Gurjar Kanya Vidya Mandir,Devdhar : कॉलेज में बीए, बीकॉम के लिए 60/60,बीएससी नॉन मेडिकल व कंप्यूटर के लिए 40/ 40 सीटें रखी गई हैं.
कॉलेज में बीए, बीकॉम के लिए 60/60,बीएससी नॉन मेडिकल व कंप्यूटर के लिए 40/ 40 सीटें रखी गई हैं.
ग्रामीण आंचल में नारी शिक्षा
के उद्देश्य को साकार कर रहे गुर्जर कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में प्रवेश के लिए
दूर-दूर से प्रतिवर्ष पढ़ाई करने के लिए छात्राएं आती हैं। जिसका कारण महाविद्यालय
में आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ संस्कारित वैदिक उन्नति पर भी बल दिया जाता है।
महाविद्यालय में विभिन्न कोरस जैसे बीए, बीकॉम, बीएससी नॉन मेडिकल, कंप्यूटर
साइंस विषय उपलब्ध है। शुरू होने जा रहे ऑनलाइन आवेदन के चलते महाविद्यालय में भी
पंजीकरण प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ ममता शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में छात्राओं व अभिभावकों को ऑनलाइन प्रक्रिया की संपूर्ण जानकारी के अभाव के कारण काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसके चलते अपने यहां पंजीकरण कराने वाली छात्राओं के लिए सभी जानकारी प्रदान की जा रही है। जानकारी के अनुसार पंजीकरण के बाद मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी। मेरिट लिस्ट में स्टूडेंट का नाम शामिल होने के बाद 3 दिन के अंदर ऑनलाइन फीस भरी जा सकेगी। यदि दूसरी मेरिट लिस्ट के बाद महाविद्यालय में सीट खाली रहती है तो तीसरी मेरिट लिस्ट भी जारी की जाएगी।
गौरतलब है कि गुर्जर कन्या विद्या मंदिर के संस्थापक श्री ओम प्रकाश पोसवाल गाँधी का जन्म जिला यमुनानगर हरियाणा के माधोबांस नामक गाँव में एक किसान परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम श्री रणजीत सिंह और माता का नाम श्रीमती कमला देवी है। अपने विद्यार्थी काल में महर्षि दयानंद सरस्वती के व्यक्तित्व व कृतित्व का ऐसा गहरा प्रभाव हुआ कि एक साधारण युवक ने असाधारण संकल्प लेकर समाज को दिशा देने का प्रयास शुरू किया। एम. एस. सी. भौतिकी करने के बाद ये सहारनपुर उत्तर प्रदेश के एक महाविद्यालय में प्रवक्ता पद पर प्रतिष्ठित हुए और वहां से स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर स्त्री शिक्षा के लिए कार्य शुरू किया।
अपनी विनम्रता, शालीनता , व्यवहार-कुशलता और लोगों को संगठित करने की क्षमता के कारण अपने संकल्प को मूर्तरूप
देकर 7 अप्रैल 1987 को गुर्जर कन्या विद्या
मन्दिर का शुभारम्भ किया। अपनी स्थापना से लेकर आज तक विद्यालय उन्हीं के प्रबंधन
और मार्गदर्शन में प्रगति के पथ पर अग्रसर है। विद्यालय रुपी पौधा जो आदरणीय गुरु
जी ने लगाया है आज उस पौधे ने एक वट वृक्ष का रूप धारण कर लिया है।