By, Rahul Sahajwani
प्रदेश में चिकित्सक और स्टाफ के 42 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं, इतना ही नहीं अस्पतालों में न डॉक्टर हैं और न ही दवाएं। आखिर मरीज जाए तो कहां जाएं। निजी अस्पताल को उपचार इतना मंहगा हो गया है कि मरीज कंगाल होकर अस्पताल से बाहर निकलता है। जिस आयुष्मान कार्ड को लेकर सरकार उछल रही है उस कार्ड के आधार पर अब प्राइवेट चिकित्सक उपचार ही नहीं करते।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि प्रदेश की भाजपा सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की बात करती है, उसका यह दावा केवल कागजों तक ही सीमित है क्योंकि धरातल पर कुछ दिखाई नहीं देता है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक और स्टाफ के 42 प्रतिशत पद खाली पड़े हुए है, इन दोनों के करीब 41628 पद स्वीकृत है उनमें से 17409 खाली पड़े है।
इतना ही नहीं प्रदेश के मेडिकल कालेज में न तो स्थायी निर्देशक है और न नही चिकित्सा अधीक्षक है। उन्होंने कहा कि प्रदेशमें सिरसा की अपनी अलग ही पहचान होती है। यहीं का जिला अस्पताल यानि सिविल हास्पिटल तो इस समय मात्र एक भवन ही बनकर रह गया है। इस सिविल अस्पताल में अधिकतर विशेषज्ञ डॉक्टी नहीं है, जब डॉक्टर नहीं है तो जरूरत के अनुसार कोई उपकरण नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग बुनियादी ढांचे, मानव संसाधन, दवाओं, उपकरणों आदि को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है। बीमार और आघात पीड़ितों के अलावा शिशुओं, बच्चों, किशोरों, माताओं, योग्य जोड़ों और बुजुर्गों सहित सभी श्रेणियों की आबादी की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रही है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग बुनियादी ढांचे, मानव संसाधन, दवाओं, उपकरणों आदि को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है। बीमार और आघात पीड़ितों के अलावा शिशुओं, बच्चों, किशोरों, माताओं, योग्य जोड़ों और बुजुर्गों सहित सभी श्रेणियों की आबादी की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रही है।
कहा कि सिविल अस्पताल आजकल रैफर सेेंटर बनकर रह गए है। जब भी कोई मरीज इलाज के लिए आता है कि उसे कर दिया जाता है। सरकार को लोगो को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उनलब्ध करवाने की दिशा में उचित कदम उठाना चाहिए।