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Radaur- मेरा पानी मेरी विरासत योजना का लाभ लेने के लिए 15 जुलाई तक करवाना होगा पंजीकरण

जिन किसानों ने खरीफ 2020 के दौरान इस स्कीम का लाभ उठाया था वे अगर इस वर्ष भी उसी क्षेत्र में फसल विविधिकरण करते हैं. तो वे सभी किसान इस स्कीम के पात्र होंगे. जिन किसानों ने खरीफ 2020 में जिस क्षेत्र में धान लगाया था व इस वर्ष उस क्षेत्र को खाली छोड़ देते है तो वे किसान भी इस स्कीम के पात्र होगें.

रादौर हरियाणा राज्य के गिरते भूजल को बचाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा इस वर्ष भी फसल विविधिकरण योजना मेरा पानी मेरी विरासत को लागू रखने की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। यह योजना गत वर्ष भी लागू की गई थी।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से मेरा पानी, मेरी विरासत योजना का लाभ लेने की अंतिम तिथि अब 15 जुलाई कर दी गई है। जिसके तहत अब वह किसान जो इस योजना के लिए आवेदन करने से वंचित रह गए थे वह भी अब इसका लाभ ले सकेंगे। 25 जून को इसकी अंतिम तिथि थी, लेकिन इससे पहले ही योजना की अंतिम तारीख बढ़ा दी गई है। यह जानकारी देते हुए खंड कृषि अधिकारी मौजी कंबोज ने बताया कि मेरा पानी मेरीरी विरासत योजना का मुख्य उद्देश्य धान के रकबे को कम कर अधिक से अधिक पानी की बचत करना है। ताकि किसान ऐसी फसलों की ओर अपना रुख कर सके जिसमें पानी की खपत कम होती है।

- यह है योजना

farmers will be provided Rs. 7,000 per acre to those farmers who will diversify more than 50% of their kharif season (2019-20) paddy area. Also, farmers will not be allowed to cultivate paddy in any new areas where paddy was not grown the preceding year.

एडीओ मोजी कंबोज ने बताया कि इस योजना के लिए आवेदन करने वाले उन किसानों को 7000 रुपए प्रति एकड़ सरकार की ओर से सहयोग राशि दी जाएगी, जिन किसानों ने गत वर्ष धान की फसल लगाई थी। लेकिन इस बार वह धान की जगह मूंग, मक्का हरा चारा के अलावा दलहन व तिलहन की फसलें लगाएगा। इसके लिए किसान को मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर जाकर पंजीकरण करना होगा। जिसमें उसे संबंधित खेत का किला नंबर भी देना होगा।अब किसान 15 जुलाई तक इस योजना का लाभ ले सकते हैं।

गत वर्ष केवल धान लगाने वाले किसानों को मिलेगा लाभ

एडीओ मोजी कंबोज ने बताया कि इस योजना का लाभ किसान केवल उस खेत के लिए ले सकता है जिस खेत में गत वर्ष उसने धान की फसल लगाई थी। जिन किसानों ने धान की जगह कोई अन्य फसल लगाई थी, वह किसान उस खेत में इस योजना का लाभ नहीं ले सकता।इसके लिए किसान को किला नंबर बदलना होगा। जिसकी वेरिफिकेशन भी की जाएगी।

 - डार्क जोन में है एरिया लेकिन किसान योजना में नहीं दिखा रहे रुचि 

सरकार व कृषि विभाग अधिक पानी की खपत वाली फसलों को कम करने पर जोर दे रहा है। इसके अलावा परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक खेती की ओर भी वह किसानों का रुख करना चाहता है। जिसके लिए इस प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है। रादौर क्षेत्र डार्क जोन में है। यहां पानी का जलस्तर तेजी से कम हो रहा है। ऐसे में मेरा पानी मेरी विरासत योजना का लाभ देकर सरकार इस गिरते जलस्तर को काबू करने का प्रयास कर रही है, लेकिन क्षेत्र के अगर स्थिति पर ध्यान दिया जाए तो किसानों में इसकी अधिक रूचि दिखाई नहीं दे रही है। किसान धान की फसल के प्रति अधिक रुचि दिखा रहा है। क्षेत्र में किसान लगातार धान की रोपाई करने में लगा हुआ है। अब तक 70% से अधिक खेतों में धान की रोपाई भी हो चुकी है। ऐसे में योजना किसानों को अपनी ओर लुभाती नहीं दिखाई दे रही है।

Importantly,  National  Water  Mission,  had  organised  a  workshop  on  ‘Increasing  Water  Use Efficiency  in  Agriculture’  in  Kurukshetra  in  Haryana  on  14th  February  2020  as  part  of  its campaign to nudge the farmers to shift to crops which use less water but more efficiently, have high nutritional quality and are economically remunerative to farmers, based on an integrated and holistic strategy. This scheme by Haryana government is a step in the right direction to serve the twin purposes of water conservation and rural development.  



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