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Chandigarh : सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने मुख्यमंत्री के ब्यान “MSP पर कानून बनाना संभव नहीं” पर मांगा स्पष्टीकरण

प्रधानमंत्री से मिलने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री ने बयान दिया कि “MSP पर कानून बनाना संभव नहीं” वो स्पष्ट करें कि ये उनके विचार हैं या प्रधानमंत्री जी के – दीपेन्द्र हुड्डा 

23 नवम्बर, 1948 को संविधान सभा में किसान के हक़ में  चौ. रणबीर सिंह जी के ऐतिहासिक प्रस्ताव के बाद MSP प्रणाली का जन्म हुआ

जिन 700 से अधिक किसानों की जान गई देश की सरकार उनके परिवारों से माफ़ी मांगे और सदन किसानों को श्रद्धांजलि देकर सत्र की शुरुआत करे - दीपेन्द्र हुड्डा

किसानों का संघर्ष सदैव अमर रहेगा, उनका बलिदान पुश्तें याद रखेंगी – दीपेन्द्र हुड्डा

शीतकालीन सत्र में किसानों का मुद्दा पहले की तरह पुरजोर तरीके से उठाएंगे -दीपेन्द्र हुड्डा 

CITY LIFE HARYANA | चंडीगढ़ : सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा देश के प्रधानमंत्री से मिलने के बाद दिए गए बयान पर स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा कि उन्होंने बयान दिया है कि “MSP पर कानून बनाना संभव नहीं” वो स्पष्ट करें कि ये उनके खुद के विचार हैं या प्रधानमंत्री जी के हैं। हरियाणा की गठबंधन सरकार तो पहले भी 3 कृषि कानूनों की वापसी न होने की बात कहती रही है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार किसानों की सभी लंबित मांगों को पूरा करे और किसान आन्दोलन के दौरान जिन 700 से अधिक किसानों की जान गई देश की सरकार उनके परिवारों से माफ़ी मांगे और सदन किसानों को श्रद्धांजलि देकर सत्र की शुरुआत करे। वे स्वयं भी संसद के शीतकालीन सत्र में किसानों की सभी लंबित मांगों को पूरा करने का मुद्दा पहले की तरह पुरजोर तरीके से उठाएंगे।


दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि आज किसान जिस MSP गारंटी के क़ानून की लड़ाई लड़ रहा हैं उसकी माँग सर्वप्रथम 23 नवम्बर, 1948 को संविधान सभा में चौ. रणबीर सिंह जी ने उठाई थी। किसान के हक़ में दिए गए उनके ऐतिहासिक प्रस्ताव के बाद MSP प्रणाली का जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि आगामी शीतकालीन सत्र में किसानों की मांगों के अनुरूप MSP गारंटी कानून बनाने सहित अन्य लंबित मांगों को पूरा किया जाए। सांसद दीपेंद्र ने यह भी कहा कि MSP गारंटी के साथ ही MSP से कम में कोई खरीद होने पर दंड का कानूनी प्रावधान किया जाए। 


उन्होंने कहा कि देश के किसानों का संघर्ष सदैव अमर रहेगा, उनका बलिदान पुश्तें याद रखेंगी। किसानों ने अपना बुनियादी हक मात्र पाने के लिए 365 दिन का संघर्ष, चारों पहर और 6 ऋतुओं की मार, लाठियाँ, वॉटर गन, कील की दीवारें, अपशब्द, असंख्य मुकदमे, अनगिनत साजिशें, बेइंतहा नफरत और 700 से अधिक शहादतें देकर बड़ी कीमत अदा की है।

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