फिजी के हाई कमीश्नर ने किया गीता ज्ञान संस्थानम का अवलोकन
कुरुक्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन नगरी के रुप में विकसित करने का किया जा रहा है काम
फिजी में गीता महोत्सव का आयोजन करने के लिए किए जाएंगे प्रयास
इस ज्ञान के प्रकाश को अपने जीवन में धारण करने के लिए पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेशों को अपनाना होगा। इस भूमि से मिले उपदेशों को पूरे विश्व को ज्ञान का प्रकाश मिल रहा है। इन उपदेशों की जन्मस्थली कुरुक्षेत्र में दोबारा आने का गौरव प्राप्त हुआ यह उनका सौभाग्य है। इससे पहले वे जब जापान के हाई कमीश्नर थे तो वर्ष 2005 में धर्मस्थली कुरुक्षेत्र में आए थे।
हाई कमीश्नर ने कहा कि कुरुक्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय
स्तर का दर्जा देने, पर्यटन और अध्यात्म की दृष्टिï से इस पवित्र
स्थान को विश्व के मानचित्र पर लाने का काम किया गया है। यह पर्यटन स्थली आने वाले
समय में एक आस्था का केन्द्र बनेगी। इस संस्थानम में गीता को लेकर जो संग्रहालय व
म्यूजियम बनाया है, वह निश्चित ही दर्शनीय स्थल के रुप में विकसित होगा।
इस गीता स्थली कुरुक्षेत्र में हजारों वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने गीता के जो उपदेश दिए थे, उन उपदेशों में सभी ग्रंथों का सारांश समाहित है। दुनिया में प्रत्येक देश की अपनी-अपनी विशेषता है, लेकिन आध्यमिकता भारत देश की विशेषता है। इस पवित्र ग्रंथ गीता को जीवन में धारण करने वाले व्यक्ति को कभी भी किसी से द्वेश व घृणा नहीं होगी, वह मानव हमेशा परमात्मा के दिखाए गए मार्ग पर चलेगा।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने मेहमानों को विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि गीता ज्ञान संस्थानम केन्द्र में एक बहुत बड़ा म्यूजियम बनाया जा रहा है। इस म्यूजियम में पवित्र ग्रंथ गीता की उपदेशों, भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरुप और महाभारत से सम्बन्धित विषयों को दर्शाया जाएगा। इसके प्रवेश द्वार पर पवित्र ग्रंथ गीता को भी सजाया जाएगा ताकि इस म्यूजियम में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पवित्र ग्रंथ गीता से प्रेरणा मिले और इस पवित्र ग्रंथ का मनन करके अपने जीवन का उद्घार कर सके।