• किसानों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जायेगी, न देश इसको भूलेगा - दीपेंद्र हुड्डा
• समस्या ये नहीं है कि सरकार के पास लिस्ट नहीं है, बल्कि समस्या ये है कि सरकार की नीयत मदद करने की नहीं है - दीपेंद्र हुड्डा
• सरकार न तो इस कटु सत्य को स्वीकारना चाहती है कि किसान आंदोलन में करीब 700 किसानों की जान गयी, न ही उनको मान्यता देना चाहती है - दीपेंद्र हुड्डा
• सरकार सभी दिवंगत किसानों को श्रद्धांजलि दे और किसान परिवारों को मुआवजा व नौकरी दे - दीपेंद्र हुड्डा
• किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस हों, एमएसपी की क़ानूनी गारंटी समेत किसानों की सभी लंबित मांगें पूरी हों- दीपेंद्र हुड्डा
उन्होंने यह भी कहा कि ये बड़ी आश्चर्यजनक बात है कि किसान आन्दोलन के दौरान किसानों पर कितने केस दर्ज हुए हैं इनका रिकार्ड भी सरकार के पास नहीं है। केस तो थाने में दर्ज होते हैं किसी प्राईवेट संस्था के पास नहीं। ऐसे में कोई भी जिम्मेदार सरकार ये कैसे कह सकती है कि उसे नहीं पता कितने केस दर्ज हुए हैं।
दीपेंद्र हुड्डा ने बताया कि वो लगातार 2 दिनों से राज्य सभा में नियम 267 के तहत कामरोको प्रस्ताव दे रहे हैं ताकि किसानों के मुद्दे पर चर्चा करायी जाए, लेकिन उनकी मांग अनसुनी की जा रही है। उन्होंने मांग करी कि सरकार सभी दिवंगत किसानों को श्रद्धांजलि दे और किसान परिवारों को मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को नौकरी दे। इसके अलावा, किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस हों और एमएसपी की क़ानूनी गारंटी समेत किसानों की सभी लंबित मांगें पूरी हों।
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