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Chandigarh :- गुमनाम नायकों को सम्मान दिलाने की कवायद शुरू

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव से होगा सप्ताह भर चलने वाली प्रदर्शनी का आगाज

CITY LIFE HARYANA | चंडीगढ : महिला एवं बाल विकास, अभिलेखागार विभाग मंत्री कमलेश ढांडा के आदेशानुसार प्रदेश में गुमनाम नायकों की कहानी, उनकी जुबानी जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में जिला स्तरीय प्रदर्शनी का आगाज अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव से हो रहा है। 14 सितंबर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में प्रदेश के आजाद हिंद फौज के उन गुमनाम नायकों के एतिहासिक तथ्यों और स्थानीय नायकों के प्रति विशेष जागरूकता दर्शाई जाएगी।

आज यहां जानकारी देते हुए अभिलेखागार मंत्री कमलेश ढांडा ने कहा कि कुरूक्षेत्र में आजादी के अमृत महोत्सव अभियान के तहत गुमनाम नायकों को सम्मान देने की श्रृखंला की शुरूआत हो रही है। पुरूशोत्तमपुरा बाग, ब्रह्म सरोवर परिसर में स्टाल संख्या आठ व नौ पर ऐतिहासिक एवं दुर्लभ अभिलेखों एवं पांडुलिपियों की प्रदर्शनी की इस शुरूआत की जानकारी देते हुए राज्यमंत्री कमलेश ढांडा ने कहा कि जिला प्रदर्शनी का सिलसिला मार्च 2022 तक चलेगा।

उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंगे्रजो को नाकों चने चबाने वाले गुमनाम नायकों में 11 नायकों के उस वक्त के दस्तावेज उनके नाम एवं चित्र के साथ प्रदर्शित किए गए हैं। इसी प्रकार कुरूक्षेत्र जिला के छह स्वतंत्रता सेनानियों की जानकारी एवं चित्र लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि अभिलेखागार विभाग द्वारा लगाई गई इस प्रदर्शनी में वर्ष 1857 की क्रांति के दौरान थानेसर में घटित घटनाएं, वर्ष 1858 में तत्कालीन थानेसर जिला में सडक निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण एवं मुआवजे व छूट के अभिलेख, वर्श 1860 में थानेसर के धार्मिक तालाब की प्राचीनता एवं ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए विशेष मुरम्मत की राशि मंजूर करने का जिक्र, तत्कालीन थानेसर जिला के ग्रामीण स्कूलों का विवरण, थानेसर सूर्य ग्रहण मेले का आयोजन एवं मेले की योजना, वर्ष 1930 में शाहबाद के विद्यार्थियों द्वारा राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने को भी प्रदर्शित किया गया है। 

अभिलेखागार मंत्री कमलेश ढांडा ने कहा कि विभाग द्वारा 14 दिसम्बर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में कई ऐतिहासिक पांडुलिपियों को भी प्रदर्शित किया गया है। इसमें वर्ष 1758 की दादू दयाल जी की बाणी, वर्ष 1767 की गुरू चेला गोष्ठी, 1785 संवत की श्रीमद्भागवत गीता, वर्ष 1818 में आयुर्वेद चिकित्सा संबंध में संस्कृत में अलसी एवं शलगम के गुण, वर्ष 1857 की अंबाला के लाला अमीरचंद द्वारा भेंट की गई लगभग 33 फुट लंबी रंगीन चित्रकारी युक्त जन्मपत्री, वर्ष 1986 की सलोतरा-घोडों की प्रजाति, नस्ल, बिमारियां एवं चिकित्सा संबंधी जानकारी, वर्ष 1899 की मनोरमा सुंदरी नाटक, वर्ष 1912 का स्कंद पुराणन्तर्गत सेतु महामात्य खण्ड का भाषा अनुवाद, वर्ष 1913 का पांचों पांडव एवं द्रौपदी का स्वर्ग प्रस्थान, वर्ष 1952 का कल्याण-शालिग्राम को श्रीकृष्ण मुख में लेते हुए, 1963 की पंडित भागीरथ हरिप्रसाद द्वारा लिखित शुक्र ब्रहतरी ततग भक्ति उपदेश शामिल है। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से आमजन को न केवल प्रदेश के गुमनाम नायकों की जानकारी मिलेगी, अपितु दुर्लभ तथ्यों से भी रूबरू होने का अवसर प्राप्त होगा।

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