स्वदेशी को अपनाना है - देश को आगे बढ़ाना है
REPORT BY : RAHUL SAHAJWANI
यमुनानगर | NEWS - स्वदेशी खादी प्रोडक्ट्स ने 74वे गणतंत्र दिवस के अवसर पर खादी को हर वर्ग और हर आयु के लोगों तक पहुंचाने के लिए एक फैशन शूट का आयोजन किया। जिसमें इंडियन मीडिया सेंटर की जिला अध्यक्ष रजनी सोनी व उपाध्यक्ष राहुल सहजवानी ने भाग लिया। इस फैशन शूट का उद्देश्य युवा पीढ़ी को खादी की तरफ आकर्षित करना है। स्वदेशी खादी प्रोडक्ट की प्रोपराइटर मीतू सलूजा ने मीडिया से बात करते हुए बताया की खादी को हर वर्ग व हर आयु के व्यक्ति को अपनाना चाहिए। ऐसा इसलिए की खादी हमारे देश की विरासत है, खादी का इतिहास इतना पुराना है जितना कि हमारी आजादी का। इसलिए हमें खादी को अपनाकर गांधी जी के सपने को साकार करना है। गांधीजी के अनुसार खादी को अपनाने से हमारे देश की आय व्यवस्था में सुधार होगा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हमें स्वदेशी अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर जगाधरी स्तिथ स्वदेशी खादी प्रोडक्ट ने खादी पर जिला वासियों के लिए भारी छूट दी है।
Khadi History : खादी शब्द महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन की एक तसवीर को जोड़ता है। यह बात तो हम सभी जानते हैं कि खादी लंबे समय तक देश के स्वतंत्रता संग्राम और राजनीति से जुड़ी रही है। खादी एक कपड़ा है जो हाथ से काता जाता है और हाथ से बुना जाता है, यह आमतौर पर सूती फाइबर से बुना जाता है। हालांकि खादी को रेशम और ऊन से भी बनाया जाता है, जिसे खादी रेशम या ऊनी खादी से भी जाना जाता है। खादी कपड़े को इसकी बनावट, आरामदायक एहसास और गर्मियों में लोगों को ठंडा रखने की क्षमता के लिए जाना जाता है।
मुगल शासकों ने भी किया खादी का इस्तेमाल
अलेक्जेंडर ने भारत पर आक्रमण के समय मुद्रित और चित्रित कपास की खोज की। व्यापार मार्ग की स्थापना के साथ एशिया और यूरोप के कई हिस्सों में कपास का नया परिचय हुआ। मुगल शासक भी खादी के इस्तेमाल से अछूते नहीं रहे थे, उन्होंने अपनी कारीगरी और कढ़ाई के साथ खादी का नया निर्माण किया। आज इस कढ़ाई के गिट्टी, जंगीरा पाश्नी, बखिया, खताओ जैसे कई रूप देखने को मिलते हैं।