𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭-𝐥𝐞𝐝 𝐛𝐲 𝐌𝐚𝐧𝐨𝐡𝐚𝐫 𝐋𝐚𝐥 𝐢𝐬 𝐜𝐨𝐦𝐦𝐢𝐭𝐭𝐞𝐝 𝐭𝐨 𝐩𝐫𝐨𝐯𝐢𝐝𝐞 𝐪𝐮𝐚𝐥𝐢𝐭𝐚𝐭𝐢𝐯𝐞 𝐞𝐝𝐮𝐜𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐭𝐨 𝐚𝐥𝐥 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐡𝐢𝐥𝐝𝐫𝐞𝐧 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞. 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐆𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐥𝐚𝐲𝐢𝐧𝐠 𝐞𝐦𝐩𝐡𝐚𝐬𝐢𝐬 𝐨𝐧 𝐩𝐫𝐨𝐯𝐢𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐞𝐝𝐮𝐜𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐟 𝐩𝐨𝐨𝐫 𝐬𝐭𝐮𝐝𝐞𝐧𝐭𝐬 𝐚𝐥𝐨𝐧𝐠 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐞𝐪𝐮𝐚𝐥 𝐨𝐩𝐩𝐨𝐫𝐭𝐮𝐧𝐢𝐭𝐲 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐮𝐝𝐞𝐧𝐭𝐬 𝐨𝐟 𝐜𝐥𝐚𝐬𝐬𝐞𝐬 𝐈𝐈 𝐭𝐨 𝐗𝐈𝐈 𝐭𝐨 𝐬𝐭𝐮𝐝𝐲 𝐢𝐧 𝐫𝐞𝐜𝐨𝐠𝐧𝐢𝐳𝐞𝐝 𝐩𝐫𝐢𝐯𝐚𝐭𝐞 𝐬𝐜𝐡𝐨𝐨𝐥𝐬 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐭𝐡𝐞 𝐨𝐧-𝐠𝐨𝐢𝐧𝐠 𝐚𝐜𝐚𝐝𝐞𝐦𝐢𝐜 𝐬𝐞𝐬𝐬𝐢𝐨𝐧. 𝐅𝐨𝐫 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐩𝐮𝐫𝐩𝐨𝐬𝐞, 𝐚 𝐩𝐫𝐨𝐠𝐫𝐞𝐬𝐬𝐢𝐯𝐞 𝐬𝐜𝐡𝐞𝐦𝐞 “𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫 𝐄𝐪𝐮𝐚𝐥 𝐄𝐝𝐮𝐜𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐑𝐞𝐥𝐢𝐞𝐟, 𝐀𝐬𝐬𝐢𝐬𝐭𝐚𝐧𝐜𝐞 𝐚𝐧𝐝 𝐆𝐫𝐚𝐧𝐭 (𝐂𝐡𝐞𝐞𝐫𝐚𝐠)” 𝐡𝐚𝐬 𝐛𝐞𝐞𝐧 𝐬𝐭𝐚𝐫𝐭𝐞𝐝 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭.
