अधिवक्ता वरयाम सिंह यमुना नदी में हो रहे अवैध खनन और ओवरलोड में भ्रष्टाचार की अधिकारियो में मिलीभगत को लेकर वह पिछले कई वर्षो से आवाज उठा रहे है
जिससे एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में आ सकता है। इस समय हाईकोर्ट के यह निर्देश इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि कुछ दिनों पहले ही जिले में ओवरलोड़ वाहन चालकों से वूसली किए जाने के आरोप में बड़े अधिकारियों पर गाज गिरी है। जिससे एक बार फिर प्रशासन में हडकंप मचता दिखाई दे रहा है।
यह है मामला
यह है मामला
अधिवक्ता वरयाम सिंह यमुना नदी में हो रहे अवैध खनन और ओवरलोड में भ्रष्टाचार की अधिकारियो में मिलीभगत को लेकर वह पिछले कई वर्षो से आवाज उठा रहे है। 2019 से उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में सीबीआई जांच करवाने की मांग की थी।
2 बार जांच हुई पर निर्णय नहीं आया। हर बार जांच प्रभावित हुई तो इसको लेकर उन्हें माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटकटाने पर विवश होना पड़ा। जिस पर डबल बैंच ने जिला यमुनानगर के उपायुक्त और रादौर के उपमंडल अधिकारी को उक्त शिकायत को 6 हफ्ते में जांच कर निर्णायक आदेश पारित करने के आदेश दिए थे।
जिसमें वरयामसिंह ने 200 से अधिक पन्नों के सबूत भी पेश किए, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश में निर्धारित समय में भी जिला उपायुक्त यमुनानगर एवं उपमंडल अधिकारी रादौर ने कोई उपयुक्त कार्रवाई नहीं की। अब न्यायालय ने दो हफ्तों में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
इसलिए कर रहे है सीबीआई जांच की मांग
इसलिए कर रहे है सीबीआई जांच की मांग
वरयामसिंह का कहना है कि अवैध खनन व ओवरलोड़ दोनों अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। यह बात डीटीओ व अन्य कर्मचारियों के विजिलैंस द्वारा पकड़े जाने के मामले ने प्रमाणित भी कर दी है। इसी बात को वह वर्षो से अधिकारियों व सरकार को बताने का प्रयास कर रहे थे लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी।
अब मामला सभी के सामने है। वरयामसिंह ने कहा कि इस मामले में अधिकारियों के साथ साथ बडे नेता भी संलिप्त है। यही कारण है कि जब स्टेट की कोई एजेंसी अगर इस मामले की जांच करने का प्रयास करती है तो वह जांच नेताओं के प्रभाव में प्रभावित हो जाती है। जिससे पूरे मामले का खुलासा नहीं हो पाता। इसलिए उनके द्वारा सीबीआई जांच करवाने की मांग की जा रही है। ताकि मामले की स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच हो सके।
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