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𝐃𝐑𝐘 𝐇𝐀𝐓𝐇𝐍𝐈 𝐊𝐔𝐍𝐃: हथनी कुंड बैराज पर जल संकट.. मात्र 𝟑𝟐𝟎𝟎 क्यूसिक पानी.. करनी पड़ सकती है 𝐔𝐏 की सप्लाई बंद


हथनी कुंड बैराज पर नदी जल बहाव सिमटकर नाले का रूप ले चुका है, घटते जलस्तर के कारण बैराज से किसी भी समय उत्तर प्रदेश की सप्लाई बंद करनी पड सकती है.



यमुनानगर, डिजिटल डेक्स।। अब बात करते है हरियाणा के यमुनानगर की तो ध्‍यान आता है हथनीकुड बैराज.. जी हा, पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी तेज हुई तो हरियाणा की लाइफलाइन यमुना नदी को भी सुखा दिया है… यमुना नदी के केचमेंट एरिया में बरसात की कमी के कारण हथनी कुंड बैराज पर नदी जल बहाव सिमटकर 𝟑𝟎𝟎𝟎 क्यूसिक के आसपास बना हुआ है। 

नदी में पानी की उपलब्धता कम हो जाने के कारण साझेदार राज्यों को मांग के मुताबिक पानी की आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। घटते जलस्तर के कारण बैराज से किसी भी समय उत्तर प्रदेश की सप्लाई बंद करनी पड सकती है।

लंबे समय से बरसात नही होने तथा पानी की उपलब्धता कम हो जाने के कारण हथनी कुंड बैराज पर नदी जल बहाव सिमटकर नाले का रूप ले चुका है। बैराज पर नदी जल बहाव घटकर मात्र 𝟑𝟐𝟎𝟎 क्यूसिक रह गया है। सिंचाई विभाग के हथनीकुंड कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के मुताबिक बीते 𝟏 सप्ताह से नदी जल बहाव 𝟑𝟎𝟎𝟎 क्यूसिक के आसपास बना हुआ है। 

उपलब्ध पानी में से दिल्ली को पेयजल के लिए 𝟕𝟔𝟏 क्यूसिक पानी की आपूर्ति की जा रही है। 

यूपी राज्य की 𝟒𝟎𝟎𝟎 क्यूसिक पानी की मांग के बदले केवल 𝟒𝟔𝟗 क्यूसिक पानी ही मिल पा रहा है। 

हरियाणा को 𝟕𝟎𝟎𝟎 क्यूसिक पानी की डिमांड के बदले केवल 𝟏𝟓𝟑𝟗 क्यूसिक पानी की आपूर्ति की जा रही है।

यमुना नदी के जल बहाव को निरंतर बनाए रखने के लिए बैराज से 𝟑𝟓𝟐 क्यूसिक पानी फिर से नदी में छोड़ा जा रहा है। 

जानकारों के मुताबिक यदि अगले कुछ दिनों में पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी तेज हुई तो जल बहाव के और अधिक घट जाने की आशंका है। सिंचाई विभाग के मुताबिक यदि पानी की यही स्थिति आगामी कुछ दिनों तक बनी रही तो सिंचाई के लिए जल संकट खड़ा हो सकता है। 

यहां आपकों बता दे कि 𝟏𝟐 मई 𝟏𝟗𝟗𝟒 में हथनीकुंड बैराज का शिलान्यास किया गया था.. उस समय हरियाणा के सीएम भजनलाल के अलावा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत, दिल्ली के सीएम मदनलाल खुराना के अलावा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह मौजूद थे.. पांचों राज्यों के सीएम की मौजूदगी में हथनीकुंड बैराज बनने के बाद यहां से होने वाले पानी के वितरण को लेकर भी सीमा तय की गई थी।

बिजली उत्पादन पर पड़ रहा है विपरीत प्रभाव

यमुना नदी जल पर आधारित 𝟔𝟐. 𝟒 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता की पश्चिमी यमुना नहर जल परियोजना के सभी चारों बिजली घरों में बिजली उत्पादन कम हो गया है। गौरतलब है कि चारों पावर हाउस की आठों यूनिट्स के लिए 𝟓𝟒𝟎𝟎 क्यूसिक पानी की जरूरत पड़ती है। लेकिन हाइडल लिंक चैनल को केवल 𝟐𝟑𝟎𝟎 क्यूसिक पानी ही मिल पा रहा है। पानी की कमी के चलते बिजली उत्पादन घटकर लगभग आधा रह गया है।


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