गरीब अभिभावकों के बच्चों के लिए वरदान बनी (चिराग) योजना
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश के इस बार के बजट (𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑) में 𝟐𝟎 हजार करोड़ रूपये से अधिक अकेले शिक्षा के क्षेत्र पर खर्च किए जा रहे हैं। इसी के तहत प्रदेश सरकार सभी बच्चों को समान शिक्षा का अधिकार प्रदान करने के लिए नई-नई योजनाएं व कार्यक्रम शुरू कर रही है।
चिराग, योजना भी प्रदेश के गरीब अभिभावकों के बच्चों के लिए शुरू की गई ऐसी ही योजनाओं में से एक है। इस योजना के तहत निजी विद्यालयों की सहमति से ऐसे बच्चों जिनके माता-पिता/ अभिभावकों की वार्षिक सत्यापित आय 1 लाख 80 हजार रूपये से कम है और वे बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ रहे हैं उनके दाखिले इन निजी विद्यालयों में कक्षा दूसरी से बारहवीं तक किए जाएंगे।
𝐓𝐡𝐞 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐮𝐧𝐝𝐞𝐫 𝐭𝐡𝐞 𝐂𝐡𝐞𝐞𝐫𝐚𝐠 𝐬𝐜𝐡𝐞𝐦𝐞, 𝐑𝐬. 𝟕𝟎𝟎 𝐩𝐞𝐫 𝐬𝐭𝐮𝐝𝐞𝐧𝐭 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐜𝐥𝐚𝐬𝐬𝐞𝐬 𝐈𝐈 𝐭𝐨 𝐕, 𝐑𝐬 𝟗𝟎𝟎 𝐩𝐞𝐫 𝐬𝐭𝐮𝐝𝐞𝐧𝐭 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐜𝐥𝐚𝐬𝐬𝐞𝐬 𝐕𝐈 𝐭𝐨 𝐕𝐈𝐈𝐈 𝐚𝐧𝐝 𝐑𝐬 𝟏𝟏𝟎𝟎 𝐩𝐞𝐫 𝐬𝐭𝐮𝐝𝐞𝐧𝐭 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐜𝐥𝐚𝐬𝐬𝐞𝐬 𝐈𝐗 𝐭𝐨 𝐗𝐈𝐈, 𝐩𝐞𝐫 𝐦𝐨𝐧𝐭𝐡 𝐨𝐫 𝐭𝐡𝐞 𝐝𝐞𝐜𝐥𝐚𝐫𝐞𝐝 𝐟𝐞𝐞 𝐚𝐦𝐨𝐮𝐧𝐭 𝐢𝐧 𝐅𝐨𝐫𝐦 𝟔, 𝐰𝐡𝐢𝐜𝐡𝐞𝐯𝐞𝐫 𝐢𝐬 𝐥𝐞𝐬𝐬 𝐰𝐢𝐥𝐥 𝐛𝐞 𝐩𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐜𝐡𝐨𝐨𝐥𝐬. 𝐇𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐮𝐧𝐝𝐞𝐫 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐬𝐜𝐡𝐞𝐦𝐞, 𝟑𝟖𝟏 𝐩𝐫𝐢𝐯𝐚𝐭𝐞 𝐫𝐞𝐜𝐨𝐠𝐧𝐢𝐳𝐞𝐝 𝐬𝐜𝐡𝐨𝐨𝐥𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐚𝐫𝐞 𝐠𝐨𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐨 𝐠𝐢𝐯𝐞 𝐚𝐝𝐦𝐢𝐬𝐬𝐢𝐨𝐧 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐮𝐝𝐞𝐧𝐭𝐬 𝐨𝐧 𝟐𝟒,𝟗𝟖𝟕 𝐬𝐞𝐚𝐭𝐬.
मुख्यमंत्री ने बताया कि (चिराग) योजना के तहत कक्षा दूसरी से पांचवीं तक प्रति छात्र 𝟕𝟎𝟎 रूपये, कक्षा छठी से आठवीं तक प्रति छात्र 𝟗𝟎𝟎 रूपये एवं कक्षा नौवीं से बारहवीं तक प्रति छात्र 𝟏𝟏𝟎𝟎 रूपये प्रति माह की दर से प्रतिपूर्ति राशि या फार्म 𝟔 में घोषित शुल्क राशि, जो भी कम होगी वह विद्यालयों को अदा की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत प्रदेश के 𝟑𝟖𝟏 निजी मान्यता प्राप्त विद्यालयों द्वारा 𝟐𝟒𝟗𝟖𝟕 सीटों पर छात्रों को दाखिले देने की प्रक्रिया जारी