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Yamunanagar- यमुनानगर की प्लाई इंडस्ट्री अब बंद होने के कगार पर

देवेंद्र चावला : एशिया की सबसे बड़ी प्लाई इंडस्ट्री होने का खिताब हासिल कर चुकी यमुनानगर की प्लाई इंडस्ट्री अब बंद होने के कगार पर पहुंच गई है


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Ran Singh Chauhan

यमुनानगर NEWS कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। बहुमूल्य इंसानी जीवन निगलने वाला यह नामुराद वायरस अब व्यपारियों और उद्योगपतियों के सामने आर्थिक संकट जैसे हालात भी खड़े कर रहा है। सरकारें अर्थ व्यवस्था के पहिए को फिर से घुमाने के लिए और डूबते हुए उद्योग धंधों को पुनर्जीवन देने के लिए विभिन्न पैकेज देने की बात कह रही है। मगर प्लाई उद्योग से जुड़े व्यपारी इससे खास संतुष्ट नहीं नजर आ रहे। उनका कहना है कि सरकार ने आर्थिक मदद के नाम पर केवल सहूलियत दी है। इससे पहले से मंदी का सामना कर रहा व्यपारी कर्ज के बोझ में दब जाएगा।

प्लाई इंडस्ट्री ढाई से तीन लाख लोगों को रोजगार दे रही हैं। पहले कोरोना के कारण व्यापार बिगड़ा रहा है। अब लगातार ट्रांसपोर्ट के बढ़ते दामों का असर कारोबार पर पड़ रहा है। बोर्ड के खरीदारों ने दूसरे राज्य उत्तर प्रदेश की तरह रुख करना शुरू कर दिया है। व्यापारियों का तैयार माल गोदामों में लगा हुआ है। व्यापारियों को माल बेचना मुश्किल हो गया है। इस ओर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो बोर्ड इंडस्ट्री का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। उक्त शब्द आल इंडिया प्लाईवुड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रधान देवेंद्र चावला ने उक्त शब्द कहे। उन्होंने कहा कि शहर का हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी रूप में इस कारोबार से जुड़ा है। लेकिन पिछले कई साल से उन्हें सरकार की तरफ से केवल आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलायहीं कारण है कि अब प्लाई इंडस्ट्री यहां से प्लायन करने की योजना बना रहे है

- 40 प्रतिशत तक बढ़ गया किराया


देवेंद्र चावला का कहना है की पुरानी पेमेंट रूकी हुई है। अब 30 फीसद तक भाड़ा बढ़ जाने के कारण माल बेचना मुश्किल हो गया है। प्रदेश से लगते राज्यों से कच्चा माल मंगाने पर भी 40 फीसद तक अधिक किराया देना पड़ रहा है। जिसके कारण व्यापार का पूरा गणित गड़बड़ा गया है। तैयार माल की डिमांड भी घट गई। जिले से हर रोज 100 से अधिक ट्रक बोर्ड के तैयार होकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में जाते थे, लेकिन अब उनकी भी संख्या लगातार घट रही है। यह चिंता का विषय है।

कल तक गढ़-गड़ाती प्लाईवुड उद्योग की यह मशीनें कोरोना वायरस की वजह से शांत पड़ चुकी हैं। प्लाईवुड उद्योग का हब कहे जाने वाले यमुनानगर जिले में लगभग एक हजार प्लाई बोर्ड उद्योग हैं। यकीनन इन उद्योगों से हजारों लोगों कि रोजी रोटी भी जुड़ी हुई थी। 

जिले में प्रदेश के अलावा कच्चा माल उत्तर प्रदेश, पंजाब व उत्तराखंड से आता है। अनदेखी के चलते जिले से उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमाओं पर भी प्लाईवुड ईकाईयां स्थापित हो रही है। वहां पर गुजरात, महाराष्ट्र बैंगलोर आदि राज्यों की दूरी यमुनानगर से कम पड़ने के कारण भाड़े का खर्च कम है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो दूसरे राज्यों से आने वाले व्यापारियों का यहां पर आना बंद हो जाएगा।

राहत दी जाए इंडस्ट्री को


संकट के दौर से जूझ रही प्लाइवुड इंडस्ट्री को बचाने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए। चावला के मुताबिक पेट्रोल-डीजल के दाम किए जाए साथ ही जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इंडस्ट्री को विशेष पैकेज दिया जाए, ताकि व्यापारी आगे व्यापार कर सके। क्योंकि दो साल से कोरोना के कारण इंडस्ट्री पिछड़ रही है। लाकडाउन में भी इंडस्ट्री का खर्च कम नहीं हुआ। बिजली की दर कम होनी चाहिए। साथ ही लाकडाउन में लिए गए बिजली बिल, लाइसेंस फीस में राहत दी जाए।

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