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Radaur- जठलाना रादौर मार्ग के विकास पर लगा भ्रष्टाचार का ग्रहण

करोड़ों की लागत


रादौर
NEWS करोड़ों की लागत से जठलाना रादौर मार्ग का कार्य किया गया। लेकिन सड़क निर्माण कार्य में की गई लीपापोती सभी के सामने है। जिसकी ओर न तो प्रशासनिक अधिकारियों ने ध्यान दिया और न ही ठेकेदार ने। या यूं कहे कि अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार को लीपापोती करने में मदद मिल गई। लेकिन सड़क निर्माण कार्य में हुई लीपापोती अब कभी भी राहगीरों को बड़ी दुर्घटना की ओर धकेल सकती है। सड़क निर्माण कार्य के साथ साथ सड़क के बर्म बनाने का कार्य भी ठेकेदार को करना होता है। लेकिन इस सड़क के निर्माण में बर्म बनाने के कार्य में केवल मात्र खानापूर्ति ही हुई। 

जिससे स्थिति अब ऐसी है कि सड़क के साइड में खाली पड़ी बर्म की जगह अब गहरी होती जा रही है। जिससे सड़क के खस्ताहाल होने की संभावना तो बढ़ ही रही है वहीं दूसरी ओर यह दुर्घटनाओं को न्यौता भी दे रही है। ऐसा सड़क पर कुछ जगहों पर नहीं बल्कि जगह जगह इस प्रकार की स्थिति देखने को मिल जाती है। लेकिन यह स्थिति अधिकारियों को क्यों नहीं दिखाई दी यह जांच का विषय है। जबकि माना जाता है कि जब किसी भी निर्माण कार्य को पूरा किया जाता है तो उसके बाद अधिकारियों की ओर से जांच की जाती है और उसके बाद भी ठेकेदार की अंतिम पेमेंट होती है। लेकिन शायद यहां ऐसा नहीं हुआ और कमरे में बैठकर ही निर्माण कार्य की संतुष्टि कर ली गई और ठेकेदार को पेमेंट भी कर दी गई। जिससे सरकार को तो चूना लगाया ही गया वहीं लोगों को भी दुर्घटनाओं का गिफ्ट दे दिया गया। अब जब लोग इसकी शिकायत अधिकारियों से करना चाहते है तो अधिकारी किसी का फोन उठाना भी मुनासिफ नहीं समझते।  

सड़क किनारे खड़े पेड़ व पोल भी दे रहे हादसों का दावत

सड़क के बर्म में लापरवाही बरतने के साथ साथ दो और मुख्य वजह है जिससे यह सड़क मार्ग हादसों का कारण बन सकता है। आगामी फोग सीजन में यहां दुर्घटनाएं कितनी अधिक हो सकती है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। सड़क के दोनों ओर भारी भरकम पेड़ जगह जगह खड़े हुएं है। रादौर से लगते क्षेत्र की बात करे तो यहां माता सावित्री बाई फुले त्रिवेणी चौंक से लेकर पश्चिमी यमुनानहर पुल तक स्थिति अधिक गंभीर है। पेड़ सड़क के किनारे से सटे होने के साथ साथ सड़क पर झुके हुए भी है। वहीं बिजली के पोल भी हादसों को न्यौता दे हे है। कुछ पोल तो ऐसे है जो किनारे ही नहीं बल्कि सड़क के बीच में ही आ चुके है। लेकिन अभी तक विभाग ने इन्हें हटाने की जहमत नहीं उठाई। 

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