Haryana Chief Minister, Manohar Lal today announced that July, 29 will be celebrated every year as New Education Policy Day. On this day the progress of the aims and objectives of the New Education Policy-2020 will be reviewed.
पंचकूला में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति
(एनईपी) 2020 के लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री ने
उपस्थितजनों व ऑनलाइन माध्यम से जुड़े शिक्षाविदों और विद्यार्थियों को संबोधित
करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020, 21वीं सदी में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली है।
इस नीति में शिक्षा एवं रोजगार के साथ- साथ विद्यार्थियों को संस्कारवान और
स्वाबलंबी बनाना है, ताकि विद्यार्थी दुनिया में भारत को पुन:
विश्व गुरु बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।
समारोह में हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान
चंद गुप्ता, शिक्षा मंत्री कंवरपाल, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती
कमलेश ढांडा, भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन
मंत्री मुकुल कानितकर, हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर
बीके कुठियाला भी उपस्थित रहे।
The Chief Minister said that sensitizing the teachers, educationists and stakeholders as well as the children, who are the real beneficiaries of this policy about NEP-2020 is the need of the hour.
He said that for the successful implementation of NEP by the year 2025, a roadmap has been prepared by the senior officers of the Departments of Women and Child Development, School Education, Higher Education and Technical Education.
The Chief Minister said that work is already being done in Haryana and the recommendations made by Haryana have also been included in the NEP-2020.
Manohar Lal further said that empowering students with knowledge, skills and values to enhance their employability is the top priority of the State Government.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के समय लार्ड
मैकाले की वह शिक्षा पद्धति 'तीन आर'
: राइटिंग, रीडिंग और अरिथमेटिक पर केन्द्रित थी, जो एक नागरिक का संपूर्ण विकास करने वाली
नहीं थी। आज 21वीं सदी में आजादी के 75 साल के बाद देश को एक ऐसी शिक्षा नीति की
आवश्यकता है जिससे युवा पीढ़ी शिक्षित तो बने ही उसके साथ ही उसमें राष्ट्रीयता की
भावना भी पैदा हो। इसी उद्देश्य से केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की शुरुआत की।
उन्होंने कहा कि हरियाणा जिस प्रकार खेलों में
निपुण है, उसी प्रकार शिक्षा में भी हरियाणा को अग्रणी
बनाना है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके छात्रों को ज्ञान, कौशल और मूल्यों के साथ सशक्त बनाने के
उद्देश्य से हरियाणा में नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए आधारभूत ढांचा पहले
ही तैयार किया गया । इसके बलबूते इस शिक्षा नीति को वर्ष 2025 तक पूरी तरह लागू की जाएगी। हालांकि इसको
लागू करने की समयावधि 2030 तक है, लेकिन हरियाणा इस लक्ष्य को पांच वर्ष पहले
ही हासिल कर लेगा।
हरियाणा सरकार स्कूलों में ड्राप आउट रेट कम
करके प्रत्येक बच्चे को ट्रैक करेगी इसके लिए राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई
परिवार पहचान पत्र योजना के तहत पंजीकृत हर परिवार के सदस्यों का डाटा विश्लेषण
किया जाएगा, ताकि प्रत्येक बच्चे को ट्रैक किया जा सके और
किसी कारणवश स्कूल में ना आने वाले बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाया जा सके।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के लिए सबसे पहले
पर्याप्त आधारभूत ढांचा होना बहुत जरूरी है। इस दिशा में हरियाणा में न केवल
पर्याप्त स्कूल कॉलेज हैं, बल्कि विभिन्न विषयों की विशेषज्ञता से युक्त
विश्वविद्यालय व विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थान भी हैं ।
उन्होंने कहा कि राज्य में हर विद्यार्थी के
घर से 2 से 3 किलोमीटर दूरी के भीतर एक स्कूल अवश्य है।
इसी प्रकार , हर 20 किलोमीटर के दायरे में कॉलेज उपलब्ध है।
प्रदेश में नई शिक्षा नीति को शीघ्र पूर्ण
रूप से लागू करने के लिए पर्याप्त स्कूल , कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थान उपलब्ध हैं। फिर
भी कहीं कोई कमी महसूस हुई , तो राज्य सरकार तुरंत उसे पूरा करने के लिए
प्रतिबद्ध है।
- नई शिक्षा नीति के लिए पहले से ही किये गये
प्रयास
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के
अनुरूप प्रदेश में 4,000 प्लेवे स्कूल खोले जा रहे हैं ताकि नई शिक्षा
नीति में निहित तीन साल की आयु से बच्चे की शिक्षा आरंभ की जा सके। अब तक 1135 स्कूल खोले जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों की तर्ज पर
सुविधाएं और अंग्रेजी में शिक्षा देने के लिए 113 नये संस्कृति मॉडल स्कूल खोले हैं, जिससे इनकी संख्या बढ़कर 137 हो गई है। साथ ही, 1418 विद्यालय इंग्लिश मीडियम बैग फ्री स्कूल
बनाये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का एक लक्ष्य
वर्ष 2030 तक उच्चतर शिक्षा में लड़कियों का सकल
नामांकन अनुपात 50 प्रतिशत से अधिक करना है। इस दिशा में भी
