- दूसरे चरण में आंख
को प्रभावित करता है
- तीसरे चरण में
दिमाग पर हमला करता है
- लक्षण नजर आने पर
इन्हें अनदेखा न करें, तुरंत ईलाज शुरू करें
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Dr. Aditya Bhargava |
यह नाक या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश
करता है। दूसरे चरण में यह आंख को प्रभावित करता है और तीसरे चरण में यह दिमाग पर
हमला करता है। इलाज के लिए चार से छह सप्ताह तक दवाइयां लेनी पड़ती हैं और गंभीर
मामलों में तीन महीने तक इलाज चलता है।
उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस वातावरण
में मौजूद है। खासकर मिट्टी में इसकी मौजूदगी ज्यादा होती है। स्वस्थ और मजबूत
इम्यूनिटी वाले लोगों पर यह अटैक नहीं कर पाता है, परंतु दूसरी गंभीर बीमारी से ग्रस्त
व्यक्तियों, डायबीटीज के मरीज, कैंसर के उपचाराधीन मरीज और ट्रांसप्लांट करवाने वाले
व्यक्तियों को ब्लैक फंगस से संक्रमित होने का खतरा रहता है। स्टेरॉयड के अधिक
इस्तेमाल से इम्यूनिटी कमजोर होने या अधिक समय तक आईसीयू में रहने वाले मरीज भी
फंगल इंफेक्शन के लिए संवेदनशील होते हैं।
ब्लैक फंगस अर्थात म्यूकोरमाइकोसिस से
ग्रस्त लोगों के आंख या नाक के पास लाल निशान देख सकते हैं या दर्द हो सकता है।
इसके अलावा बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खून की उल्टी और मानसिक संतुलन में बदलाव जैसे लक्षण हो
सकते हैं।
ब्लैक फंगस के संक्रमण के संकेत या
चेतावनी मिल जाती है। यदि आपको नाक में दिक्कत महसूस हो रही हो, अगर आपको सिरदर्द
हो, चेहरे के एक हिस्से में दर्द महसूस हो या उस हिस्से पर सोजन
आ जाए, चेहरा सुन्न पड़ रहा हो, चेहरे का रंग बदल रहा हो, पलकों पर सोजन हो
अथवा दांत हिलने लगे हो तो इसे ब्लैक फंगस का हमला समझें।
- ब्लैक फंगस का फेफड़े पर संक्रमण होने की स्थिति
अगर ब्लैक फंगस ने आपके फेफडे पर आक्रमण
कर दिया है तो आपको बुखार, सांस लेने में दिक्कत, खांसी, खांसी मे खून आना, सीने में दर्द व धुंधला दिखाई पडऩा शुरू हो जाता है।
- क्या करें
हाइपरग्लाइकेमिया को नियंत्रण में रखें।
डायबिटीज से ग्रस्त लोग यदि कोविड संक्रमित होते हैं तो वह डिस्चार्ज होने के बाद
ब्लड ग्लूकोज स्तर पर नजर रखें। स्टेरॉयड का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाए।
ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ और स्टेराइल वाटर का इस्तेमाल किया जाए। एंटीबॉयटिक
और एंटी फंगल दवाओं का इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से किया जाए।
- क्या न करें
लोगों को सलाह दी गई है कि लक्षणों को
नजरअंदाज न करें। नाक बंद होने के सभी मामलों को बैक्टीरियल संक्रमण के संकेत न
समझें, विशेषकर कोरोना मरीजों में। जांच कराने से न हिचकें और इसके
इलाज में देरी न करें।
- निम्र अफवाहों पर ध्यान न दें
ब्लैक फंगस के बारे में कुछ अफवाहें हैं, जिन पर ध्यान न
दें। इन अफवाहों में कुछ कच्चा खाने से फंगल संक्रमण होना , इधर-उधर से लाए गए
सिलेंडर से कोरोना मरीज को ऑक्सीजन की स्पोर्ट देना तथा यह संक्रमण किसी विशेष
स्थान पर ही हो रहा है आदि शामिल है। सच्चाई यह है कि होम आईसोलेशन में रह रहे
कोरोना मरीजों में फंगल इंफैक्शन देखा जा रहा है।