बीज किसानो को पहले करीब साढ़े 1100 रूपए में उपलब्ध हो रहा था
इतना ही नहीं डीएपी खाद के साथ भी किसानों पर सल्फर, फूट की थैली व नेनो यूरिया जबरन थोपा जा रहा है। लेकिन विभाग इस पर कोई एक्शन नहीं ले रहा है। जिससे किसानों का शोषण हो रहा है। किसानों ने जिला उपायुक्त से इस मामले में सख्त निर्देश जारी करने की मांग की है।
किसान रत्तन सिंह, रोशन, सतीश कुमार, घनश्याम, गुरनाम सिंह, धर्मपाल, बीर सिंह, का कहना है कि गत वर्ष शिमला मिर्च की खेती में किसानों का मुनाफा बढ़ा था। जिस कारण इस बार शिमला मिर्च की खेती की तरफ किसानों का रूझान पहले के मुकाबले बढ़ा है। इस समय किसानों को शिमला मिर्च की पनीरी तैयार करने के लिए बीज की जरूरत है।
किसान रत्तन सिंह, रोशन, सतीश कुमार, घनश्याम, गुरनाम सिंह, धर्मपाल, बीर सिंह, का कहना है कि गत वर्ष शिमला मिर्च की खेती में किसानों का मुनाफा बढ़ा था। जिस कारण इस बार शिमला मिर्च की खेती की तरफ किसानों का रूझान पहले के मुकाबले बढ़ा है। इस समय किसानों को शिमला मिर्च की पनीरी तैयार करने के लिए बीज की जरूरत है।
ऐसे में दुकानदार बीच की किल्लत दिखाने लगे है और जो बीज किसानो को पहले करीब साढ़े 1100 रूपए में उपलब्ध हो रहा था वहीं बीज अब किसानों को 1500 रूपए में बेचा जा रहा है। अगर किसान इस रेट पर बीज लेता है तो फिर बाजार में बीज की किल्लत जैसी कोई बात नजर नहीं आती।
यह केवल किसानों का शोषण करने की नीति है। वहीं दूसरी ओर किसान पर डीएपी खाद के साथ अन्य दवाईयां व सामान भी थोपा जा रहा है। किसान अगर इसे लेने से मना करते है तो उन्हें खाद देने से मना कर दिया जाता है। हैरत की बात यह है कि यह कार्रवाई खुलेआम हो रही है लेकिन विभाग व प्रशासन की ओर से अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
जबकि होना यह चाहिए कि संबंधित विभाग को बीज व खाद के मूल्यों की सूची जारी करनी चाहिए और दुकानदारों को निर्देश देने चाहिए कि वह किसानों से इससे अधिक के पैसे न ले। वहीं खाद के साथ जबरन दिए जा रहे सामान पर भी रोक लगनी चाहिए।
मामले को लेकर बागवानी विभाग के एचडीओ गगनप्रीत सिंह ने कहा कि बीज अधिक दामों पर दिए जाने का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। अगर किसानों को महंगे दामों पर बीज बेचा जा रहा है, तो वह इसकी जांच करवाएगें। अगर जांच में कोई दुकानदार ऐसा करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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