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Khizrabad- गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की जयंती मनाते हुए याद किया उनका बलिदान

 गुर्जर सम्राट मिहिर भोज जयंती 𝐁𝐑𝐄𝐀𝐊𝐈𝐍𝐆

खिजराबाद NEWS गुर्जर समाज के गौरवशाली इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। गुर्जर प्रतिहार वंश के राजाओं ने 835 ई से 888 ई तक शासन किया। देश के अनेक महापुरुषों के बलिदान के कारण वैदिक संस्कृति फल फूल रहे हैं। उक्त विचार गुर्जर कन्या गुरुकुल संस्थान के संस्थापक प्रोफेसर ओम प्रकाश गांधी ने सम्राट मिहिर भोज की जयंती के अवसर पर कहे। इससे पूर्व सम्राट मिहिर भोज के चित्र पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुरुआत की गई।

गुर्जर कन्या गुरुकुल संस्थान देवधर में गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज की जयंती बड़े उत्साह व श्रद्धा पूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाजसेवी ओम प्रकाश गांधी ने कहा कि भारत की वैदिक संस्कृति देश के महापुरुषों वीर हकीकत राय, शिवाजी महाराज, गुरु गोविंद सिंह, बप्पा रावल, सम्राट मिहिर भोज जैसे महापुरुषों के बलिदान के कारण न केवल फल फूल रही है बल्कि इसका विस्तार पूरी दुनिया में हो रहा है। उन्होंने कहा जो जातियां अपने इतिहास को भुला देती है वह जल्द ही नष्ट हो जाती हैं। हमें अपने गौरवशाली अतीत को याद रखना है और मजबूत भविष्य की नींव रखनी है। संस्थान की डायरेक्टर शकुंतला सिंह ने इतिहास का जिक्र करते हुए बताया कि गुर्जर प्रतिहार वंश के राजाओं ने 835 वी से 888 ई तक भारत पर शासन किया। उन्होंने बताया कि नागभट्ट प्रथम के बाद नागभट्ट द्वितीय भारत के सम्राट बने। उनके बाद सम्राट मिहिर भोज ने 20 साल की आयु में विशाल भारत की बागडोर संभाली। उन्होंने बताया कि सम्राट मिहिर भोज ने अरबों की आंधी को न केवल रोका बल्कि बड़े-बड़े हमलावरों के दांत खट्टे किए। उन्होंने बताया कि महिर भोज के बाद उनके बेटे महेंद्र पाल तथा उसके बाद महिपाल देश के शासक बने। शकुंतला ने बताया कि गुर्जर प्रतिहार वंश के राजाओं ने सैकड़ों सालों तक विदेशी हमला।  

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