अग्निपथ योजना तुरंत रद्द कर देश के युवाओं से माफ़ी माँगे सरकार और सेना में खाली पड़े डेढ़ लाख पदों पर 3 साल से बंद भर्ती खोले..?
Highlights
भाजपा सरकार जवान को और दमनकारी हथकंडों से जुबान को भी खत्म करना चाहती है
हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा करने वाली भाजपा अब हर साल 46000 अग्निवीरों में से सिर्फ 25 प्रतिशत यानी 11500 को ही नौकरी ही देगी
केंद्र सरकार के विभागों में ग्रुप-सी में 10 और ग्रुप-डी में 20 प्रतिशत आरक्षण पहले से लेकिन पूर्व सैनिकों की भर्ती हुई महज 1.29 और 2.66 प्रतिशत
4 साल बाद निकाले गये 75 प्रतिशत अग्निवीरों को दूसरे विभागों में 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा एक और जुमला
अभिव्यक्ति पर पुलिसिया पहरेदारी व सरकारी अंकुश प्रजातंत्र में अस्वीकार्य
जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण धरने में शामिल होने जा रहे हरियाणा कांग्रेस के विधायकों, नेताओं को हिरासत में लेना निंदनीय
हरियाणा, डिजिटल डेक्स।। केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना का मुखर विरोध करते हुए सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज कहा कि भाजपा सरकार पहले किसान के पीछे पड़ी अब जवान के पीछे पड़ गयी है। लेकिन सरकार किसी मुगालते में न रहे देश के किसान ने तो दिखा ही दिया और अब देश के जवान भी दिखा देंगे कि वो पीछे हटने वाले नहीं है।
सरकार को हर हाल में ये योजना वापस लेनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। भाजपा उस नारे को खत्म करने के लिये किसान के बाद देश के जवान को भी खत्म करना चाहती है और दमनकारी हथकंडों से जुबान को भी खत्म करना चाहती है। भाजपा देश को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही है परन्तु देश के लोग बहुत समझदार हैं।
पिछली बार किसान भाजपा की चाल को समझ गये, इस बार की चाल देश के नौजवान समझ गये। सरकार के विरोध में जुबान खोलने पर भाजपा ईडी, आईटी, सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों को पीछे लगाकर उत्पीड़न शुरु कर देती है। उन्होंने कहा कि 2014 चुनाव से पहले रेवाड़ी में भाजपा ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ का नारा लगाकर वोट बटोरे थे, लेकिन अपने नारे को पलटकर अब वो ‘नो रैंक, नो पेंशन’ की योजना लागू कर रही है।
अग्निपथ योजना न देशहित में है, न
देश सुरक्षा के, न ही
युवाओं के भविष्य के हित में है। उन्होंने मांग करी कि अग्निपथ योजना तुरंत रद्द
कर देश के युवाओं से माफ़ी माँगे सरकार और और सेना में खाली पड़े डेढ़ लाख पदों पर 3 साल से बंद पड़ी भर्ती को
खोले।
दीपेंद्र हुड्डा ने अग्निपथ योजना, केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण धरने में हिस्सा लेने जा रहे हरियाणा कांग्रेस के विधायकों, नेताओं और हजारों कार्यकर्ताओं को सिंघु बॉर्डर, कुंडली बार्डर समेत राजधानी की सीमाओं पर रोके जाने, उन्हें हिरासत में लेकर थाने ले जाने की कड़ी निंदा करते हुए सरकार से सवाल किया कि क्या देश में प्रजातंत्र समाप्त हो चुका है.?
जनता की अभिव्यक्ति पर पुलिसिया पहरेदारी व सरकारी अंकुश प्रजातंत्र में अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि सरकार की यह योजना युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने वाली है। किसी दूसरे देश में फ़ौज में भर्ती होना युवाओं के जीवन का पहला लक्ष्य नही होता, जैसे भारत में किसान-गरीब के घर पैदा हुए युवा का होता हैं। फौज कभी एडहॉक नहीं होती, क्या किसी ने कभी कच्ची फौज देखी है?
उन्होंने भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय द्वारा अग्निवीरों को भाजपा कार्यालय में चौकीदार लगाने के बयान को शर्मनाक बताते हुए उसकी कड़ी भर्त्सना की और कहा कि क्या ‘भारतीय फ़ौजी’ होने का गौरव अब ‘भाजपा कार्यालय के चौकीदार’ होने के बराबर है.?
