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Panchkula : पांच राज्यों में संभावित हार को देखते हुए वापिस लिए केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानृन: याूेगेश्वर शर्मा

किसानों की मेहनत रंग लाई

CITY LIFE HARYANA | पंचकूला : आम आदमी पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानृन वापिस लेने की घोषणा को किसानों के साथ साथ आम आदमी की जीत बताया है। पार्टी का कहना है कि आखिरकार लोकसभा व विधानसभा उपचुनावों में मिली करारी हार के बाद प्रधानमंत्री व भाजपा केा समझ में आ ही गया कि जनता व खासकर किसानों से ऊपर कुछ नहीं है। मगर प्रधानमंत्री व भाजपा की जिद ने करीब सात सौ किसानों की शहादत लेने के बाद इस बात को समझा कि जब किसान इन तीनों बिलों को अपने लिए हितकर नहीं मानते तो फिर जबरदस्ती उन पर यह बिल थोपना बेमानी है। पार्टी ने इस आंदोलन के दौरान शहादत देने वाले किसानों के परिजनों को एक एक करोड़ रुपये की सहायता राशि दिये जाने की मांग की है। पार्टी ने मांग की है कि अब सरकार को तुरंत प्रभाव से अलग अलग राज्यों में इस किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किये गये केस भी वापिस ले लेने चाहिए।

यह मांग की : अब सरकार को तुरंत प्रभाव से अलग अलग राज्यों में इस किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किये गये केस भी वापिस ले लेने चाहिए।

पार्टी के उत्तरी हरियाणा के सचिव योगेश्वर शर्मा ने कहा कि हमारे देश में लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि जहां आप बहुमत के आधार पर लोगों की बात को सुनते हैं और जबरदस्ती किसी चीज को किसी पर नहीं थोप सकते। केंद्र की भाजपा सरकार भी जबरदस्ती तीनों काले कृषि कानून किसानों पर थोपने का प्रयास कर रही थी। ऐसे में देश भर में किसान इन तीनों काले कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे और इन्हें वापिस लिऐ जाने की मांग को लेकर दिल्ली सीमा पर धरना दे रहे थे। किसानों ने सरकार व इन तीनों काले कानूनों का विरोध करने के लिए बंगाल में भी जाकर सरकार का विरोध किया और वहां भाजपा को बुरी तरतह से हार का सामना करना पड़ा था। मगर भाजपा व उसके नेता प्रधानमंत्री सहित बार बार एक ही बात कहते थे कि वे किसी भी सूरत में ये तीनों काले कृषि कानून वापिस नहीं लेंगे। ऐसे में सबसे पहले आम आमदी पार्टी ने किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की घोषणा की थी और केंद्र सरकार के इन तीनों बिलों का सडक़ से लेकर सदन तक जमकर विरोध किया था। मगर भाजपा की हठधर्मिता ने किसानों को सर्दी,गर्मी और बरसात के मौसम में भी धरने पर बैठे रहने को मजबूर किया जिसके चलते सात सौ से भी ज्यादा किसानों की शहादत हो गई। इस दौरान सरकार ने किसानों के आंदोलन को खत्म करकवाने के लिए अनेकों तरह के हथकंडे भी अपनाये,मगर सफलता नहीं मिली। अब जब उसे लोकसभा व विधानसभा उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा और विभिन्न सूत्रों से सरकार को यह पता चल गया कि आने वाले पांच राज्य के विधानसभा चुनावों में भी उनका सूपड़ा साफ होने वाला है तो उन्हें हकीकत का अंदाजा हो गया कि किसानों व आमजन को नाराज करके सत्ता हासिल नहीं की जा सकती। इसी लिए प्रधानमंत्री ने ये तीनों काले कृषि कानून वापिस लेने का निर्णय कर लिया। उन्होंने किसानों को इस जीत की बाधाई देते हुए कहा कि आखिरकार उनका संघर्ष रंग लाया है।

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