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Chandigarh- प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एनएसयूआई ने शिक्षा बचाओ देश बचाओ अभियान लॉन्च किया

शिक्षा बचाओ देश बचाओ



चंडीगढ़
news
नैशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय स्थित चंडीगढ़ में प्रेस वार्ता करके शिक्षा बचाओ देश बचाओ अभियान की शुरुआत की। कांग्रेस छात्र इकाई के राष्ट्रीय सचिव व हरियाणा प्रभारी वरुण चौधरी ने पोस्टर लांच किया जिस दौरान उनके साथ एनएसयूआई आरटीआई सेल के राष्ट्रीय कन्वीनर दीपांशु बंसल,राष्ट्रीय कोर्डिनेटर अभिषेक यादव,लक्ष्य यादव,विजिट कटारिया,अंकुश भी मौजूद रहे।इसके बाद प्रदेशभर में छात्रों की आवाज को बुलन्द करने के लिए रणनीति को भी सांझा किया।

एनएसयूआई के अनुसार नयी शिक्षा नीति केंद्रीकरण व शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देती है। साथ ही यह शिक्षा विरोधी नीति तब लायी गयी जब पूरे देश में कोविड कहर का दौर था। उद्देश्य साफ है मोदी सरकार शिक्षा को भी सिर्फ अमीरों के लिए एक सुविधा जैसा बनाना चाहती है। गरीब बच्चों के भविष्य के साथ यह सीधा खिलवाड़ है।

एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव एवं प्रदेश प्रभारी वरुण चौधरी का कहना है कि बीजेपी सरकार निजीकरण नौकरियां, आरक्षण व भविष्य सब बर्बाद कर देगा

सरकारी संस्थानों के निजीकरण से देश के युवाओं के लिए स्थायी रोजगार के अवसर खत्म हो जाएंगे। अब तो नयी शिक्षा नीति भी निजीकरण को बढ़ावा दे रही या है तो गरीब जाए तो जाए कहाँ।

दीपांशु बंसल ने कहा कि साथ ही SSC, NEET, JEE जैसे सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में घोटाले सामने आना व युवाओं को वर्षों तक नौकरी नहीं देना यह साफ बताता है कि मोदी सरकार छात्र विरोधी है।

अगर हम छात्र वर्ग के लिए कोई नीति बना रहें हैं तो हमारा कर्तव्य बनता हैं कि हम उनसे चर्चा करे लेकिन वर्तमान सरकार की आदत बन चुकी हैं कि सभी कार्य तानाशाही तरीके से लागू करते हैं।छात्र नेताओं का कहना है कि जब से बीजेपी सरकार सत्ता में आई हैं तब से छात्रों की फैलोशिप एवं स्कॉलरशिप रोकी जा रहीं हैं, प्रवेश परीक्षाओं में घोटाले हो रहें हैं तथा परीक्षाओं के परिणाम देरी से आ रहे हैं। जिसके कारण छात्रों के 2 से 3 साल बर्बाद हो जाते हैं।

एनएसयूआई केंद्र सरकार से मांग करती हैं कि केंद्रीय स्तर एवं प्रदेश स्तर पर छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में आयु सीमा में कम से कम 2 साल की छूट दी जाएं क्योंकि कोरोना काल में छात्रों के 2 साल पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं।गौरतलब है कि कोरोना काल के नुकसान के बाद छात्र अब तक नुकसान से नहीं उबर पाए है और एनएसयूआई के इस आंदोलन ने छात्रों की मांगों को आवाज दी है। 

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