किसानों ने चेतवानी: 25 अगस्त तक सरकार ने इस मामले को लेकर कोई फैसला नहीं लिया, तो कुरुक्षेत्र के पीपली में एक बड़ी किसान महापंचायत कर आगमी आंदोलन बारे रणनीति बनाई जाएगी.
रादौर, डिजिटल डेक्स।। सरकार के आदेशों पर जुमला-मुश्तरका सहित आठ प्रकार की जमीनों को पंचायतों और नगर निगम के नाम करने के मामले को लेकर आज प्रदेशभर में किसानों ने तहसील स्तर पर इस फैसले में संशोधन की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपे।
रादौर तहसील में भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले इकठ्ठे हुए किसानों ने इस मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन कर तहसीलदार सुरेश कुमार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
वही, किसानों ने चेतवानी देते हुए कहा कि अगर 25 अगस्त तक सरकार ने इस मामले को लेकर कोई फैसला नहीं लिया, तो कुरुक्षेत्र के पीपली में एक बड़ी किसान महापंचायत कर आगमी आंदोलन बारे रणनीति बनाई जाएगी।
जिलाध्यक्ष संजू गुंदियाना ने बताया कि किसान दशकों से अपनी पुश्तैनी जमीनों पर काश्तकारी कर रहे हैं। तकसीम करवाने में ज्यादा खर्च आने की वजह से करीब 80 फीसदी किसानों की जमीनें मुश्तरका खातों में हैं। इस दौरान जमीनों की खरीद-बेचने से लेकर रहने तक का काम सरकारी नियमानुसार होता आया है।
जिलाध्यक्ष संजू गुंदियाना ने बताया कि किसान दशकों से अपनी पुश्तैनी जमीनों पर काश्तकारी कर रहे हैं। तकसीम करवाने में ज्यादा खर्च आने की वजह से करीब 80 फीसदी किसानों की जमीनें मुश्तरका खातों में हैं। इस दौरान जमीनों की खरीद-बेचने से लेकर रहने तक का काम सरकारी नियमानुसार होता आया है।
उन्होने बताया कि सरकार ने 1992 में एक्ट 1961 के तहत संशोधन करते हुए मुश्तरका मालकान जमीनों को पंचायती करार दिया था, लेकिन किसानों ने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी तो फैसला किसानों के हक में आया जिसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सरकार के पक्ष में दिया जो की किसानों के लिए न्याय संगत नहीं है। इसलिए सरकार को चाहिए की विधानसभा का स्पेशल सत्र बुलाकर इसमें संशोधन किया जाए।
इस मौके पर संदीप टोपरा, शिव कुमार संधाला, जोगिंदर सिली, निर्मल, राजेश, बलिंदर, कर्म सिंह, पप्पल, रमेश, कमल, नवीन, बलदेव, टिका सिंह, साहबसिंह, पवन नम्बरदार, बलवीर पलाका, सुखविंदर, बिक्रम आदि किसान मौजूद रहे।
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