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Chandigarh - जल संरक्षण के लिए हरियाणा में आरंभ हुई सुजल पहल - मुख्यमंत्री ने किया लांच

वाटर सप्लाई मैनेजमैंट की दिशा में राज्य की अनूठी पहल 


चंडीगढ़ | NEWS -   हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज यहां "संत कबीर कुटीर" से प्रदेश के लिए सुजल’ पहल का शुभारंभ किया। वाटर सप्लाई मैनेजमैंट की दिशा में आरंभ की गई राज्य की यह अनूठी पहल जल संरक्षण के क्षेत्र में बैंचमार्क साबित होगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पायलट के तौर पर पंचकूला के लिए इसकी शुरूआत करते हुए कहा कि सुजल’ पहल एक अनोखी पहल है जो पर्यावरण के अनुकूल है और इसके कारण हम पानी की स्ट्रक्चर्ड सप्लाई के साथ-साथ संसाधनों की बचत और वित्तीय बचत भी कर सकेंगे। उन्होंने इस पहल के लिए पंचकूला के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि ऐसी पहलों के कारण ही हम पर्यावरण का बचाव कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए सभी संसाधनों को बचा कर रख सकते हैं। पंचकूला में सफल होने के बाद इस पहल को पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।



उन्होंने कहा कि जल ही जीवन है और यह जल हम सब के लिए केवल एक संसाधन ही नहीं बल्कि अमूल्य अमृत है जिसका न कोई विकल्प है और न ही कोई अंतहीन स्रोतइसीलिए यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम जल का संरक्षण करें। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण इसी जिम्मेदारी की ओर कदम उठाते हुए सुजल’ योजना आरंभ करने जा रहा है। यह हरियाणा प्रदेश का ऐसा पहला इनिशिएटिव है,जो वाटर सप्लाई मैनेजमेंट द्वारा जल संरक्षण करेगा। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी का प्रयोग हर क्षेत्र में हो रहा है। उन्होंने कहा कि वाटर सप्लाई मैनेजमेंट में भी टेक्नोलॉजी के प्रयोग से ऐसे सुधार लाए जा सकते हैंजिनसे जल संरक्षण तो होगा ही,साथ में वित्तीय बचत भी होगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के हर एक पेयजल के मीटर 
ट्यूबवेल व कनेक्शन में एक उपकरण लगाया जाएगा जिसमें ऑनलाइन क्लाउड स्टोरेज रहेगी। इसकी मदद से पानी की सप्लाई पर निगरानी रखी जाएगी और पानी के प्रवाह को भी नियंत्रित किया जा सकेगा। इस इनोवेशन से अधिकारी अपने ऑफिस में बैठ कर ही व्यर्थ बह रहे पानी के बहाव को देख कर रोक सकते हैं और पानी का बचाव कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस टेक्नोलॉजी से हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले हर घर में व हर कमर्शियल साइट पर पानी के प्रवाह को मापना आसान हो जाएगा। यह भी पता चल जाएगा कि कौन से कनेक्शन व मीटर निष्क्रिय हैं ताकि उन्हें बंद किया जा सके। यह सारी जानकारी एक डैशबोर्ड पर उपलब्ध करवाई जाएगी ताकि सभी सम्बंधित अधिकारी इस प्रक्रिया पर नजर रख सकें।

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