करोड़ों की लागत
जिससे स्थिति अब ऐसी है कि सड़क के साइड में खाली पड़ी बर्म की
जगह अब गहरी होती जा रही है। जिससे सड़क के खस्ताहाल होने की संभावना तो बढ़ ही
रही है वहीं दूसरी ओर यह दुर्घटनाओं को न्यौता भी दे रही है। ऐसा सड़क पर कुछ
जगहों पर नहीं बल्कि जगह जगह इस प्रकार की स्थिति देखने को मिल जाती है। लेकिन यह
स्थिति अधिकारियों को क्यों नहीं दिखाई दी यह जांच का विषय है। जबकि माना जाता है
कि जब किसी भी निर्माण कार्य को पूरा किया जाता है तो उसके बाद अधिकारियों की ओर
से जांच की जाती है और उसके बाद भी ठेकेदार की अंतिम पेमेंट होती है। लेकिन शायद
यहां ऐसा नहीं हुआ और कमरे में बैठकर ही निर्माण कार्य की संतुष्टि कर ली गई और
ठेकेदार को पेमेंट भी कर दी गई। जिससे सरकार को तो चूना लगाया ही गया वहीं लोगों
को भी दुर्घटनाओं का गिफ्ट दे दिया गया। अब जब लोग इसकी शिकायत अधिकारियों से करना
चाहते है तो अधिकारी किसी का फोन उठाना भी मुनासिफ नहीं समझते।
सड़क किनारे खड़े पेड़ व पोल भी दे रहे हादसों का दावत
सड़क के बर्म में लापरवाही बरतने के साथ साथ दो और
मुख्य वजह है जिससे यह सड़क मार्ग हादसों का कारण बन सकता है। आगामी फोग सीजन में
यहां दुर्घटनाएं कितनी अधिक हो सकती है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
सड़क के दोनों ओर भारी भरकम पेड़ जगह जगह खड़े हुएं है। रादौर से लगते क्षेत्र की
बात करे तो यहां माता सावित्री बाई फुले त्रिवेणी चौंक से लेकर पश्चिमी यमुनानहर
पुल तक स्थिति अधिक गंभीर है। पेड़ सड़क के किनारे से सटे होने के साथ साथ सड़क पर
झुके हुए भी है। वहीं बिजली के पोल भी हादसों को न्यौता दे हे है। कुछ पोल तो ऐसे
है जो किनारे ही नहीं बल्कि सड़क के बीच में ही आ चुके है। लेकिन अभी तक विभाग ने
इन्हें हटाने की जहमत नहीं उठाई।
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