हरियाणा प्रदेश काफी आगे है। हमारे यहां लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात 32 प्रतिशत है।
मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में ऐसे शिक्षण
संस्थान तैयार किये जा रहे हैं , जिनमें नन्हे बच्चे की केजी कक्षा से युवा विद्यार्थी की पीजी कक्षा तक की
शिक्षा प्रदान की जाएगी। हम प्रारंभ में ऐसे चार विश्वविद्यालयों में यह व्यवस्था
करने जा रहे हैं। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने तो इसी सत्र अर्थात 2021-22 से केजी से पीजी स्कीम के तहत दाखिलों की
तैयारी शुरू कर दी है।
- स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक कौशल विकास
उन्होंने कहा कि सरकार ने स्कूल से लेकर
विश्वविद्यालय तक की शिक्षा को कौशल के साथ जोड़ा है। स्कूलों में एन.एस.क्यू.एफ, कॉलेजों में ' पहल योजना ', विश्वविद्यालयों में इन्क्यूबेशन सेंटर और
तकनीकी संस्थानों में उद्योगों की जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण के लिए उद्योगों के साथ
एम.ओ.यू. जैसे कारगर कदम उठाये गये हैं।
- स्कूलों में कौशल विकास शिक्षा
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का एक अन्य
लक्ष्य छठी कक्षा से ही बच्चों को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा देना है। हरियाणा
में हमने स्कूलों में ही बच्चों को विभिन्न कौशलों में निपुण बनाने की व्यवस्था की
है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कौशल विकास के लिए हरियाणा सरकार ने एक अलग
विश्वविद्यालय श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय खोला है। इस विश्वविद्यालय ने
उद्योगों के साथ सुदृढ़ संबंध बनाए हैं और 94 एम.ओ.यू. किये हैं। इस विश्वविद्यालय में 34 डिप्लोमा , स्नातक व स्नातकोत्तर कार्यक्रम चलाए जा रहे
हैं। लघु अवधि व नियमित पाठ्यक्रमों के माध्यम से 4,755 छात्र प्रशिक्षित किये गये हैं। बदलते माहौल
के अनुसार इस विश्वविद्यालय द्वारा कई नए कोर्सिज की पहचान की गई है। इनमें 71,000 युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने की तैयारी की
जा रही है।
उन्होंने कहा कि भारत से बाहर के
विश्वविद्यालयों तथा विदेश में रोजगार के अवसरों से अवगत कराने हेतु महाविद्यालयों
में एक नई महत्वाकांक्षी योजना पासपोर्ट सहायता शुरू की गई है, जिसके तहत अंतिम वर्ष के सभी विद्यार्थियों
के पासपोर्ट निःशुल्क बनाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राजकीय विद्यालयों के होनहार
विद्यार्थियों के लिए सुपर -100 कार्यक्रम ' शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम में
प्रशिक्षित 25 युवाओं ने इस साल जे.ई.ई. परीक्षा में मैरिट
में स्थान पाया है और उन्हें आई.आई.टी. में प्रवेश मिला है । इसी प्रकार, 72 युवाओं ने नीट परीक्षा में सफलता प्राप्त की
है और उन्हें अच्छे मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिला है।
इसी दिशा में हमने 50 हजार मेधावी विद्यार्थियों को ऑनलाइन
कार्यक्रमों के माध्यम से कोचिंग देने के लिए एम -3 एम फाउंडेशन के साथ भी एम.ओ.यू. किया है। इस
कार्यक्रम में प्रतियोगी परीक्षाएं देने वाले युवाओं को कोचिंग देने के साथ-साथ हर
सप्ताह उनकी तैयारी की प्रगति की समीक्षा भी की जाएगी।
- भारतीयता का बोध कराने वाली होगी नई शिक्षा
नीति: कानितकर
भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन
मंत्री श्री मुकुल कानितकर ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का मुख्य उद्देश्य युवाओं को स्वाभिमानी और
स्वावलंबी बनाना है। इसके लिए शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं में शिक्षा पर पूर्ण
जोर दिया गया है जिसका क्रियान्वयन करना शैक्षिक नेतृत्व की जिम्मेवारी है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति में युवाओं को
संस्कारवान बनाने के साथ-साथ उन्हें भारतीयता का बोध करवाने वाली है। विद्यार्थी
जब तक स्वाभिमानी और स्वावलंबी नहीं होगा, तब तक वह आत्मनिर्भर नहीं बन सकता और भारत का
पुन: विश्व गुरु बनने का सपना साकार नहीं हो सकता। इसलिए युवाओं को स्वाभिमान और
स्वावलंबी तथा भारतीय बोध का ज्ञान देकर उन्हें शिक्षित करना इस शिक्षा नीति का
मुख्य व संपूर्ण उद्देश्य है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने हरियाणा
एफएलएन मिशन और सुपर-100 की तर्ज पर कक्षा 9 वीं और 10 वीं के होनहार विद्यार्थियों के लिए बुनियाद
कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया। शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल ने भी कार्यक्रम को
संबोधित किया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव
डी एस ढेसी , स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव महावीर
सिंह , मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा
सूचना जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल, उच्च शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा विभाग के
प्रधान सचिव आनंद मोहन शरण, महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त राकेश गुप्ता, उच्चतर शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा विभागों के
महानिदेशक विजय सिंह दहिया, निदेशक माध्यमिक शिक्षा जे. गणेशन सहित अन्य
वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।