भाजपा के नेताओं ने सेना पर राजनीति तो बहुत की, लेकिन देशभक्ति की उस पवित्र भावना को कभी नही समझ सके जो उस युवा के रक्त में बह रही है जो फ़ौज में भर्ती होने के लिए सुबह 𝟒 बजे दौड़-कसरत पर निकलता है। सरकार सैनिक बनकर देश सेवा करने के युवाओं के पवित्र सपने का कत्ल कर रही है। इसलिए युवा विरोध कर रहे हैं और हम युवाओं के साथ खड़े हैं।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा ने युवाओं को हर साल 𝟐 करोड़ रोजगार देने का वायदा किया था। 𝟖 साल में 𝟏𝟔 करोड़ नौकरियां मिलनी चाहिए थी। देश के करीब 𝟑𝟐 करोड़ घर हैं और भाजपा के वादे के हिसाब से हर दूसरे घर में एक नौकरी मिलनी चाहिए थी।
लेकिन 𝟏𝟔 करोड़ नौकरियों की बजाय अब सरकार हर साल 𝟒𝟔𝟎𝟎𝟎 भर्तियां करेगी, इसका 𝟐𝟓 प्रतिशत करीब 𝟏𝟏𝟓𝟎𝟎 होता है। यानी 𝟏𝟏,𝟓𝟎𝟎 जवानों को ही 𝟒 साल बाद सेना में रखा जायेगा। इसके अलावा सरकार अग्निवीरों को सीएपीफ में 𝟏𝟎 प्रतिशत कोटा देने की बात कह रही है। क्या सेना से 𝟒 साल बाद निकाले गये सभी 𝟕𝟓 प्रतिशत अग्निवीरों को इस कोटे में नौकरी मिल जायेगी..?
ये भाजपा काएक और जुमला है क्योंकि केंद्र सरकार हर महकमें में पदों को तेजी से खत्म कर रही है या भर्तियों की संख्या घटाती जा रही है। आज ही छपी खबरों में मुताबिक सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि सरकारी नौकरियों में पूर्व सैनिकों के लिए रिजर्व वैकेंसी की तुलना में काफी कम भर्तियां की गई हैं।
रक्षा मंत्रालय के तहत पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के मुताबिक, पुनर्वास महानिदेशालय (डीजीआर) के पास उपलब्ध आंकड़े (𝟑𝟎 जून, 𝟐𝟎𝟐𝟏 तक) बताते हैं कि केंद्र सरकार के विभागों में ग्रुप-सी में 𝟏𝟎 प्रतिशत आरक्षण और ग्रुप-डी में 𝟐𝟎 प्रतिशत आरक्षण पहले से ही पूर्व सैनिकों के लिये तय है।
जिसमें केंद्र सरकार के 𝟕𝟕 विभागों में से 𝟑𝟒 में ग्रुप-सी में कुल संख्या 𝟏𝟎,𝟖𝟒,𝟕𝟎𝟓 भर्तियों में से महज 𝟏𝟑,𝟗𝟕𝟔 यानी 𝟏.𝟐𝟗 फीसदी और ग्रुप-डी में 𝟑,𝟐𝟓,𝟐𝟔𝟓 कर्मचारियों में से महज 𝟖,𝟔𝟒𝟐 यानी 𝟐.𝟔𝟔 फीसदी पर ही भर्ती की गई है।
इसी तरह सीएपीएफ/सीपीएमएफ में सहायक कमांडेंट के स्तर तक सीधी भर्ती में भूतपूर्व सैनिकों के लिए 𝟏𝟎 फीसदी का कोटा पहले से तय है, लेकिन, सीएपीएफ/सीपीएमएफ की कुल संख्या में, ग्रुप-सी में पूर्व सैनिकों की संख्या केवल 𝟎.𝟒𝟕 फीसदी (कुल 𝟖,𝟖𝟏,𝟑𝟗𝟕 में से 𝟒,𝟏𝟒𝟔) थी तो ग्रुप-बी में 𝟎.𝟖𝟕 फीसदी थी (𝟔𝟏,𝟔𝟓𝟎 में से 𝟓𝟑𝟗); और ग्रुप-ए में 𝟐.𝟐𝟎 फीसदी (𝟕𝟔,𝟔𝟖𝟏 में से 𝟏,𝟔𝟖𝟕) आरक्षित लोग ही नौकरियों पर रखे गए थे।
इसके अलावा केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में पूर्व सैनिकों के लिए ग्रुप-सी के लिए 𝟏𝟒.𝟓 फीसदी पदों में और ग्रुप-डी के 𝟐𝟒.𝟓 फीसदी पदों में कोटा तय है। लेकिन, डीजीआर के आंकड़ों के मुताबिक ग्रुप-सी में महज 𝟏.𝟏𝟓 फीसदी (कुल 𝟐,𝟕𝟐,𝟖𝟒𝟖 में से 𝟑,𝟏𝟑𝟖) व 𝟏𝟕𝟎 सीपीएसयू में से 𝟗𝟒 में ग्रुप-डी की संख्या का 𝟎.𝟑 फीसदी (𝟏,𝟑𝟒,𝟕𝟑𝟑 में से 𝟒𝟎𝟒) पूर्व सैनिकों को ही भर्ती मिल पायी। इससे स्पष्ट है कि केंद्र सरकार द्वारा दूसरे विभागों में अग्निवीरों को नौकरी देने के नाम पर गुमराह करने का प्रयास कर रही है।

