हनुमान जी लंका से वपिस आते है और श्री राम को सारा वृतांत सुनाते है तो सारी सुग्रीव सेना बड़ी क्रोधित होती है !
जिसमें दर्शाया गया कि जब हनुमान जी लंका से वपिस आते है और श्री राम को सारा वृतांत सुनाते है तो सारी सुग्रीव सेना बड़ी क्रोधित होती है।
सभी तुरंत ही लंका पर आक्रमण करने की बात कहते है। तब श्री राम उन्हें समझाते है कि युद्ध से पहले एक बार दूत भेजना जरूरी है।
क्योंकि युद्ध से बड़ी जान माल की हानि होती है। तब सभी इस बात पर सहमत हो जाते है और बाली के पुत्र अंगद को दूत बनाकर लंका भेजा जाता है।
अंगद जब रावण के समक्ष जाता है तो वह रावण से कहता है कि अगर तुम अपने व लंका के विनाश को बचाना चाहते हो तो माता सीता को श्री राम को लौटा दो और माफी मांग लो।
इससे तुम्हारी जान बच जाएगी। तब रावण उसे डराता धमकाता है और मारने की धमकी देता है। जिस पर अंगद उसे कहता है कि रावण उसे मारना तो दूर की बात उसका एक पांव भी तुम हिला नही सकते।
तब अंगद रावण दरबार मे अपना एक पांव जमा लेता है। दरबार मे बैठे सभी योद्धा अगंद के पांव को हिलाने का प्रयास करते है लेकिन सब विफल हो जाते है।
तब अंगद रावण को कहता है कि जिन योद्धाओं पर उसे इतना अभिमान है वह सब उसके एक पांव को नही हिला सके तो वह श्रीराम से युद्ध में क्या जीतेंगे।
इसलिये मैं अंतिम बार तुम्हे चेतावनी देता हूं कि श्री राम की शरण में आ जाओ। लेकिन रावण अपने हट पर रहता है। जिसके बाद अंगद वापिस लौट आता है।
ये भी पढ़ें:
रादौर: मृत बच्चे के दबे शव को पोस्टमॉर्टम के लिए निकाला