गुरु गोविंद के साहिबजादों का शहीदी दिवस
त्रिलोचन सिंह टोची व सतविंद्र सिंह ने कहा कि हिंदू
धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर ने बलिदान दिया था। उन्हीं के पदचिह्नों पर
चलते हुए भारत की आन, बान और शान के लिए बाबा अजीत सिंह और जुझार सिंह मुगलों के साथ
युद्ध करते हुए शहीद हुए। उन्होंने गुरुवाणी की पंक्ति 'सूरा सो पहचानिए, जो लरै दीन के हेत, पुरजा पुरजा कट मरै, कबहू ना छांड़े खेतÓ को सच किया। जोरावर
सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम कबूल नहीं करने की वजह से जिंदा दीवार में चुनवा दिया
गया। उनकी दादी मां गुजर कौर को किले के ऊंचे बुर्ज से धक्का देकर शहीद कर दिया।
इस तरह देश और धर्म की रक्षा में गुरु गोविंद सिंह महाराज का सारा परिवार शहीद कर
दिया गया। उन्होंने धर्म व देश की रक्षा के लिए निस्वार्थ शहीदी दी। आज गुरूओं व महापुरूषों
का जीवन हमें मानवता का पाठ सीखा रहा है। हमें उनके दिखाई राह पर चलते हुए जग भलाई
का कार्य करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। इस अवसर पर सचिन राणा, अभयजोत सिंह, साहब सिंह, चरणसिंह, बख्शीश सिंह इत्यादि
उपस्थित थे।
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