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Yamunanagar - सेनिटेशन कमेटी ने किया कैच कचरा प्लांट का निरीक्षण

सेनिटेशन कमेटी ने किया कैच कचरा प्लांट का निरीक्षण 


यमुनानगर। NEWS -  सेनिटेशन कमेटी ने सोमवार को कमेटी अध्यक्ष एवं नगर निगम महापौर मदन चौहान के नेतृत्व में कैल कचरा निस्तारण प्लांट का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने प्लांट में भारत विकास ग्रुप कंपनी द्वारा बायो रेमेडिएशन तकनीक से बनाये जा रहे जैविक खाद की जांच की। उन्होंने कंपनी के अधिकारियों को  जल्द से जल्द बचे हुए कचरे का निस्तारण करने के निर्देश दिए। बता दें कि कैल प्लांट में कचरा निस्तारण का काम पुणे की भारत विकास ग्रुप कंपनी को अलॉट किया हुआ है। कैल कचरा प्लांट में लंबे समय से डंप हो रहे लगभग सवा लाख टन कचरे का निस्तारण अंतिम चरण में है। कंपनी द्वारा कचरे के प्रबंधन के दौरान आरडीएफ (रिफ्यूज डिलाइव फ्यूल), बायो सोयल व ईंट-कंकड़ अलग-अलग किया गया है।

कैल कचरा निस्तारण प्लांट के निरीक्षण में मेयर मदन चौहान के साथ सीनियर डिप्टी मेयर प्रवीण शर्मा, डिप्टी मेयर रानी कालड़ा, भाजपा जिला अध्यक्ष राजेश सपरा, ज्वाइंट कमिश्नर अशोक कुमार, गिरीश पूरी, डा. हर्षवर्धन, पार्षद एवं कमेटी सदस्य प्रिंस शर्मा, पार्षद संजीव कुमार, पार्षद संजय राणा, पार्षद सुरेंद्र शर्मा, वेद पप्पी, कर्मवीर, एक्सईएन एलसी चौहान, सीएसआई सुरेंद्र चौपड़ा अन्य पहुंचे। यहां उन्होंने कचरा निस्तारण कर उससे खाद तैयार कर रही मशीनों की कार्यप्रणाली जानी। मेयर चौहान ने कचरा प्लांट की चारदीवारी ठीक करने के भी निर्देश दिए। मेयर चौहान ने कहा कि शहर की सफाई व्यवस्था बेहतर करने के लिए हम अनेक प्रयास कर रहे है। उन्होंने बताया कि शहर से निकलने वाले कचरे के प्रबंधन के लिए कैल गांव में साल 2012 में 18.74 करोड़ रुपये की लागत से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाया गया था। कुछ दिन ठीक ठाक चलने के बाद प्लांट की गति धीमी पड़ गई। इसके बाद दिसंबर 2014 में प्लांट बंद हो गया। इसके बाद यहां कूड़े का पहाड़ नुमा ढेर लग गया। यहां करीब सवा लाख टन कचरा जमा हो गया। इसके प्रबंधन के लिए नगर निगम ने जनवरी 2021 में भारत विकास ग्रुप कंपनी को ठेका दिया गया। कंपनी ने  बायो रेमेडिएशन तकनीक से कचरे का प्रबंधन करना शुरू किया। प्रबंधन के दौरान प्लास्टिक, पेपर, फोम आदि से आरडीएफ (रिफ्यूज डिलाइव फ्यूल) तैयार किया जा रहा है। इसे सीमेंट फैक्टरी व अन्य फैक्ट्रियों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल के लिए बेचा जा रहा है। इसके अलावा बायो सोयल को लैंड फीलिंग व भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है। यहां पड़े कचरे की छंटनी कर अलग-अलग उत्पाद के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। आरडीएफ (रिफ्यूज डिलाइव फ्यूल) का प्रयोग उप्र व एनसीआर की औद्योगिक इकाइयों में प्रयोग किया जा रहा है। प्लांट में कचरा निस्तारण अंतिम चरण में है। कंपनी अधिकारियों को बचे हुए कचरे का भी जल्द निस्तारण करने के निर्देश दिए गए है।

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