गन्ने की मूल्य निर्धारित करने और गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी को किसानों का हल्ला बोल
यमुनानगर में सरस्वती शुगर मिल के यार्ड में किसानों का धरना प्रदर्शन
महापंचायत के बाद शुगर मिलों की ताला बंदी का भी ले सकते है निर्णय
यमुनानगर | NEWS - गन्ने की मूल्य निर्धारित करने और गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी को लेकर प्रदेश में आज किसानों ने सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। यमुनानगर में सरस्वती शुगर मिल के यार्ड में किसान धरना प्रदर्शन कर रहे है। किसान नेताओ का कहना है कि यदि सरकार ने जल्द गन्ने का मूल्य निर्धारित नही किया तो किसान आंदोलन की तरह किसान बड़ा आंदोलन करेंगे। वही उन्होंने कहा की 28 दिसबंर को मंत्रियों,विधायको के निवास पर गन्ने की ट्रालिया लेकर प्रदर्शन करेंगे और महापंचायत के बाद शुगर मिलों की ताला बंदी का निर्णय भी ले सकते है। उन्होंने कहा की सरकार पता नही क्यों लापरवाही कर रही है बेवजह किसानों को परेशान किया जा रहा है।
भारतीय किसान यूनियन ने गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी को लेकर प्रदर्शन किया। भाकियू के बैनर तले किसानों ने सरस्वती शुगर मिल यमुनानगर के गन्ना यार्ड में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। किसानों ने इस दौरान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसान नेताओ ने कहा कि शुगर मिलों को चलते हुए एक महीने से ऊपर का समय हो चुका है लेकिन हरियाणा सरकार ने गन्ने का मूल्य निर्धारित नहीं किया। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। किसान को प्रतिदिन हजारों रुपए खर्च कर शुगर मिलों में गन्ना पहुंचा रहे हैं।
उन्होंने कहा की आज 2 घंटे का सांकेतिक धरना दिया जा रहा है अगर सरकार ने हमारी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया तो आने वाली 28 तारीख को किसान गन्ने की ट्राली को लेकर मंत्रियों, विधायकों के निवास का घेराव करेंगे और वहां पर प्रदर्शन करेंगे। तो वही किसानों ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि सरकार किसानों को बेवजह परेशान ना करें अन्यथा पूरे हरियाणा में किसान महापंचायत बुलाएंगे जिसमे शुगर मिलों की तालाबंदी का भी निर्णय लिया जा सकता है।
आज पूरे हरियाणा की शुगर मिलों में भारतीय किसान यूनियन के द्वारा 2 घंटे का धरना दिया जा रहा है और उसके बाद एसडीएम को सरकार के नाम ज्ञापन देकर मांग की जाएगी की सरकार 450 रू प्रति क्विंटल गन्ने का भाव तय करें और जल्द किसानों का भुगतान शुरू करें। अगर हरियाणा सरकार जल्द गन्ने का मूल्य तय नहीं करती तो मजबूर होकर किसानों को आंदोलन शुरू करना पड़ेगा।