पीटीआई व ड्राइंग टीचर हुए उग्र
कॉलोनी वासियों ने
किया
शिक्षा मंत्री के परिवार का बचाव। क्योंकि शिक्षा मंत्री घर पर मौजूद नही थे। लेकिन टीचरों ने चेतावनी दी कि आज अगर कोई
फैंसला नही आया तो मजबूरन इन्हें कडा कदम उठाना पडेगा।
यह है पूरा मामला
1983 पीटीआई के साथ ही 2006 में 816 ड्राइंग टीचरों की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था। चयन समिति ने इंटरव्यू का 30 अंक तय किया।
2007 में पीटीआई के साथ उनकी भर्ती के लिए एक नोटिस जारी किया कि उनका पेपर व इंटरव्यू होगा।
इसके सात दिन बाद ही यह नोटिस जारी किया कि ड्राइंग टीचर का पेपर नहीं होगा।
भर्ती प्रक्रिया के दौरान बार-बार नियम बदलने के अरोप लगे।
2010 में सभी चयनितों की जॉइनिंग हो गई। उस वक्त 24 कैटेगिरी की भर्ती निकाली गई थी, जिसमें पीटीआई भर्ती केस के साथ ड्राइंग टीचर भर्ती का केस भी जुड़ गया।
मामले को लेकर ड्राइंग टीचर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली।
कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई थी भर्ती।
गौरतलब है कि
सुबह
का समय पुलिस प्रशासन गहरी नींद में था। उसी समय सैकडो की तदात में पीटीआई एवं
ड्राइंग टीचर राम - राम करते हुए सडको पर उतर आए और इस बात की
भनक किसी को काने कान भी नही
लगी। देखते ही देखते यह टीचर जब शिक्षा मंत्री के निवास स्थान से कुछ ही दूरी पर
पहुंच गए तो आनन फानन में गुप्तचर विभाग ने इस मामले की सूचना अधिकारियों की दी।
उसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने बेरीकेटस लगाकर इन्हें रोकने का प्रयास भी किया।
लेकिन संख्या ज्यादा होने के कारण पुलिस इन्हें रोक नही पाई और यह लोग शिक्षा
मंत्री के निवास स्थान के बाहर
पहुंच
गए। इन
लेागो ने हरियाणा सरकार के खिलाफ जमकर नारे बाजी की। जिसके बाद पुलिस इन टीचरों को
समझाने में जुट गई तो जानकारी दी कि शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर यमुनानगर में
नही है और वह चंडीगढ़ में
है। पुलिस व परिवार के लोगो के कहने के बाद यह टीचर वहा से वापिस लौट गए। लेकिन इन
लोगो ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर आज उन्हें नौकरी पर वापिस नही लिया गया
तो वह किसी भी प्रकार का कोई बडा निर्णय ले सकते है। क्योंकि यह लोग कोर्ट से अपनी नौकरी बहाली
की जंग जीत चुके है। और
सरकार ने इन्हें कई बार आश्वासन तो दिया लेकिन बहाली नही हुई। उन्होंने कहा कि जब
तक नोकरी नही तब तक घर वापसी भी नही।
शिवकुमार काम्बोज |
शिवकुमार काम्बोज
ने
बताया कि शिक्षा मंत्री कंवरपाल पर मंगलवार की सुबह तड़के में इसलिए हमला किया गया
क्योंकि शिक्षा मंत्री उस समय अकेले होते है। उन्होंने कहा कि सरासर
पुलिस विभाग की विफलता का परिणाम है, ना तो सीआईडी डिपार्टमेंट
और ना ही पुलिस डिपार्टमेंट शिक्षा मंत्री कंवरपाल की सुरक्षा के प्रति संजीदा
दिखे।
शिवकुमार काम्बोज
का
कहना है कि जगाधरी
अनाज मंडी से कैसे बस स्टैंड चोंक,
मटका
चोंक और फिर शिक्षा मंत्री के निवास से कुछ दूरी पर अग्रसेन चोंक से होते हुए ये
प्रदर्शनकारी टीचर्स शिक्षा मंत्री के निवास पर कैसे पहुंच गए। शिक्षा मंत्री के परिवार के साथ मंगलवार की
सुबह कुछ भी अनहोनी घटना हो सकती थी। इस
घटना के दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
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