रैकी के कार्य का डाटा जुटा रहे है हरियाणा एंटी
करप्शन सोसायटी सदस्य
रादौर News। ओवरलोड़ व अवैध खनन पर कार्रवाई करने वाले अधिकारियों की रैकी
करने वाला ग्रुप कुछ दिन शांत रहने के बाद एक बार फिर से क्षेत्र में सक्रिय हो
गया है। जिसके बाद फिर से व्हाट्सअप ग्रुपों में अधिकारियों की रैकी कर उनकी अपडेट
दी जा रही है। लेकिन प्रशासन के अधिकारी इस मामले में कुछ नहीं कर पा रहे है।
हालांकि महीनों पहले जठलाना पुलिस ने ऐसे ही गु्रप चला रहे एक युवक को दबोचा था।
जिसके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था। लेकिन सख्त कार्रवाई न होने के चलते एक
बार रैकी ग्रुप सक्रिय हो गए है। जिसका नुकसान यह हो रहा है कि जांच टीम के
क्षेत्र में पहुंचते ही उनकी जानकारी वायरल हो जाती है। जिसके बाद ओवरलोड़ व अवैध
खनन से जुड़े लोग सचेत हो जाते है। ऐसा ही कुछ शुक्रवार रात्रि भी हुआ। गुमथला
क्षेत्र में ओवरलोड़ पर कार्रवाई करने के लिए एक टीम पहुंची। जिसके क्षेत्र में
पहुंचते ही जानकारी व्हाटसअप ग्रुपों में वायरल हो गई। जिसके बाद टीम केवल कुछ
ओवरलोड़ वाहनों पर ही कार्रवाई कर पाई। अन्य वाहन चालक सड़क किनारे अपने वाहन
लगाकर वहां से खिसक लिए और जब तक टीम क्षेत्र में रही कोई भी अपने वाहनों के पास
नहीं पहुंचा। टीम के जाते ही वाहन चालक अपने वाहनों को लेकर निकले।ऐसे होती है रैकी
रैकी ग्रुप के सदस्यों ने वाहन चालकों को अपने
गु्रपों में जोड़ा हुआ है। जिनसे वह एक निर्धारित फीस लेते है। जब भी खनन व
ओवरलोड़ से जुड़ा कोई भी अधिकारी अपने कार्यालय से निकलता है तो उसकी लोकेशन को इन
गु्रपो में शेयर किया जाता है। अगर अधिकारी कार्यालय से निकल कर अन्य किसी काम को
चला जाता है तो रास्ता साफ होने की बात कहीं जाती है। लेकिन अगर कार्रवाई करने के
लिए अधिकारी की टीम निकलती है तो उसकी हर चौंक चौराहो पर निकलने की अपडेट इन
ग्रुपों में वायस मैसेज या फिर टैक्सट मैसेज के माध्यम से दी जाती है। जिसका लाभ
लेकर ओवरलोड़ वाहन चालक कार्रवाई से बच निकलते है।रैकी के कार्य का डाटा जुटा रहे है हरियाणा एंटी
करप्शन सोसायटी सदस्य
हरियाणा एंटी करप्शन सोसायटी अध्यक्ष वरयामसिंह ने
बताया कि ओवरलोड़, अवैध खनन व रैकी ग्रुपो के बारे उन्होंने हाईकोर्ट में एक जनहित
याचिका दायर की हुई है। क्योंकि इनके कारण राष्ट्रीय संपति को नुकसान हो रहा है।
लेकिन यह कार्य अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। अधिकारी भी इस मामले
में कार्रवाई करने से बचते है। जिसको लेकर उनकी टीम सारे प्रमाण जुटा रही है। किस
प्रकार रैकी ग्रुपो चल रहे है और उनमें किस प्रकार के लोग शामिल है। ओवरलोड़ व
अवैध खनन पर कार्रवाई क्यों नहीं होती। इन सभी बातो को इसमें शामिल किया जा रहा
है। सारा डाटा जुटाकर हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा और न्यायायलय से दोषियों के
खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी। उन्होंने बताया कि जब रैकी ग्रुपो का एक सरगना
पुलिस के हत्थे चढ़ा था तो उस पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई। अगर सख्त कार्रवाई होती
तो इस कार्य पर काफी हद तक अकुंश लग सकता था।
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