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Yamunanagar : साइकिलों पर अधिकारियों के साथ उपायुक्त व निगमायुक्त ने चार साइटों का किया निरीक्षण

फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पानी के ट्रीटमेंट को बनेगे दो सीईटीपी, उपायुक्त व निगमायुक्त ने साईकिलों पर चार साइटों का किया दौरा


CITY LIFE HARYANA | यमुनानगर : औद्योगिक नगरी यमुनानगर में फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पानी के ट्रीटमेंट को जिले में दो स्थानों पर सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) लगाए जाएंगे। इसको लेकर उपायुक्त पार्थ गुप्ता व नगर निगम आयुक्त अजय सिंह तोमर ने बुधवार को अन्य अधिकारियों के साथ साइकिलों पर चार स्थानों का दौरा किया। इन चारों स्थानों में से दो स्थानों पर फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पानी के ट्रीटमेंट के लिए सीईटीपी लगाए जाएंगे। हालांकि वे दोनों स्थान कौन से है, अभी तक यह निर्धारित नहीं किया गया है। उपायुक्त व निगमायुक्त का कहना है कि जल्द ही दो स्थान निर्धारित कर उनपर सीईटीपी बनाए जाएंगे। ताकि फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पानी को नहर में न छोड़ा जाए और न ही इससे आसपास क्षेत्र की फसलें खराब हो।

सीईटीपी लगाने को लेकर उपायुक्त पार्थ गुप्ता, नगर निगम आयुक्त अजय सिंह तोमर, नगर निगम एक्सईएन रवि ओबरॉय, पब्लिक हेल्थ के एक्सईएन सुमित गर्ग व एक्सईएन पारिक गर्ग, आरओ पोल्यूशन बोर्ड निर्मल कश्यप गुलाब नगर पहुंचे। यहां उन्होंने गुलाब पार्क के पास पड़ी नगर निगम की जमीन का जायजा लिया। इसके बाद सभी अधिकारी यहां से साइकिलों पर कैल की तरफ रवाना हुआ। यहां कैल कचरा निस्तारण प्लांट के पास सीईटीपी के लिए जगह का जायजा दिया। यहां से सभी अधिकारी मोहन नगर पहुंचे। यहां पर भी सीईटीपी के लिए जगह देखी गई। इसके बाद अधिकारियों का ‌काफिला परवालों स्थित एसटीपी पर पहुंचा। जहां पब्लिक हेल्थ की जगह पर सीईटीपी के लिए जगह देखी गई। इसके अलावा जम्मू कॉलोनी स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के नजदीक भी सीईटीपी के लिए जगह देखी गई। नगर निगम आयुक्त अजय सिंह तोमर ने बताया कि प्रशासन की ओर से दो स्थानों पर फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित जल के ट्रीटमेंट के लिए सीईटीपी लगाए जाने की योजना है। आज इसी को लेकर कई स्थानों का दौरा किया गया। उन्होंने बताया कि फैक्ट्रियों से निकलने के बाद पानी इतना अधिक दूषित हो जाता है कि उसका प्रयोग किसी मानवीय कार्य के लिए नहीं किया जा सकता और न फसलों के लिए किया जा सकता है। इस पानी को सीधे नहर या नदी में छोड़ने से भी अनेक दुष्परिणाम हो सकते है। इस पानी के ट्रीटमेंट के लिए सीईटीपी में छनन, सेडीमेंटेशन व फ्लोटेशन प्रक्रिया द्वारा ट्रीटमेंट किया जाता है।

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