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Radaur- चार साहिबजादों की शहीदी पर गुरबाणी प्रतियोगिता व कवि दरबार का आयोजन

गुरु गोविंद के साहिबजादों का शहीदी दिवस



रादौर 
News
  चार साहिबजादा सेवा सोसायटी की ओर से गुरूद्वारा बाबा बंदा सिंह बहादुर में चार साहिबजादों की शहीदी पर गुरबाणी प्रतियोगिता व कवि दरबार का आयोजन किया गया। जिसमें बच्चों के अलावा अन्य लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सरंक्षक त्रिलोचन सिंह टोची व प्रधान सतविंद्र सिंह रिंकू ने की। बच्चों की प्रतियोगिता में दिवजोत सिंह प्रथम, बलप्रीत कौर द्वितीय व अनविक्षा चौधरी ने तृतीय स्थान हासिल किया। जबकि वरिष्ठ जनों की प्रतियोगिता में मा. गुरचरण सिंह प्रथम रहे। वहीं रेखा सैनी द्वितीय व ओपिता व सहज कौर तृतीय स्थान पर रही। सोसायटी की ओर से उन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

त्रिलोचन सिंह टोची व सतविंद्र सिंह ने कहा कि हिंदू धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर ने बलिदान दिया था। उन्हीं के पदचिह्नों पर चलते हुए भारत की आन, बान और शान के लिए बाबा अजीत सिंह और जुझार सिंह मुगलों के साथ युद्ध करते हुए शहीद हुए। उन्होंने गुरुवाणी की पंक्ति 'सूरा सो पहचानिए, जो लरै दीन के हेत, पुरजा पुरजा कट मरै, कबहू ना छांड़े खेतÓ को सच किया। जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम कबूल नहीं करने की वजह से जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया। उनकी दादी मां गुजर कौर को किले के ऊंचे बुर्ज से धक्का देकर शहीद कर दिया। इस तरह देश और धर्म की रक्षा में गुरु गोविंद सिंह महाराज का सारा परिवार शहीद कर दिया गया। उन्होंने धर्म व देश की रक्षा के लिए निस्वार्थ शहीदी दी। आज गुरूओं व महापुरूषों का जीवन हमें मानवता का पाठ सीखा रहा है। हमें उनके दिखाई राह पर चलते हुए जग भलाई का कार्य करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। इस अवसर पर सचिन राणा, अभयजोत सिंह, साहब सिंह, चरणसिंह, बख्शीश सिंह इत्यादि उपस्थित थे। 

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