है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य में निशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 𝟐𝟎𝟎𝟗 के सैक्शन 𝟏𝟐 (𝟏) (𝐜) को पूर्णतः लागू करते हुए सभी मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में कक्षा पहली या इससे पूर्व की कक्षाओं में 𝟐𝟓 प्रतिशत सीटों पर कमजोर वर्ग से संबंधित विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान अलग से किया गया है।
𝐌𝐚𝐧𝐨𝐡𝐚𝐫 𝐋𝐚𝐥 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐂𝐥𝐚𝐬𝐬𝐞𝐬 𝐈 𝐭𝐨 𝐗𝐈𝐈, 𝐧𝐨 𝐟𝐞𝐞 𝐢𝐬 𝐜𝐡𝐚𝐫𝐠𝐞𝐝 𝐢𝐧 𝐚𝐥𝐥 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐬𝐜𝐡𝐨𝐨𝐥𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞. 𝐈𝐭 𝐢𝐬 𝐰𝐨𝐫𝐭𝐡 𝐦𝐞𝐧𝐭𝐢𝐨𝐧𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐂𝐥𝐚𝐬𝐬𝐞𝐬 𝐈 𝐭𝐨 𝐕𝐈𝐈𝐈, 𝐮𝐧𝐢𝐟𝐨𝐫𝐦𝐬, 𝐭𝐞𝐱𝐭-𝐛𝐨𝐨𝐤𝐬, 𝐰𝐨𝐫𝐤 𝐛𝐨𝐨𝐤𝐬, 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐞𝐫𝐲, 𝐬𝐜𝐡𝐨𝐨𝐥 𝐛𝐚𝐠𝐬 𝐚𝐧𝐝 𝐥𝐮𝐧𝐜𝐡 𝐚𝐫𝐞 𝐛𝐞𝐢𝐧𝐠 𝐩𝐫𝐨𝐯𝐢𝐝𝐞𝐝 𝐟𝐫𝐞𝐞 𝐨𝐟 𝐜𝐨𝐬𝐭. 𝐈𝐧 𝐄𝐧𝐠𝐥𝐢𝐬𝐡 𝐦𝐞𝐝𝐢𝐮𝐦, 𝐁𝐚𝐠-𝐟𝐫𝐞𝐞 𝐌𝐨𝐝𝐞𝐥 𝐒𝐚𝐧𝐬𝐤𝐫𝐢𝐭𝐢 𝐒𝐜𝐡𝐨𝐨𝐥𝐬, 𝐭𝐡𝐞𝐫𝐞 𝐢𝐬 𝐚 𝐩𝐫𝐨𝐯𝐢𝐬𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐟 𝐟𝐫𝐞𝐞 𝐞𝐝𝐮𝐜𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐟𝐨𝐫 𝐬𝐭𝐮𝐝𝐞𝐧𝐭𝐬 𝐡𝐚𝐯𝐢𝐧𝐠 𝐩𝐚𝐫𝐞𝐧𝐭𝐬’ 𝐚𝐧𝐧𝐮𝐚𝐥 𝐯𝐞𝐫𝐢𝐟𝐢𝐞𝐝 𝐢𝐧𝐜𝐨𝐦𝐞 𝐨𝐟 𝐥𝐞𝐬𝐬 𝐭𝐡𝐚𝐧 𝐑𝐬. 𝟏.𝟖𝟎 𝐥𝐚𝐤𝐡. 𝐍𝐨𝐦𝐢𝐧𝐚𝐥 𝐦𝐨𝐧𝐭𝐡𝐥𝐲 𝐜𝐨𝐧𝐭𝐫𝐢𝐛𝐮𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐢𝐬 𝐭𝐚𝐤𝐞𝐧 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐡𝐢𝐥𝐝𝐫𝐞𝐧 𝐨𝐟 𝐟𝐚𝐦𝐢𝐥𝐢𝐞𝐬 𝐡𝐚𝐯𝐢𝐧𝐠 𝐚𝐧𝐧𝐮𝐚𝐥 𝐢𝐧𝐜𝐨𝐦𝐞 𝐚𝐛𝐨𝐯𝐞 𝐑𝐬. 𝟏.𝟖𝟎 𝐥𝐚𝐤𝐡 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞.
मनोहर लाल ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में सभी सरकारी विद्यालयों में कक्षा पहली से बारहवीं तक कोई फीस नहीं ली जाती। गौरतलब है कि कक्षा पहली से आठवीं तक वर्दी, पाठ्य-पुस्तकें, कार्य पुस्तकें, स्टेशनरी, स्कूल बैग एवं दोपहर का भोजन निशुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है।
अंग्रेजी माध्यम के बैग फ्री संस्कृति माडल विद्यालयों में ऐसे सभी विद्यार्थियों जिनके जिनके माता-पिता/ अभिभावकों की वार्षिक सत्यापित आय 𝟏 लाख 𝟖𝟎 हजार रूपये से कम है उनके लिए भी निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है। 𝟏 लाख 𝟖𝟎 हजार रूपये से ऊपर की सालाना आमदन वाले परिवारों के बच्चों से नाममात्र मासिक अंशदान लिया जाता है।
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