी, समावेशी और जमीनी स्तर के विकास के साथ जीवंत और आत्मनिर्भर हरियाणा बनाने में मील का पत्थर साबित होगी।