आज स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है, सुभाषचंद्र बोस के जन्मदिन को भारत सरकार द्वारा पराक्रम दिवस के रूप में भी मनाया जा रहा है, सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक में एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था !
रादौर, डिजिटल डेक्स।। गांव गुमथला राव स्थित इंकलाब मंदिर में आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाषचंद्र बोस का बलिदान दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर मंदिर संस्थापक अधिवक्ता वरयाम सिंह के नेतृत्व में लोगों ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र का योगदान भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने नारा दिया था कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा।
नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को जिला कटक (उड़ीसा)में हुआ था। बचपन से उनकी माता उनको धार्मिक विचारों वाली कहानियां सुनाती थी।
उन्होंने 1913 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। नेताजी शुरू से ही क्रांतिकारी विचारो वाले थे। क्रांतिकारी आंदोलनों के कारण उनको कई बार जेल भी जाना पड़ा।
ब्रिटिश सरकार हमेशा उनके संगठित करने वाले विचारों से भय रहता था। सितंबर 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के चलते भारत रक्षा कानून के तहत नेता सुभाषचंद्र बोस को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।
बाद में उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया। 19 जुलाई 1943 को सुभाषचंद्र बोस ने सिंगापुर में भारतीयों की एक विशाल जनसभा को संबोधित किया और कहा कि विदेशों में रह रहे सभी भारतीयों को एकजुट होकर स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेना चाहिए।
नेता के विचारों से प्रभावित होकर दक्षिण पूर्व एशिया में भी क्रांति की लहर आई। स्वतंत्रता के लिए सहायता केवल सोवियत संघ से मिल सकती है।
जिसके लिए उन्होनें रूस यात्रा का कार्यक्रम बनाया और ताईवान के ताईहोको हवाई अड्डे से 18 अगस्त 1945 को सोवियत संघ जाने के लिए उड़ान भरी और कुछ समय बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसके बाद नेता सुभाषचंद्र बोस का कही कुछ पता नही चला। उन्होंने कहा कि हमें शहीदों के बलिदान व शौर्य को कभी भुलाना नहीं चाहिए।
इस अवसर पर रत्तन सिंह, बलजीत सिंह, पंकज, अधिवक्ता सर्वजीत सिंह, गुरनुर सिंह, लक्ष्य बत्तरा, गुरमुख सिंह, अवतार सिंह, कुलवंत सिंह इत्यादि मौजूद रहे।