Gurnam Singh Chadhuni, leader of United Kisan Morcha and President of Bharatiya Kisan Union in Haryana, has questioned the farmers' protest movement in Uttar Pradesh.
भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने उत्तरप्रदेश में आंदोलन को लेकर बड़े सवाल उठाए हैं। चढूनी ने कहा कि किसान आंदोलन में सबसे ज्यादा हरियाणा जुड़ा है और यहां के किसान लगातार सरकार पर दबाव बनाने के लिए मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों, सांसद व विधायकों के कार्यक्रमों का विरोध कर रहे हैं।
चढूनी ने यहां तक कहा कि यूपी में मंडी नहीं है और उनकी फसल तक नहीं बिकती है, फिर भी वहां के किसान विरोध नहीं कर रहे हैं। उत्तरप्रदेश में आजतक टोल प्लाजा नहीं रोके गए और गाजीपुर बॉर्डर पर भी केवल 500 किसान बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को किसी नेता की अगुवाई की जरूरत नहीं है और उत्तरप्रदेश में किसानों को खुद आगे आकर आंदोलन तेज करना होगा। इस तरह से चढूनी ने उत्तरप्रदेश के किसानों को पूरी तरह से घेरा है और वहां के किसान नेताओं पर भी सवाल उठाए हैं।
वहीं, इस तरह के आरोप लगने पर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सफाई दी है कि यूपी में नेताओं को किसानों का इतना डर है कि वे गांवों में नहीं आ रहे हैं। यूपी में कोरोना संक्रमण कम होते ही आंदोलन अन्य जगहों के मुकाबले ज्यादा तेज किया जाएगा।
भाकियू यूपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि इस तरह की बात कहने वालों को शायद यह नहीं पता है कि उत्तरप्रदेश में किसानों का नेताओं के अंदर बड़ा डर है। वहां किसानों के डर के कारण ही नेताओं ने गांवों में आना छोड़ दिया है, लेकिन फिर भी उत्तरप्रदेश में आंदोलन को तेज किया जाएगा और इसके लिए किसानों को तैयार किया जा रहा है। राकेश टिकैत ने कहा कि यूपी के किसान हमेशा आंदोलन में सबसे आगे रहे हैं और इस आंदोलन में भी सबसे आगे उत्तरप्रदेश के किसान खड़े हुए हैं। इसलिए इस तरह की बात कहकर किसी का मनोबल नहीं तोड़ना चाहिए।