हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के कारण न केवल लोगों को गांव स्तर पर ही ईलाज की सुविधा मिल रही है. वहीं सामुदायिक केंद्रो पर भी भीड़ कम हुई है. इससे मरीज को ईलाज के लिए अधिक दूरी भी तय नहीं करनी पड़ती.
गांव सांगीपुर निवासी 62 वर्षीय पवित्र सिंह की जान समय रहते वेलनेस सेंटर के माध्यम से मिले ईलाज के कारण बच गई। वह गर्दन दर्द की शिकायत लेकर गांव धौलरा स्थित सेंटर पर दवाई लेने के लिए पहुंचे थे लेकिन हार्ट से संबंधित शिकायत का शक होने पर वहां तैनात डा. मोहित शर्मा ने उन्हें जांच के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रादौर भेजा।
जहां प्रवर चिकित्सा अधिकारी डा. विजय परमार ने तुरंत उनका ईसीजी करवाई और दिक्कत लगने पर उन्हें प्राथमिक उपचार देकर तुरंत यमुनानगर रैफर कर दिया गया। जहां इंज्योग्राफी करने के बाद उन्हें स्टंट डाले गए। इस प्रकार समय रहते सही ईलाज मिलने पर उनकी जान बच गई और अब वह नियमित तौर पर धौलरा के वेलनेस सेंटर पर अपनी नियमित जांच करवा रहे है।
सेंटर इंचार्ज, धौलरा, डा. मोहित शर्मा का कहना है कि गांव सांगीपुर निवासी पवित्र सिंह गर्दन दर्द की शिकायत लेकर पहुंचे थे। जब उन्होंने जांच की तो उन्हें शक हुआ कि उनका दर्द केवल एक सामान्य दर्द नहीं है। यह हार्ट से संबंधित हो सकता है। इसलिए उन्होंने उन्हें जांच के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भेजा।
सेंटर इंचार्ज, धौलरा, डा. मोहित शर्मा का कहना है कि गांव सांगीपुर निवासी पवित्र सिंह गर्दन दर्द की शिकायत लेकर पहुंचे थे। जब उन्होंने जांच की तो उन्हें शक हुआ कि उनका दर्द केवल एक सामान्य दर्द नहीं है। यह हार्ट से संबंधित हो सकता है। इसलिए उन्होंने उन्हें जांच के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भेजा।
जहां डा. विजय परमार ने उनकी समय पर उचित जांच की और प्राथमिक उपचार दिया। जिससे समय रहते उनकी जांच बच सकी। अगर यहां थोड़ी सी भी लापरवाही होती तो उनकी जान जा सकती थी।
प्रवर चिकित्सा अधिकारी, डा. विजय परमार ने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के कारण न केवल लोगों को गांव स्तर पर ही ईलाज की सुविधा मिल रही है वहीं सामुदायिक केंद्रो पर भी भीड़ कम हुई है। इससे मरीज को ईलाज के लिए अधिक दूरी भी तय नहीं करनी पड़ती। अगर किसी व्यक्ति में गंभीर बिमारी के लक्षण दिखाई देते है तो मरीज को उसके बारे समय रहते जानकारी दे दी जाती है।
प्रवर चिकित्सा अधिकारी, डा. विजय परमार ने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के कारण न केवल लोगों को गांव स्तर पर ही ईलाज की सुविधा मिल रही है वहीं सामुदायिक केंद्रो पर भी भीड़ कम हुई है। इससे मरीज को ईलाज के लिए अधिक दूरी भी तय नहीं करनी पड़ती। अगर किसी व्यक्ति में गंभीर बिमारी के लक्षण दिखाई देते है तो मरीज को उसके बारे समय रहते जानकारी दे दी जाती है।
ताकि वह समय पर बिमारी से संबंधित अपना ईलाज करवा सके। विभाग की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि जरूरत की सभी दवाईयां इन सेंटरों पर उपलब्ध हो ताकि प्राथमिक व नियमित तौर पर चलने वाला उपचार गांव में ही संभव हो सके। सेंटरों पर मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है।
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