प्रदेश में सभी संसाधनों से 8500 मेगावॉट उपलब्ध
एक प्रश्न के उत्तर में बिजली मंत्री ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में सभी संसाधनों से 8500 मेगावॉट उपलब्ध है, जबकि बिजली की मांग लगभग 8300 मेगावॉट प्रतिदिन की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पीक आवर की अवधि 15 जून से 20 जुलाई अर्थात एक महीने तक मानी जाती है। जुलाई में केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा व पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में मानसून पहले ही आ जाता है। इसलिए उन राज्यों से उत्तरी भारत के राज्य बिजली लेते हैं क्योंकि वहां उन समय बिजली की अतिरिक्त मांग नहीं होती है। राज्यों को यह बिजली नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर के माध्यम से सम्प्रेषित की जाती है तथा यह व्यवस्था वर्ष 2013 में की गई थी जब भूपेन्द्र सिंह हुडï्डा प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, जबकि रणदीप सुरजेवाला प्रदेश में कैबिनेट मंत्री थे। उस समय उन्होंने ही यह निर्णय लिया था और अब वे अपने द्वारा लिये गए निर्णय को ही भूल गए। बेहतर होता कि वे अपनी यादाश्त दुरूस्त रखते। अब वे राजनीतिक लोकप्रियता के लिए तथ्यों से परे ब्यानबाजी कर रहे हैं।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में चौ० रणजीत सिंह ने कहा कि खेदढ़ स्थित राजीव गांधी ताप बिजली परियोजना में थर्मल राख पहले एनजीटी के नियमों के अनुसार प्लांट अपने स्तर पर ढुलाई करता था। लेकिन अब यह निर्णय लिया गया है कि इस कार्य के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। वहां स्थित गौशाला एक धार्मिक संस्थान द्वारा चलाई जा रही है और उसे राख उठाने का कार्य निविदा प्रक्रिया से हटकर नहीं दिया जा सकता है।