गोलीकांड में मारे गए कारसेवकों के कलश की देशभर में निकाली गई यात्रा !
यमुनानगर, डिजिटल डेक्स।। 2 नवंबर वर्ष 1990 को कारसेवकों पर गोलीकांड के बाद पूरे देश में राम मंदिर आंदोलन की ही गूंज थी। हर तरफ गुस्से का माहौल था।
ऐसे में अयोध्या में बचे हुए कारसेवक वापस लौट गए लेकिन यहां 40 दिनों तक इस लोमहर्षक घटना के विरोध में अनवरत सत्याग्रह चला।
पुलिस की गोलियों से मारे गए कारसेवकों के कलश की देशभर में यात्रा निकाली गई। हिंदू समाज ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए रामेश्वर चौहान ने बताया कि गोली लगते ही ‘जय श्रीराम’ का उद्घोष कर गिर जाते थे कारसेवक।
उन्होंने बताया कि यात्रा जब यमुनानगर जिला में पहुंची तो जिला प्रशासन ने उस अस्थि कलश की यात्रा के रथ को रोक लिया और डॉ कमला वर्मा भाजपा नेता व कुछ अन्यो को गिरफ्तार कर लिया।
उनको अनजान जगह पर पुलिस कर्मचारी ले गए। हमने पुलिस व जिला प्रशासन का विरोध किया। जिला उपायुक्त केशनी आनंद अरोड़ा से हमारे कुछ लोगो की कैम्प ऑफिस में बात हुई।
पुलिस अधीक्षक व जिला उपायुक्त ने हमारे प्रतिनिधि मण्डल पर दबाव बनाया। और कहा कि अगर इस यात्रा को घुमाने से नही रोकोगे तो हम फायर बर्गेड से पानी के फव्वारे आप सब लोगों पर चलवा देंगे।
अधिकतर कार्यकर्ता नौजवान थे। मैंने उपायुक्त महोदय को कहा कि हम वो कारसेवक हैं जो मुलायम सिंह की गोलियों से न डरे न विचलित हुवे।
यह आपकी पानी की फवार हमे क्या रोकेगी। धरणा प्रदर्शन होता रहा रथ यमुनानगर थाने में खड़ा रहा। अंधेरा होते ही हमारे नेताओं को छोड़ दिया गया।
हमे दिन ढलने के बाद पुलिस ने कहा ठीक है, अपने इस अस्थि कलश के रथ को थाने से ले जाओ और शान्ति पूर्वक यात्रा निकाल लेना। रात का अंधेरा था उस समय हमने यात्रा शुरू नही करनी थी।
हमने जिला प्रशासन को कहा कि पुलिस प्रशासन के हाथ लगने व थाना में रथ खड़े होने से कारसेवकों की अस्थियों का अपमान हो गया और यह अपवित्र हो गई।
कल सुबह ब्राह्मण व धर्माचार्यों द्वारा मंत्रोउचारन दियाबाती करने से इनको पवित्र किया जाएगा। फिर आगे की यात्रा दिन के प्रकाश में चलेगी।
यह थी हमारी राममंदिर आंदोलन का हमारा जज्बा- रामेश्वर चौहान