150 साल से चली आ रही परंपरा
सिंचाई विभाग की ओर से हथनी कुंड बैराज पर वार्षिक पूजा अर्चना का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर सिंचाई विभाग के एसई रवि शंकर मित्तल ने पूर्ण आहुति डालकर यज्ञ संपन्न कराया। यज्ञ के यजमान जल सेवा मंडल ताजेवाला के एसडीओ धर्मपाल रहे। ब्रिटिश काल में सन 1872 में निर्मित ताजेवाला हेड पर मां यमुना को प्रसन्न करने के लिए हवन पूजन व भंडारे की परंपरा बनी हुई है। सिंचाई विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी आनंद स्वरूप ने जानकारी देते हुए बताया कि जब से ताजेवाला हेड का निर्माण हुआ है तभी से हर साल मां यमुना की पूजा अर्चना की परंपरा बनी हुई है। वह पिछले 70 सालों से देखते आ रहे हैं कि हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष में यमुना नदी किनारे हवन पूजन किया जाता है। पूजन के दिन सिंचाई विभाग के सभी कर्मचारी मां यमुना की स्तुति में शामिल होते हैं।
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इस मौके पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। हथनी कुंड कंट्रोल रूम के कर्मचारी शेर सिंह ने बताया कि ताजे वाला हेड के समय में लांडा पुल तथा हेड पर दोनों जगह पूजा अर्चना की जाती थी। लेकिन 3 सितंबर 1978 को आई प्रलयकारी बाढ में ताजेवाला हैड व लौंडा पुल के टूट जाने के बाद नवनिर्मित हथनी कुंड बैराज पर हर साल मां यमुना की पूजा अर्चना की जाती है। सुसज्जित पालकी गाजे बाजे के साथ यमुना नदी में विसर्जित की जाती है।
सिंचाई विभाग के एसई रवि शंकर मित्तल ने बताया कि मां यमुना देश की अन्य नदियों की तरह पवित्र व पूजनीय है। भगवान श्री कष्ण की पटरानी मां यमुना को प्रसन्न रखने तथा सुख शांति के लिए धार्मिक परंपरा अनुसार हर साल नदी किनारे पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। उन्होंने बताया कि फूलों से सुसज्जित पालकी में धूप दीप,फल फूल, मीठे चावल का प्रसाद, भोजन व अन्य पूजा की सामग्री के साथ यमुना नदी में विसर्जन किया जाता है। मित्तल ने बताया कि हमीदा हेड पर भी हर साल इसी प्रकार पूजा अर्चना की जाती है। इस अवसर पर एसडीओ धर्मपाल, एसडीओ रूबिन गर्ग,अभिषेक जेई(1),अमित जेई, रोहित जेई, विकास जेई, हेमंत जेई(2), करण सिंह जेई, सुशील वालिया, राकेश रोहिल्ला, सुरेश वालिया, प्रवीण कुमार आदि उपस्थित रहे।