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रादौर - बलिदान दिवस पर महाराजा सूरजमल की वीरगाथा को किया याद


राजा बदन सिंह के दत्तक पुत्र थे महाराजा सूरजमल


City Life Haryana
  रादौर : जाट सभा रादौर की ओर से महाराजा सूरजमल का 257वां बलिदान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर जाटसभा रादौर के प्रधान एडवोकेट सुरेशपाल बंचल के नेतृत्व में सदस्यों ने महाराजा सूरजमल के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धासुमन भेंट की।

जाटसभा रादौर के प्रधान एडवोकेट सुरेशपाल बंचल ने  महाराजा राजा सूरजमल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मुगलों के आक्रमण का प्रतिकार करने में उत्तर भारत में जिन राजाओं की प्रमुख भूमिका रही है, उनमें भरतपुर (राजस्थान) के महाराजा सूरजमल जाट का नाम बड़ी श्रद्धा एवं गौरव से लिया जाता है। उनका जन्म 13 फरवरी 1707 में हुआ था। ये राजा बदन सिंह के दत्तक पुत्र थे। उन्हें पिता की ओर से वैर की जागीर मिली थी। वे शरीर से अत्यधिक सुडौल, कुशल प्रशासक, दूरदर्शी व कूटनीतिज्ञ थे।


उन्‍होंने बताया कि महाराजा सुरजमल भारतीय इतिहास के एक महान यौद्धा हुए है। जिन्होंने मुगलों व अफगानों के साथ
80 से अधिक युद्ध लडे और जीते। उनका साम्राज्य देश मे दूर तक फैला हुआ था। उनकी वीरता के कारण मुगल उनसे टक्कर लेने में डरते थे।

उन्होंने मुगलों का डटकर मुकाबला किया और उन्हे अपने राज्य की सीमा में घुसने नहीं दिया। उन्होंने अपने समय में मथुरा और आगरा में बहुत मंदिर बनवाए।

हरियाणा मे माता शीतला मंदिर उनके शासनकाल में बना। उनका साम्राज्य भरतपुर (राजस्थान) से होते हुए उत्तरप्रदेश, दिल्ली व हरियाणा में रोहतक तक फैला हुआ था। 25 दिसंबर 1767 को  दिल्ली में मुगलों से लडते हुए दुश्मन ने उन्हें धोखे से शहीद कर दिया। हमें उन पर हमेशा गर्व रहेगा।

इस अवसर पर प्रधान एडवोकेट सुरेशपाल बंचल, कर्मवीर खुर्दबन, मांगेराम कंडरौली, बीरसिंह जठलाना, पदम झगुडी, बृजमोहन खजुरी, सुखबीर सिंह सुखा, धर्मबीर दारसी, कुलदीप नंबरदार, प्रदीप खुर्दबन, मंजीत सिंह पंजेटा, जसविंद्र सिंह बंचल आदि मौजूद थे।

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