वार्ता से ही निकलेगा हल, बातचीत के लिए आगे आएं किसान संगठन
आंदोलन में घुसने वाले अराजक तत्वों से सतर्क व सजग रहें किसान भाई, हिंसा व अराजकता किसी के हित में नहीं
प्रशासन की ओर
से पहले भी किसानों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत की गई है और अभी भी प्रशासन के दरवाजे
बातचीत के लिए खुले हैं। किसान संगठनों की ओर से जिला प्रशासन को पत्र
लिखकर बातचीत करने की मांग की गई थी। इस मांग पर ही जिला प्रशासन की ओर से
किसान संगठनों को बातचीत करने के लिए बुलाया गया है। इसलिए किसानों से अपील
है कि वे जल्द से जल्द वार्ता के लिए आगे आएं।
अभी कोरोना के
खिलाफ मिलकर लडऩे का समय है ताकि इस महामारी पर जल्द विजय प्राप्त की जा सके। यदि
बातचीत को दरकिनार कर बड़ी संख्या में भीड़ इकठी की गई तो बड़ी जद्दोजहद के बाद काबू में आई महामारी का
स्वरूप फिर से विकराल हो सकता है।
21 मई को हुई वार्ता में किसानों द्वारा हिसार मण्डलायुक्त को रिप्रेजेंटेशन
देते हुए अपनी मांगें रखी गई थी। इन मांगों का समाधान करने की दिशा में
किसान संगठन के प्रतिनिधियों को मंडलायुक्त द्वारा बातचीत का न्यौता दिया गया
है। उन्होंने कहा है कि महामारी के इस कठिन दौर में यह जरूरी है कि
किसान आंदोलन का हल शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत के ज़रिए निकाला जाए। टकराव
से कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में मुश्किलें पेश आती हैं। इससे यह
महामारी मानवता के लिए नुकसानदेह साबित होगी।
प्रशासन कोरोना
पर नियंत्रण और आमजन को इससे बचाने की दिशा में पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। प्रशासन के
दरवाजे किसानों के लिए हमेशा खुले हैं क्योंकि आपसी टकराव किसी के भी हित
में नहीं है। किसानों को सकारात्मक सोच के साथ किसान आंदोलन का हल
निकालने की दिशा में सार्थक पहल करनी चाहिए। किसानों से यह भी अपील की गई है कि
वे अपने आंदोलन को लेकर सतर्क व सजग रहें क्योंकि जिस प्रकार से पिछले
दिनों हिंसा हुई थी।
उससे यह अंदेशा
है कि आंदोलन में अराजक तत्व घुस चुके हैं। ऐसे लोगों की मंशा सही नही
है। ऐसे में किसानों को सावधान रहते हुए अपने आंदोलन को शांतिपूर्ण व सीमित
संख्या के साथ चलाना चाहिए, यह
समस्त नागरिकों के हित में है।