हथनीकुंड बैराज पर केवल 3 हज़ार क्यूसिक पानी, 2 मिनट में पढ़िए पूरी खबर
- सारांश..
यहां आपकों बता दे कि 12 मई 1994 में हथनीकुंड बैराज का शिलान्यास किया गया था.. उस समय हरियाणा के सीएम भजनलाल के अलावा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत, दिल्ली के सीएम मदनलाल खुराना के अलावा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह मौजूद थे.. पांचों राज्यों के सीएम की मौजूदगी में हथनीकुंड बैराज बनने के बाद यहां से होने वाले पानी के वितरण को लेकर भी सीमा तय की गई थी..
बीते सालों की तुलना में इस बार यमुना नदी में कम पानी होने की बात को सिंचाई विभाग के अधिकारी भी स्वीकार करते है.. सिंचाई विभाग के सुप्रिडेंट इंजीनियर हथनीकुंड ने बताया कि एनजीटी के आदेशानुसार सबसे पहले 352 क्यूसिक पानी यमुना नदी में पशु पक्षियों के लिए छोड़ा जाता है.. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार दिल्ली को पानी दिया जाता है.. और बाद में यूपी व हरियाणा को पानी सप्लाई दी जाती है। 12 मई 1994 में हुए एमओयू के अनुसार यूपी व दिल्ली को पानी दिया जा रहा है।
- हथनीकुंड पर जल संकट..
मानसून के दिनों में हरियाणा के हथनीकुंड बैराज से निकलने वाला लाखो क्यूसिक पानी, देश की राजधानी दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा व पश्चिमी उत्तरी यूपी के लोगों के लिए आफत बन कर आता है। लेकिन आलम यह है कि यहां खुद यमुना में पानी इतना कम है, ऐसे में हथनीकुंड बैराज पर ही करीब 60 प्रतिशत पानी की कमी आ चुकी है। इसका खामियाजा दिल्ली सहित हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश को जल संकट के रूप में भुगतना पड़ सकता है।
मानसून के दिनों
में या फिर पहाड़ों से पानी अधिक आने पर देश की राजधानी दिल्ली सहित हरियाणा व पश्चिमी
उत्तर प्रदेश के लोगों को बाढ़ के खतरे से डराने वाला यह हथनीकुंड बैराज अब पानी ना
होने के कारण पूरी तरह शांत है, जिसने पिछले
सालों यमुना नदी के इतिहास में आए सबसे अधिक आठ लाख क्यूसिक से भी अधिक पानी को
झेला था। लेकिन आज सर्दियों में पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी और मानसून में बरसात न
होने की वजह से पानी की यह मात्रा यमुना नदी में लाखों क्यूसिक से घटकर महज 3 हजार क्यूसिक पर आकर टिक गई है।
जबकि खुद हथनीकुंड बैराज को ही अपने लिए नौ हजार क्यूसिक पानी की जरूरत होती है। पानी की कमी से आज बैराज की दीवारे चुपचाप खड़ी है और गेट वीरान पड़े है। जो पानी मिल रहा है उसमें से कितना पानी दिल्ली, हरियाणा और यूपी को भेजा जाए यह अधिकारियों के लिए भी बड़ा सवाल बना हुआ है। ऐसे में अब सिंचाई विभाग के अधिकारी भी दिल्ली, हरियाणा और यूपी को उनकी जरूरत और करार से भी कहीं कम पानी देने को मजबूर है। ऐसे में यमुना में लगातार कम हो रहे जल स्तर के चलते देश की राजधानी दिल्ली सहित हरियाणा व यूपी में भी पानी के लिए परेशानी हो सकती है।
वही, सिंचाई विभाग के अधिकारियों की माने तो इस समय हथनीकुंड बैराज पर यमुना नदी में 3 हज़ार क्यूसिक पानी है। सिंचाई विभाग के अधिकारी ने बताया कि हथनीकुंड पर पहाड़ो से पानी आता है जो प्राकृतिक प्रक्रिया है। लेकिन पिछले 10 सालों में सिर्फ 2017 में ऐसी स्तिथि थी जब पानी की मात्रा कम देखी गयी थी। हथनीकुंड में पहले पानी 2 हज़ार क्यूसिक से कम चला गया था, लेकिन अब 3 हज़ार क्यूसिक तक है, पहले से कुछ सुधार होता हुआ दिखाई दे रहा है।
आपको बता दे कि हथनीकुंड बैराज से 5 राज्य को पानी जाता है, जिसमे यूपी को पानी जाता है। सभी राज्यो को डिवाइड करने के बाद 352 क्यूसिक हम यमुना में छोड़ते है जो इकोलॉजिकल इम्पेक्ट के लिये एनजीटी द्वारा निर्धारित किया हुआ है। 18 हज़ार क्यूसेक या 20 हज़ार क्यूसिक पानी इस्तेमाल करने के बाद हम पानी यूपी को देते है जिसका शेयर 1600 क्यूसिक होता है। आज की बात करे तो यूपी को हम 300 क्यूसिक पानी दे रहे है।
पहाड़ों में बर्फबारी हो रही है उसका भी असर दिखाई दे रहा है, मौसम ठंडा होता है तो पानी जम जाता है बर्फ नहीं पिंघलती तो पानी कम होता है। लेकिन इस बार बरसात के मौसम में भी यमुना में पानी बहुत कम रहा है। पिछले 35 साल के बाद इस बार ऐसा हुआ है कि यमुना में इस बार बरसात के मौसम में भी पानी नहीं था। वही दिल्ली को लेकर कितना पानी जा रहा है उस पर अधिकारी ने बताया कि वैसे तो निर्णय हेड ऑफिस लेता है, लेकिन जहां तक मुझे इसकी जानकारी है दिल्ली को मैक्सिमम कॉपरेट किया जा रहा है ताकि वहां पर किसी प्रकार की पानी की समस्या ना हो।
फ़िलहाल अगर जलस्तर नही बढ़ता तो जलसंकट पैदा हो सकता है, लेकिन अधिकारियों की माने तो चार पांच दिन से कुछ सुधार हुआ है जलस्तर 2 हज़ार क्युसिक से 3 हज़ार तक हुआ है जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि जलस्तर बढेगा। लेकिन यदि ऐसा न हुआ तो जलसंकट पैदा हो जाएगा।