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गुरुग्राम - सरकार ना सड़क पर बैठे किसानों की सुनने को तैयार, ना सदन के ताले खोलने को तैयार

सरकार ना किसानियत का सम्मान कर रही है और ना ही इंसानियत की परवाह कर रही है


City Life Haryana
  गुरुग्राम : किसान आंदोलन को 40 दिन बीत चुके हैं और 50 से ज्यादा किसानों की शहादत हो चुकी है। लेकिन फिर भी सरकार का दिल नहीं पसीजा। समझ नहीं आता कि सरकार और कितनी क़ुर्बानियां लेना चाहती है। ये कहना है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का। अपने फ़ैसले के मुताबिक आज दीपेंद्र हुड्डा ने अपने जन्मदिन का जश्न नहीं मनाया और आज का दिन किसानों के बीच बिताया। सांसद दीपेंद्र आज गुरुग्राम में धरनारत किसानों के बीच पहुंचे। उन्होंने वहां बैठे किसानों से बातचीत की और अपनी तरफ से उनके आंदोलन को पूर्ण समर्थन व हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

- सरकार ना सड़क पर बैठे किसानों की सुनने को तैयार, ना सदन के ताले खोलने को तैयार.

दीपेंद्र हुड्डा ने इस मौक़े पर सरकार के रवैया को लेकर कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज़ सरकार तक पहुंचाने के दो ही तरीक़े होते हैं। एक सदन के ज़रिए और दूसरा सड़क के ज़रिए। लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार ना सड़क पर बैठे किसानों की बात सुनने को तैयार है और ना ही सदन में लटके ताले खोलने को तैयार है। हम बार-बार सरकार से संसद और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं।

- सरकार ना किसानियत का सम्मान और ना ही इंसानियत की परवाह कर रही है.

लेकिन सरकार कोरोना का बहाना बनाकर अपनी जवाबदेही से भाग रही है। सरकार ना किसानियत का सम्मान कर रही है और ना ही इंसानियत की परवाह कर रही है। सवाल उठता है कि सरकार देश के सबसे बड़े तबके किसान की बात क्यों नहीं मानना चाहती..? 3 कृषि क़ानून वापिस लेने से सरकारी राजस्व पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ने वाला, फिर भी किस वजह से सरकार इन क़ानूनों को वापिस लेने से कतरा रही है..? सरकार को बताना चाहिए कि वो कौन-सी मजबूरी, ताक़तें या रुकावटें हैं जो सरकार को किसानों की बातें मानने से रोक रही हैं..?

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि वो इस आंदोलन की शुरुआत से लगातार किसानों के बीच पहुंच रहे हैं। उन्होंने दिल्ली बॉर्डर से लेकर प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों में टोल प्लाजा पर धरना दे रहे किसानों से बात की है। उनकी बातचीत से स्पष्ट है कि वो सरकार से किसी तरह का टकराव नहीं चाहते। वो सिर्फ अपनी जायज़ मांगों को मनवाना चाहते हैं। लेकिन सरकार की हठधर्मिता और संवेदनहीनता की वजह से ये आंदोलन इतना लंबा खिंच रहा है। किसानों की इस दुर्दशा के सिर्फ और सिर्फ सरकार ज़िम्मेदार है।

- दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने नहीं मनाया जन्मदिन का जश्न, किसानों के बीच बिताया दिन.

धरने पर बैठे किसानों को संबोधित करते हुए दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि वो किसानों के इस कठोर संघर्षअनुशासित व्यवहार और शांतिप्रिय आंदोलन को नमन करते हैं। साथ ही वो उन तमाम लोगों और संगठनों का भी धन्यवाद करते हैं जो किसानों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि वो अपने उन तमाम सहयोगी, साथी और कार्यकर्ताओं का भी धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने इसबार जन्मदिन का जश्न नहीं मनाने के उनके फ़ैसले का सम्मान करते हुए आज का दिन किसानों की सेवा में बिताया। जन्मदिन पर किसान सेवा का ये उपहार ही उनके लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है।

 

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