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YAMUNANAGAR - Corruption Act में चार पुलिसकर्मी SUSPEND - यह है पूरा मामला

भ्रष्टाचार के आरोप में 2 असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर सहित पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज


नशा बेचने वालों से मांग रहे थे रिश्वत 

यमुनानगर | NEWS - पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र पाल सिंह ने बताया कि साढौरा थाने में तैनात एएसआई दौलत राम, एएसआई राजेश कुमार, एचसी लाभ सिंह, जसजीत सिंह और गांव श्यामपुर निवासी कृष्ण कुमार पर धारा-384, 342, 120बी और सात करप्शन एक्ट में केस दर्ज किया गया है। रादौर डीएसपी रजत गुलिया की सोर्स रिपोर्ट के आधार पर उन पर यह केस दर्ज हुआ है। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि करप्शन बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पुलिस कर्मचारियों को ईमानदारी से काम करने के कड़े निर्देश दिए हुए हैं। लेकिन कुछ कर्मचारी इन आदेशों की पालना नहीं कर रहे। जो भी करप्शन करेगा और सही काम नहीं करेगा उस पर आगे भी इसी तरह से कार्रवाई होगी। 


डीएसपी की रिपोर्ट के अनुसार एएसआई राजेश कुमार ने श्यामपुर निवासी गौरव उर्फ गुटटू को 30 अप्रैल 2022 को साढौरा सब्जी मंडी के पास पकड़ कर उसके पास से 98.33 ग्राम अफीम पकड़ी थी। साढौरा थाने में केस दर्ज किया गया था। केस की जांच एएसआई दौलत राम ने की। इसी दौरान पुलिस अधिकारियों को पता चला कि साढौरा थाने के कुछ कर्मचारियों ने अफीम पकड़ने के केस में उठाकर उन्हें केस में फंसाने का भय दिखाया और उन्हें छोड़ने के नाम पर उनसे पैसे लिए। जांच में पता चला कि गांव कपूरी कलां निवासी रमन कुमार इसी केस में पुलिस उठाकर थाने में लेकर आई। यहां पर उसे छोड़ने के नाम पर शामपुर निवासी कृष्ण के माध्यम से पैसे लिए। रमन के बयान लिए तो उसने बताया कि वह साढौरा में ऑटो रिपेयर की दुकान चलाता है। 30 अप्रैल को वह दुकान पर था। शाम के समय पुलिस कर्मी जसजीत सिंह, दौलतराम, लाभ सिंह पकड़े गए गौरव को लेकर उसकी दुकान पर आए। उससे पूछा कि वह गौरव को कब से जानता है।उसने कहा कि वह उसे दो तीन साल से जानता है।


वह कालांअब में रुचिका पेपर मिल में काम करता था और वहां पर जाते समय उसकी दुकान पर अपनी बाइक खड़ी कर जाता था। इस तरह से वह उसे जानता है। इतनी बात सुनने के बाद पुलिस वाले उसे भी थाने ले गए। पीछे से आसपास के दुकानदारों ने उसके भाई रज्जी को बताया कि उसके भाई रमन को पुलिस ले गई। उसे थाने में एक कमरे में बैठाया गया। वहां पर पुलिस वाला राजेश, जसजीत, दौलतराम और लाभ सिंह भी बैठे थे। वहां पर संदीप और कृष्ण भी आए। उन्होंने आपस में बात कर कहा कि अगर बचना है तो 40 हजार देने होंगे। उनकी 30 हजार रुपए में बात हो गई। संदीप और कृष्ण के माध्यम से उन्होंने 30 हजार पुलिस वालों को दिए तो उसे छोड़ा गया। वहीं उसे पता चला है कि राजन से भी पुलिस ने 80 हजार रुपए लिए हैं। वहीं सैंटी को छोड़ने के लिए दो लाख, बबल को छोड़ने के लिए 25 हजार, विक्रम भोगपुर को छोड़ने के लिए पांच लाख देने की बात चली थी। इसी तरह से पुलिस ने गांव मोहड़ी निवासी संदीप के बयान लिए तो उसने बताया कि वह भी साढौरा में बाइक रिपेयर का काम करता है। 30 अप्रैल को रमन के भाई रज्जी ने उस पर एक युवक को भेजा और कहा कि रमन को पुलिस थाने लेकर गई है और वह उसे छुड़ाने के लिए थाने चला जाए। उसने कृष्ण को फोन किया और कहा कि रमन को छुड़ाने के लिए थाने जाना है। कृष्ण उसे थाने लेकर गया। वहां पर रज्जी पहले से था। वह और कृष्ण थाने के अंदर गए। वहां एक कमरे में गट्टू बैठा था। वहां पर पुलिस कर्मचारी लाभ सिंह और एक अन्य पुलिस वाला बैठा था। उन्होंने रमन को पूछा कि उसकी दुकान पर गटटू आता है और सामान बेचता है।



लेकिन रमन ने कहा कि वह उसकी दुकान पर शाम को आता जरूर है और वहां पर शराब पीता है। सामान बेचने का उसे नहीं पता। पुलिस वाले ने धमकाते हुए कहा कि वे भी नशा बेचते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि रमन ऐसा नहीं है। कृष्ण कमरे से बाहर आया और फिर अंदर आकर उसे बोला की छुड़ाने के 40 हजार लगेंगे। लेकिन उसने 30 हजार कहे। उसने बाइक बेची थी। उसके 30 हजार आए थे। उसे कृष्ण को पुलिस वालों को देने के लिए दे दिए। इसके बाद रमन को छोड़ दिया। इसी दौरान उन्हें पता चला कि पुलिस राजन के घर पर भी गई थी। उससे 80 हजार रुपए लिए गए। वहीं अन्य आरोपियों को केस में छोड़ने के नाम पर पैसे लेने की बात चली थी। डीएसपी ने अपनी जांच में बताया कि पुलिस कर्मी दौलतराम, लाभ सिंह, जसजीत सिंह, राजेश ने रमन को केस में फंसाने का डर दिखाकर शामपुर निवासी कृष्ण के माध्यम से 30 हजार रुपए लिए। इस तरह से अन्य लोगों को भी केस में फंसाने का भय दिखाकर पैसे लेकर छोड़ने का पता चला है। इस शिकायत पर साढौरा थाने में केस दर्ज हुआ है।



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