डीजीपी जेल आकिल मोहम्मद ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि अब जेलों से कैदी व बंदी अपने स्वजनों को वीडियो कालिंग भी कर सकेंगे. अब तक आडियो काल के माध्यम से कैदी अपने स्वजनों से बात कर सकते हैं !
यमुनानगर / 𝐂𝐢𝐭𝐲 𝐋𝐢𝐟𝐞 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚. 𝐂𝐨𝐦
प्रदेश की जेलों में होंगे अब कहीं
बदलाव जेलों में सुधार को लेकर लगातार किया जा रहा है काम। यमुनानगर जिला जेल में
निरीक्षण करने पहुंचे हरियाणा के डीजीपी जेल आकिल मोहम्मद ने प्रदेश की जेलों में
किस प्रकार के सुधार किए जा रहे हैं उस पर विस्तार से बात की। अब सस्ती दरों पर
जेल में बंद बंदी अपने परिजनों से न सिर्फ देश मे बल्कि विदेश में भी वीडियो कॉल
भी कर सकेंगे।
डीजीपी जेल आकिल मोहम्मद ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि अब जेलों से कैदी व बंदी अपने स्वजनों को वीडियो कालिंग भी कर सकेंगे। अब तक आडियो काल के माध्यम से कैदी अपने स्वजनों से बात कर सकते हैं। इसमें वीडियो काल के लिए मशीन लगाई जाएगी। जिसमें एक कैदी को अपने स्वजन से बात करने के लिए दस मिनट का समय दिया जाएगा। इसके लिए काफी सस्ती दर होगी। इस बारे में कंपनी से बातचीत चल रही है। इसका फायदा उन कैदियों को होगा। जिनके स्वजन विदेश में रहते हैं। 27 पैसे मिनट होगा अगर 10 मिनट कोई बात करता है तो उसके 2 रुपए 70 पैसे लगेंगे।
वहीं, कुछ जेलों की दीवारों को ऊंचा करने की जरूरत है। उस पर भी स्टडी चल रही है। वहां पर जेलों की दीवारों को ऊंचा किया जाएगा। प्रदेश की जेलों में रेडियो सिस्टम भी शुरू किया गया है। कुछ जेलें बची हुई हैं। उनमें भी जल्द ही रेडियो सिस्टम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हरियाणा की जेलों में जेल रेडियो सिस्टम भी शुरू हो चुका है ऐसा प्रयास किया जा रहा है कि सभी जिलों में वह रेडियो सिस्टम स्टार्ट हो जाए। जेलों से मोबाइल फोन मिलने के सवाल पर डीजीपी ने बताया कि जेलों में जैमर लगाए जाने की योजना थी, लेकिन अब सैटेलाइट टावर लगाए जाएंगे। इसे होरमोनियस काल ब्लोकिंग सिस्टम कहते हैं। इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी गई है। अनुमति मिलने के बाद इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
पैरोल से लौटने वाले कैदियों की विशेष जांच की जाएगी, क्योंकि यमुनानगर का क्षेत्र हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश के बार्डर से लगता है। ऐसे में नशे की संभावना रहती है। इसलिए ही विशेष जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।
डीजीपी जेल मोहम्मद अकील ने कहा कि आमतौर पर जेल में बंद कैदियों को पैरोल और फरलो (छुट्टी) पर कुछ दिनों के लिए रिहाई दी जाती है, इसका मुख्य उद्देश्य होता है कि वह समाज में जाकर मिलता रहे, कहीं ऐसा ना हो कि जब वह ज्यादा समय के बाद जाए तो बाहर जाकर उसको एकदम से इतना बदलाव दिखे कि वह खुद को उस में ढाल ना पाए और वह डिप्रेशन में न आ जाए। जेलों में कैदी मानसिक तनाव का शिकार न हो। इसके लिए अब जेलों में साइकोलोजिस्ट पैरामेडिकल रखे जाएंगे। यह कैदियों की काउंसलिंग करेंगे। जब कैदी जेलों से बाहर जाए, तो मुख्यधारा से जुड़ सके। साइकोलोजिस्ट पैरामेडिकल कैदियों का मानसिक लेवल अप करेंगे। योग व मैडिटेशन के जरिए कैदियों की दिनचर्या में सुधार किया जाएगा।
वही, डीजीपी जेल ने सभी कैदियों से बातचीत की और सभी व्यवस्थाओं को चेक किया। लगातार जेलों में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं और उन्हें बढ़ाया जा रहा है। यमुनानगर जेल को बने हुए 12 साल हो गए हैं। इस मौके पर एसपी जेल संजीव पातड़, यमुनानगर के एसपी कमलदीप गोयल, जेल के सभी अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।